रोहतास- वंचित और हाशिये के समुदाय को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कहने को तो कागजों में कई स्कीम चल रहे हैं लेकिन क्या हकीकत में दलित और पिछड़े वर्ग के युवाओं को इसका लाभ मिल पाता है? शायद नहीं! ऐसी ही एक योजना राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) की 'सुविधा' लोन है जिसके तहत अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के ऋण प्रदान करता है।
"सुविधा ऋण" अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को छोटे व्यवसाय शुरू करने या मौजूदा व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। स्वरोजगार की आस में बिहार के दो युवा बीते तीन महीनों से इस लोन को पाने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन पात्र होने और सभी दस्तावेजों की पूर्ति के बावजूद दोनों को बैंक ने लोन देने से मना कर दिया।
बिहार के मौना गांव के निवासी पप्पू कुमार ने बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में औपचारिक आपत्ति दर्ज की है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) के दिशानिर्देशों का पालन न करने और भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है। 1.25 लाख रुपये की वार्षिक पारिवारिक आय वाले बेरोजगार अनुसूचित जाति के युवा पप्पू कुमार ने 28 मार्च 2025 को एनएसएफडीसी सुविधा योजना के तहत वाणिज्यिक वाहन ऋण के लिए आवेदन किया था।
पप्पू ने बताया कि बैंक की देहरी ऑन सोन शाखा ने उनके साथ भेदभाव और उत्पीड़न किया है, लोन देने में जानबूझकर देरी की और मनमाने ढंग से आवेदन खारिज कर दिया जिससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए वित्तीय समावेशन और स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली इस योजना का उद्देश्य कमजोर हुआ है। इसी तरह की शिकायत विकास कुमार की भी है ।
एनएसएफडीसी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जिसकी सुविधा योजना के तहत 3 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले अनुसूचित जाति के व्यक्ति ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदक को छोटे व्यवसायिक गतिविधियों, जैसे कि जीप और कार टैक्सी जैसे वाणिज्यिक वाहनों के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है, इसके लिए कोई जमानत/सिक्यूरिटी की जरूरत नहीं या आवेदक की वर्तमान आय के आधार पर री-पेमेंट क्षमता का मूल्यांकन भी नहीं किया जाता है।
पप्पू और विकास कुमार ने इसी योजना के तहत आवेदन किया था। पप्पू ने द मूकनायक को बताया कि उसने स्व-रोजगार/व्यवसाय के लिए टाटा टिगोर XT CNG मॉडल खरीदने के लिए 28-03-2025 को लोन का आवेदन किया था। योजना के तहत वाहन खरीदने के लिए अनुदानित दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वह स्वयं के रोजगार को बढ़ावा देना चाहता था।
पप्पू का कहना है कि बीओबी शाखा प्रबंधक ने शुरू में आयकर रिटर्न जमा करने पर जोर दिया, जबकि एनएसएफडीसी दिशानिर्देशों के तहत इसकी आवश्यकता नहीं है। बार-बार स्पष्टीकरण के बाद ही उनके आवेदन को स्वीकार किया गया।
आवेदन जमा करने के दो माह बावजूद बैंक ने बिना किसी वैध औचित्य के ऋण "प्रक्रिया में" को लंबित रखा और उच्च अधिकारियों से अप्रूवल लेने आदि अस्पष्ट कारणों का हवाला देते रहे। देरी के कारणों को स्पष्ट करने के लिए जब ने आरटीआई आवेदन दिया तो उसके जवाब में अपूर्ण और भ्रामक प्रतिक्रिया मिली, जिसने उनके जाति-आधारित भेदभाव और पद के दुरुपयोग के आरोपों को और बल दिया।
पप्पू तर्क देते हैं कि बैंक के कार्य एनएसएफडीसी के उद्देश्य को बढ़ावा देने, वित्तीय सहायता और कौशल विकास पहलों के माध्यम से अनुसूचित जातियों के बीच समृद्धि को बढ़ावा देने के मिशन का उल्लंघन करते हैं।
इसी तरह विकास कुमार को बैंक द्वारा लोन देने में असमर्थता जाहिर करते हुए लिखा कि विकास की वार्षिक आय 1 लाख 25 हज़ार है और उसने वाणिज्यिक वाहन के लिए 8,90,689/- के ऋण के लिए आवेदन किया है. बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप आय के तीन गुणा तक ही ऋण दिया जा सकता है. ऐसे में बैंक ने कहा विकास को उसकी वार्षिक आय के तीन गुणा के हिसाब से रु. 3,75,000/- तक का ही ऋण प्रदान किया जा सकता है. यदि उसे सात वर्ष (84 माह) के लिए ऋण दिया जाता है तो इस हिसाब से औसतन EMI रु 12000 से 15000 तक आएगा जबकि विकास का औसतन मासिक आय 10416/- रुपया आ रहा है. बैंक ने अपने पत्र में लिखा, " इस हिसाब से देखा जाए तो आपके पास ऋण चुकौती (repaying capacity) कि क्षमता नहीं है इसलिए उपरोक्त दस्तावेजों और बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप आपके ऋण को स्वीकृत कर पाने में हम असमर्थ है."
आवेदक कहते हैं कि बैंक ने उनके ऋण आवेदन को गलत तरीके से कृषि वित्त शर्तों के तहत संसाधित करके गलत प्रस्तुति दी, जो एनएसएफडीसी योजना के उद्देश्यों से असंगत है। एनएसएफडीसी ढांचा पुनर्भुगतान क्षमता का मूल्यांकन आवेदक की वर्तमान आय के आधार पर नहीं करता बल्कि प्रस्तावित उद्यम जैसे कि वाणिज्यिक वाहन संचालन से अपेक्षित आय के आधार पर करता है । कुमार का अनुमान है कि एक स्व-नियोजित टैक्सी चालक प्रति माह 25,000 से 30,000 रुपये की आय generate कर सकता है, जो आसानी से 15,000-16,000 रुपये की ईएमआई को कवर कर सकता है, फिर भी बीओबी ने न तो ऋण को मंजूरी दी और न ही इस आय की संभावना पर विचार किया, बल्कि व्यावसायिक ऋण मानदंडों को लागू किया जो इस योजना के लिए अनुपयुक्त हैं।
पप्पू कुमार ने बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बैंक ने NSFDC (नेशनल स्टेडियम फाइनेंस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के नियमों को तोड़ते हुए उनके लोन की शर्तें बदल दीं। NSFDC के मुताबिक, लोन की वापसी की अवधि 66 महीने होनी चाहिए थी, लेकिन बैंक ने इसे बढ़ाकर 84 महीने कर दिया। साथ ही बैंक ने उन्हें सब्सिडी वाली कम ब्याज दर (4-6%) के बजाय सामान्य व्यापारिक दर पर लोन देने की पेशकश की, जिससे उन पर वित्तीय बोझ बढ़ गया।
कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि बैंक छोटे आवेदकों के साथ भेदभाव करता है। उन्होंने बताया कि जहाँ उनके छोटे लोन आवेदन की कड़ी जाँच की जा रही है, वहीं बैंक ने पिछले 8 साल में 144 कॉर्पोरेट कंपनियों के 44,481 करोड़ रुपये के बुरे कर्ज़ (NPA) माफ कर दिए, जिनमें कई अमीर और प्रभावशाली उधारकर्ता शामिल थे। यह अंतर दिखाता है कि बैंक गरीब और अनुसूचित जाति के युवाओं के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं कर रहा, जो RBI के नियमों के खिलाफ है।
कुमार ने RBI से माँग की है कि वह BOB को निर्देश दे कि उनका 8.91 लाख रुपये का लोन NSFDC की शर्तों पर मंजूर किया जाए। उन्हें वित्तीय नुकसान के लिए 8.91 लाख रुपये और मानसिक तनाव के लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। RBI से बैंक की गलत प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई करने और NSFDC योजना को सही तरीके से लागू करने की मांग की गई है।