बांसवाड़ा– राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (राउमावि) अमरथुन में 670 बच्चों का भविष्य संकट में है। शिक्षा विभाग द्वारा 4 मार्च 2022 के न्यायालय आदेश की पालना न करने के कारण स्कूल के खिलाफ डिक्री कार्यवाही शुरू हो गई है। यह मामला 2012 में एक मजदूर हरीश चरपोटा की करंट से हुई मौत से जुड़ा है। विभाग की उदासीनता से न केवल पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला, बल्कि इस आदिवासी क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।
22 सितंबर 2012 को राउमावि अमरथुन में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत कक्षा कक्ष का निर्माण चल रहा था। इस दौरान मजदूर हरीश चरपोटा, जो स्कूल परिसर में पानी की तराई कर रहा था, को बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। हादसा दोपहर 1:30 बजे हुआ, जब तत्कालीन संस्था प्रधान आनंदीलाल सुथार और स्टाफ मौजूद थे। केस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि विद्युत तार, डीपी और पोल हटाने के निर्देशों की अनदेखी के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें संस्था प्रधान की लापरवाही सामने आई।
वर्ष 2013 से चल रहे मुकदमे के बाद, बांसवाड़ा न्यायालय ने 4 मार्च 2022 को राजस्थान स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (RSEB) और शिक्षा विभाग को 80:20 के अनुपात में जिम्मेदार ठहराया। शिक्षा विभाग को मूल राशि ₹6,74,800 का 20%, यानी ₹1,34,960, और 9 जुलाई 2013 से 8 मार्च 2024 तक 7% वार्षिक ब्याज, यानी ₹1,00,770, का भुगतान करने का आदेश दिया गया। 7 अप्रैल 2025 तक अतिरिक्त ब्याज सहित कुल राशि ₹2,55,770 हो चुकी है। लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक भुगतान नहीं किया, जिसके चलते स्कूल के खिलाफ डिक्री कार्यवाही शुरू हो गई है।
डिक्री के कारण स्कूल पर जुर्माना या बंद होने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे 670 बच्चों की पढ़ाई बाधित हो सकती है। दूसरी ओर, हरीश चरपोटा के बुजुर्ग पिता को तीन साल बाद भी न्याय नहीं मिला। वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। परिवार ने कोर्ट आदेश के अनुसार राशि के साथ ₹2 करोड़ मुआवजा और निकटतम परिजन को सरकारी नौकरी की मांग की है।
वर्तमान संस्था प्रधान अरुण व्यास ने इस मामले को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने द मूकनायक को बताया कि शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को रजिस्टर्ड डाक, ईमेल और व्यक्तिगत रूप से लिखित अनुरोध भेजे। 24 और 27 मार्च 2025 को वित्तीय प्रस्ताव बीकानेर निदेशालय को भेजे गए। 24 मार्च को बांसवाड़ा जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर अपर लोक अभियोजक गौरव उपाध्याय को मामले की पैरवी के लिए नियुक्त करने का अनुरोध किया गया। शिक्षा निदेशक ने भी 27 फरवरी को जयपुर के संयुक्त विधि परामर्शी प्रकोष्ठ को मार्गदर्शन के लिए पत्र भेजा। फिर भी, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अमरथुन ग्राम पंचायत के निवासियों, अभिभावकों और पीड़ित परिवार ने इस मुद्दे पर गहरा आक्रोश जताया है। 18 अप्रैल को एक आम सभा में सर्वसम्मति से मांग की गई कि कोर्ट आदेश की तुरंत पालना की जाए, बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाए और पीड़ित परिवार को राहत दी जाए। ग्रामीणों ने स्कूल की खराब विद्युत फिटिंग पर भी चिंता जताई, जो भविष्य में दुर्घटना का कारण बन सकती है। उन्होंने विद्युत व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए बजट आवंटन की मांग की है।
सेवानिवृत्त संस्था प्रधान आनंदीलाल सुथार पर विद्युत तार और डीपी न हटाने के लिए गंभीर लापरवाही का आरोप है। उनकी गलती को हरीश की मौत का मुख्य कारण माना जा रहा है। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग पर जिम्मेदार लोगों को बचाने और न्याय में देरी करने का आरोप लगाया है।