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दिल्ली विवि के लक्ष्मीबाई कॉलेज में गोबर लेप विवाद—क्लासरूम में गोबर लीपने वाली प्रिंसिपल के ऑफिस को DUSU प्रेसिडेंट ने गोबर से कर दिया 'कूल', कहा FIR भी करेंगे!

नई दिल्ली- दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में प्रिंसिपल द्वारा क्लासरूम में गोबर और मिट्टी का लेप लगाने की घटना ने विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष रौनक खत्री ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रिंसिपल के कार्यालय में गोबर पोत दिया। यह घटनाक्रम सोशल मीडिया, विशेष रूप से एक्स पर व्यापक रूप से चर्चा में है।

कुछ दिन पहले, लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रत्यूष वत्सला का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कॉलेज के सी-ब्लॉक में एक पोर्टाकेबिन क्लासरूम की दीवारों पर गोबर और मिट्टी का लेप लगाती नजर आईं। उन्होंने इसे "पारंपरिक भारतीय ज्ञान का उपयोग करके तापीय तनाव नियंत्रण का अध्ययन" नामक शोध परियोजना का हिस्सा बताया। वत्सला ने मीडिया से कहा, "यह शोध पोर्टाकेबिन में चल रहा है। मैंने खुद एक क्लासरूम में लेप लगाया, क्योंकि प्राकृतिक मिट्टी को छूने से कोई नुकसान नहीं है। पूरी जानकारी के बिना कुछ लोग गलत सूचना फैला रहे हैं।"

हालांकि, इस कदम ने छात्रों और शिक्षकों में असंतोष पैदा किया। छात्रों का कहना था कि क्लासरूम में गोबर की गंध से पढ़ाई मुश्किल हो रही है और बुनियादी सुविधाओं की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या है।

15 अप्रैल को डूसू प्रेसिडेंट रौनक खत्री ने छात्रों के साथ लक्ष्मीबाई कॉलेज का दौरा किया। प्रिंसिपल से मिलने की कोशिश नाकाम रही, क्योंकि वह कार्यालय में नहीं थीं। रौनक ने दावा किया कि उनके आने की खबर मिलते ही प्रिंसिपल 15 मिनट पहले चली गईं। कॉलेज की वाईस प्रिंसिपल ने DUSU अध्यक्ष से बात की और उन्हें रोकने का प्रयास किया तो खत्री ने कहा प्रिंसिपल का खुद का रूम सेन्ट्रली एयर कंडीशंड है और स्टूडेंट्स के क्लासरूम में गोबर, शर्म नहीं आती! यूनियन अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अगर रिसर्च का प्रयोग है तो अपने घर और ऑफिस में पहले किया जाये.

इसके बाद, रौनक ने प्रिंसिपल के कार्यालय और बाथरूम की दीवारों पर गोबर पोत दिया। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा कि "जब प्राचार्या मैडम के कार्यालय गए, तो वह नहीं मिलीं। लेकिन उनके कक्ष में छात्र शक्ति के साथ मिलकर गोबर लेप कर उनकी मुहिम को आगे बढ़ाया"।

रौनक ने कहा, "प्रिंसिपल क्लासरूम में गोबर पोतने को शोध बता रही हैं, लेकिन छात्रों से इसकी सहमति नहीं ली गई। मैंने क्लासरूम का दौरा किया, वहां गोबर की गंध थी और केवल एक ही प्रवेश-निकास द्वार था, जो यूजीसी नियमों का उल्लंघन है। कॉलेज में पीने का पानी और बुनियादी सुविधाओं की कमी है। प्रिंसिपल को पहले छात्रों की जरूरतें पूरी करनी चाहिए।"

रौनक ने बताया कि लक्ष्मीबाई कॉलेज की छात्राओं ने उनसे कई शिकायतें साझा कीं, जिनमें क्लासरूम में गर्मी, एयर कंडीशनर की कमी, और अपर्याप्त बुनियादी सुविधाएं शामिल थीं। उन्होंने कहा, "यह कॉलेज छात्रों के लिए है, न कि प्रिंसिपल की प्रयोगशाला। हम शिक्षा मंत्रालय से मांग करते हैं कि पोर्टाकेबिन में एयर कंडीशनर अनिवार्य किए जाएं।"

रौनक ने प्रिंसिपल के वाशरूम की दीवारों पर भी गोबर मला और कहा कि प्रिंसिपल खुद साफ़ और आलीशान टॉयलेट इस्तेमाल करती हैं जबकि स्टूडेंट्स का टॉयलेट इस्तेमाल करने योग्य नहीं.

रौनक ने यह भी ऐलान किया कि वह प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेंगे और उच्च न्यायालय में मामला ले जाएंगे, क्योंकि गोबर लेप वाले क्लासरूम में केवल एक द्वार होना यूजीसी नियमों का उल्लंघन है।

रौनक के इस कदम की सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हुई। कई एक्स हैंडल्स ने उनके विरोध की सराहना की। एक यूजर ने लिखा, "डूसू प्रेसिडेंट @ronak_khatrii का प्रयास बहुत सराहनीय रहा। प्रिंसिपल ने क्लासरूम में गोबर से पुताई की थी, तो रौनक ने उनके ऑफिस में गोबर पोत दिया। आखिर उनका कमरा भी तो ठंडा रहना चाहिए।"

एक स्टूडेंट ने रौनक की तारीफ करते हुए कहा, "प्रिंसिपल की मूर्खतापूर्ण और पिछड़ी सोच के जवाब में, रौनक खत्री ने उनके आलीशान ऑफिस को गोबर से पोत दिया। मैं इस बहादुर युवक को स्टैंडिंग ओवेशन देना चाहता हूं।"

एक यूजर ने समर्थन जताया, "रौनक खत्री जी, आपने प्रिंसिपल को गोबर की सुगंध से परिचित करवाया, यह देखकर अच्छा लगा। आप जैसे युवा तुच्छ मानसिकता वालों को रास्ता दिखा रहे हैं। जय हिंद।"

भारत आदिवासी पार्टी के प्रवक्ता और डीयू के शिक्षक डॉ जीतेन्द्र मीणा ने अपने x अकाउंट से लिखा, " दिल्ली विश्वविद्यालय में चल रहें गोबर पाठ के अगले अध्याय में DUSU अध्यक्ष ने आज LBC प्रिंसिपल के ऑफिस को ही गोबर से लीप दिया हैं। DUSU अध्यक्ष का कहना हैं अकेले छात्रों का कमरा ही ठंडा क्यों रहें ? प्रिंसिपल साहिबा भी प्राकृतिक माहौल का आनंद उठाये।"

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