भोपाल। मध्य प्रदेश के शैक्षणिक क्षेत्र में एक और बड़ा घोटाला उजागर होता दिखाई दे रहा है। नर्सिंग कॉलेजों के बाद अब राज्य के पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता को लेकर भी फर्जीवाड़े के आरोप सामने आए हैं। जबलपुर हाईकोर्ट में इस मुद्दे को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। कोर्ट ने मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन और रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।
जनहित याचिका में लगाए गए गंभीर आरोप
यह याचिका लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि, बिना एनरोलमेंट (पंजीयन) कराए छात्रों को कॉलेजों में दाखिला दे दिया गया।2023-24 और 2024-25 सत्रों की मान्यता बिना किसी ठोस जांच के दी गई। नर्सिंग घोटाले में दोषी कॉलेजों को अब पैरामेडिकल कोर्स की मान्यता दी जा रही है। साथ ही कई सरकारी और निजी कॉलेजों ने बगैर किसी संबद्धता के अवैध रूप से छात्रों का एडमिशन कर लिया है।
हाईकोर्ट ने कहा, - 'पारदर्शिता जरूरी'
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश नए आवेदन को स्वतंत्र जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया है। अदालत ने माना कि यह मामला केवल कुछ कॉलेजों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में पैरामेडिकल शिक्षा की पारदर्शिता और वैधता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मान्यता देने की प्रक्रिया में गड़बड़ियां पाई जाती हैं, तो यह हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होगा।
पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन हैं उपमुख्यमंत्री
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ला, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, वही पैरामेडिकल काउंसिल के पदेन चेयरमैन हैं। ऐसे में इस पूरे मामले की जवाबदेही सीधे सरकार से जुड़ती है। अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि होती है तो क्या पदेन चेयरमैन होने के नाते उपमुख्यमंत्री की भूमिका भी जांच के दायरे में आएगी?
नर्सिंग घोटाले जैसा है मामला!
इस याचिका में खास तौर पर यह बताया गया कि नर्सिंग घोटाले में जिन कॉलेजों को सीबीआई ने ‘अनसूटेबल’ बताया था, उन्हीं कॉलेज बिल्डिंग में अब पैरामेडिकल कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि जिन्हें नर्सिंग पढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, उन्हें अब पैरामेडिकल शिक्षा का जिम्मा सौंपा जा रहा है।
16 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता संबंधी इस पूरे मामले की अगली सुनवाई नर्सिंग घोटाले की अन्य याचिकाओं के साथ 16 जुलाई को करने का निर्णय लिया है। इससे पहले अदालत ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन और रजिस्ट्रार इस सुनवाई में उपस्थित रहें या उनका जवाब रिकॉर्ड में प्रस्तुत किया जाए।