स्थापना दिवस 20 जून: बाबासाहब की विरासत— सिद्धार्थ कॉलेज जहाँ से पढ़कर निकले कई दिग्गज राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, सुप्रीम कोर्ट जज से लेकर फिल्मी सितारे!

12:39 PM Jun 20, 2025 | Geetha Sunil Pillai

मुंबई- सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स, जिसकी स्थापना 20 जून 1946 को भारत-रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने की थी, आज अपनी 79वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह कॉलेज पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी (PES) के तहत स्थापित पहला शैक्षणिक संस्थान है, जिसकी नींव डॉ. अंबेडकर ने 8 जुलाई 1945 को रखी थी।

बाबा साहब की पवित्र अस्थियाँ  सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स के ग्राउंड फ्लोर पर अलमारी नंबर 13 में सुरक्षित रखी गई हैं। यहीं पर उनके निजी संग्रह की दुर्लभ पुस्तकें भी संजोकर रखी गई हैं, जिनका उपयोग भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान किया गया था। इन अनमोल विरासतों को एक विशेष स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है, जिसका दरवाजा लंदन की प्रसिद्ध कंपनी चुब लॉक एंड सेफ मेकर्स (Chubb Lock & Safe Makers) द्वारा बनाया गया है। यह कमरा अत्यंत मजबूत और सुरक्षित है। यह स्ट्रॉन्ग रूम पहले एक जापानी बैंक का लॉकर रूम हुआ करता था। बाद में जब डॉ. अंबेडकर ने इस इमारत को खरीदा, तो इसे इन अनमोल वस्तुओं की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।

बाबा साहब द्वारा स्थापित इस कॉलेज का उद्देश्य मुंबई जैसे महानगरीय शहर की बढ़ती आबादी की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करना और विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदायों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना था।

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सिद्धार्थ कॉलेज की शुरुआत मरीन लाइन्स में सैनिकों के लिए बने बैरकों में सुबह की कक्षाओं के साथ हुई थी, जो लगभग पांच साल तक चली। 1951 में कॉलेज को फोर्ट क्षेत्र में शानदार इमारतों ‘मेनकावा’ और ‘अल्बर्ट’ में स्थानांतरित किया गया, जिन्हें बाद में ‘बुद्ध भवन’ और ‘आनंद भवन’ के नाम से जाना गया। 1980 में भारत की वाणिज्यिक राजधानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कॉलेज ने वाणिज्य संकाय शुरू किया। वर्तमान में कॉलेज बुद्ध भवन में संचालित होता है, जबकि इसका प्रशासनिक कार्यालय आनंद भवन में स्थित है।

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने इस कॉलेज को एक आदर्श संस्थान के रूप में देखा था। अकादमिक उत्कृष्टता का मार्ग प्रख्यात शिक्षकों जैसे डॉ. वी.एस. पाटनकर, डॉ. एच.आर. कार्णिक, पद्मश्री प्रो. अनंत कानेकर, प्रो. मधु दंडवते , प्रो. टी.ए. कामत, प्रो. अप्संगीकर, प्रो. बदंत शिवली बोधी और अन्य प्रख्यात शिक्षकों और विद्वानों के मार्गदर्शन में तैयार किया गया था। प्रो. मधु दंडवते बाद में चलकर भारत के वित्त मंत्री बने थे।

11वीं कक्षा से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई

मुम्बई यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध सिद्धार्थ कॉलेज एक बहु-विषयक संस्थान है, जो 11वीं कक्षा से लेकर पीएचडी तक के पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह बी.ए., बी.एससी., बी.कॉम., बी.एससी. (आईटी), बी.एम.एस. और बी.ए.एफ. जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ भौतिकी, रसायन विज्ञान और वनस्पति विज्ञान में एम.एससी. और भौतिकी, रसायन विज्ञान, हिंदी और मराठी में पीएचडी की पढ़ाई करवाता है। कॉलेज में 6 शोध पर्यवेक्षक कार्यरत हैं। 2023-24 से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) लागू की गई है, और 2024-25 से यह स्नातक पाठ्यक्रमों में भी लागू हो रही है।

कॉलेज केवल शैक्षिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है। यहाँ राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) और जिमखाना जैसी इकाइयाँ छात्रों को पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए “कमाओ और सीखो” योजना भी संचालित की जाती है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है।

सिद्धार्थ कॉलेज की लाइब्रेरी में डॉ. आंबेडकर के निजी संग्रह की कुछ दुर्लभ पुस्तकें मौजूद हैं, जिनका उपयोग उन्होंने भारतीय संविधान के प्रारूपण में संदर्भ के रूप में किया था। लाइब्रेरी में संविधान की एक प्रति भी प्रदर्शित है, जिस पर बाबा साहब का नाम अंकित है।

देश के दिग्गज राजनेताओं से लेकर अधिवक्ताओं, खिलाडियों और एक्टर्स ने इस कॉलेज से शिक्षा ग्रान की है।

कॉलेज ने कई ऐसे छात्र दिए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इनमें ओडिशा के पूर्व राज्यपाल एम.सी. भंडारे, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पी.बी. सावंत, बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच.एच. कंठारिया, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, मार्गरेट अल्वा और मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति शशिकांत कार्निक और डॉ. भालचंद्र मुंगेकर शामिल हैं। इसके अलावा, प्रसिद्ध अभिनेता जितेंद्र, अभिनेत्री राजश्री , सुलभा देशपांडे भी यहीं के स्टूडेंट रहे हैं।

सिद्धार्थ कॉलेज की क्रिकेट टीम ने अंतर-कॉलेज स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है और भारतीय क्रिकेट को 20-25 शीर्ष खिलाड़ी दिए हैं। इनमें विश्व प्रसिद्ध विकेटकीपर नारायण तम्हाने, बल्लेबाज दिलीप सरदेसाई, सुधीर नाइक, रामकांत देसाई और अन्य शामिल हैं। इन खिलाड़ियों को प्रभु देसाई ने चुना और दत्तू फडकर ने प्रशिक्षित किया।