नई दिल्ली - लोकसभा के हालिया सत्र में, दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं से जुड़े गंभीर मुद्दों को उठाया, जिसमें आय सीमा और नाकाफी छात्रवृत्ति राशि जैसी विसंगतियों पर प्रकाश डाला गया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने एक विस्तृत लिखित जवाब दिया, लेकिन इस जवाब ने सरकार के प्रति सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या वह वाकई में वंचित छात्रों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सांसद के सवालों ने उजागर की वंचित छात्रों की समस्याएं
सांसद मुरारी लाल मीणा ने SC और ST छात्रों को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता मांगी:
आय सीमा: SC/ST छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पाने के लिए वार्षिक पारिवारिक आय सीमा क्या है?
Trending :छात्रवृत्ति राशि: सरकार छात्रवृत्ति की राशि तय करने के लिए क्या मापदंड अपनाती है?
मापदंडों की समीक्षा: क्या सरकार ने छात्रवृत्ति के मापदंडों की समीक्षा की है, और आखिरी बार यह समीक्षा कब की गई थी?
आय सीमा में वृद्धि: क्या सरकार छात्रवृत्ति के लिए आय सीमा बढ़ाने की योजना बना रही है?
महंगाई और बढ़ती लागत: क्या सरकार महंगाई और शिक्षा की बढ़ती लागत को देखते हुए छात्रवृत्ति राशि बढ़ाने पर विचार कर रही है?
मंत्री का जवाब
अपने जवाब में, मंत्री वीरेंद्र कुमार ने छात्रवृत्ति योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए वार्षिक पारिवारिक आय सीमा SC और ST छात्रों के लिए 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष है। टॉप क्लास एजुकेशन स्कीम के लिए, SC छात्रों के लिए आय सीमा 8.00 लाख रुपये और ST छात्रों के लिए 6.00 लाख रुपये है। नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप के लिए SC छात्रों के लिए आय सीमा 8.00 लाख रुपये और ST छात्रों के लिए 6.00 लाख रुपये है। SC और OBC छात्रों के लिए फ्री कोचिंग स्कीम की आय सीमा 8.00 लाख रुपये है, जबकि ST छात्रों के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है। नेशनल फेलोशिप स्कीम के लिए कोई आय सीमा नहीं है।
वीरेंद्र कुमार ने कहा कि छात्रवृत्ति राशि राज्य सरकारों, संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ परामर्श के बाद तय की जाती है। इन मानदंडों को स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी (SFC), एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (EFC) और कैबिनेट जैसे सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमोदित किया जाता है। सरकार समय-समय पर छात्रवृत्ति योजनाओं की समीक्षा करती है, और छात्रवृत्ति राशि में अंतिम संशोधन 2023-24 में किया गया था। उदाहरण के लिए, SC छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को दिन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए 3,000 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये और हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए 3,500 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये किया गया। इसी तरह, SC छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में ग्रुप 1 के हॉस्टलर छात्रों को अब 12,000 रुपये के बजाय 13,500 रुपये मिलते हैं।
मंत्री ने कहा कि आय सीमा और छात्रवृत्ति राशि को आवश्यकतानुसार संशोधित किया जाता है, और इसमें हितधारकों के साथ परामर्श किया जाता है। हालांकि, आय सीमा बढ़ाने के लिए कोई विशिष्ट समयसीमा या प्रतिबद्धता नहीं दी गई। हालांकि कुछ श्रेणियों में छात्रवृत्ति राशि को संशोधित किया गया है, लेकिन मंत्री ने महंगाई के मुद्दे को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया और न ही आगे की वृद्धि के लिए कोई स्पष्ट योजना बताई ।
छात्रवृत्ति राशि नाकाफी
सबसे बड़ी विसंगतियों में से एक है प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 2012 से अपरिवर्तित 2.50 लाख रुपये की वार्षिक पारिवारिक आय सीमा। आज के आर्थिक संदर्भ में यह सीमा बेहद अपर्याप्त है, जिसके कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के असंख्य योग्य छात्र इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2.51 लाख रुपये कमाने वाला परिवार अयोग्य माना जाता है, जबकि 2.49 लाख रुपये कमाने वाला परिवार योग्य माना जाता है—यह अंतर आज के आर्थिक संदर्भ में बिल्कुल असंगत है।
इन योजनाओं के तहत दी जाने वाली छात्रवृत्ति राशि भी उतनी ही नाकाफी है। प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति दिन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए केवल 7,000 रुपये प्रति वर्ष और हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए 8,000 रुपये प्रति वर्ष प्रदान करती है। इसी तरह, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति ग्रुप 1 के हॉस्टलर छात्रों के लिए 13,500 रुपये प्रति वर्ष प्रदान करती है। यह राशि शिक्षा के बुनियादी खर्चों को पूरा करने के लिए भी अपर्याप्त है, खासकर मेडिकल, इंजीनियरिंग और लॉ जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए। उदाहरण के लिए, एक मेडिकल छात्र का खर्च छात्रवृत्ति राशि से कहीं अधिक होता है, जिसके कारण कई छात्रों को लोन लेना पड़ता है या पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।
एक और गंभीर मुद्दा यह है कि सरकार ने छात्रवृत्ति राशि को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से नहीं जोड़ा है, जिसकी गणना शिमला में श्रम ब्यूरो द्वारा की जाती है। महंगाई से इस अलगाव के कारण छात्रवृत्ति राशि शिक्षा की वास्तविक लागत को पूरा करने में अप्रभावी साबित हो रही है।
BANAE की मांग
हालांकि मंत्री के जवाब में समय-समय पर समीक्षा का जिक्र किया गया है, लेकिन यह समायोजन अक्सर नाममात्र का होता है और बढ़ती लागत के साथ तालमेल नहीं बैठा पाता। उदाहरण के लिए, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि में अंतिम संशोधन 2021-22 में किया गया था, जब इसे दिन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए 3,000 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये किया गया था। हालांकि, यह राशि आज के आर्थिक संदर्भ में भी अपर्याप्त है।
सरकार की SC और ST छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं, हालांकि अच्छे इरादों से शुरू की गई हैं, लेकिन पुरानी आय सीमा और नाकाफी छात्रवृत्ति राशि के कारण इनकी प्रभावशीलता कम हो गई है। 2012 से अपरिवर्तित 2.50 लाख रुपये की आय सीमा और नाकाफी छात्रवृत्ति राशि शिक्षा की बढ़ती लागत और महंगाई को पूरा करने में विफल साबित हो रही है। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर नेशनल एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (BANAE) जैसे हितधारकों ने छात्रवृत्ति राशि बढ़ाने और आय सीमा संशोधित करने की मांग उचित ठहराई है, ताकि ये योजनाएं वंचित छात्रों को प्रभावी ढंग से सहायता प्रदान कर सकें।
BANAE के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागसेन सोनारे ने सुधारों की मांग करते हुए आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि 1980 से पहले, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले सभी SC/ST छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती थी, चाहे उनकी आय कुछ भी हो। सोनारे ने सवाल किया कि वर्तमान सरकार इस तरह की समावेशी नीति को अपनाने से क्यों हिचकिचा रही है। BANAE ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति (PMS) को 5,000 रुपये प्रति माह (60,000 रुपये प्रति वर्ष) करने की मांग।
आय सीमा को वर्तमान आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप संशोधित करना ।
छात्रवृत्ति राशि को महंगाई से जोड़ने की मांग, ताकि यह बढ़ती लागत के अनुसार समायोजित हो सके।
1980 से पहले की नीति को फिर से लागू करने की मांग, जिसमें आय सीमा की परवाह किए बिना सभी SC/ST आवेदकों को छात्रवृत्ति दी जाती थी।