TM Ground Report: कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दलित परिवार से किया धोखा! आर्थिक मदद के नाम पर दिए ₹4.5 लाख के चेक बाउंस

10:32 AM Jul 05, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मुकेश लोंगरे की बहन सुभद्रा बाई की आँखें भर आती हैं जब वह द मूकनायक प्रतिनिधि से बीते दिसंबर के उस दिन को याद करती हैं। उनका कहना है, “हमने सोचा था कि मुकेश चला गया, लेकिन उसके बच्चों को कोई सहारा मिल जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने वादा किया था कि वो उनका ख्याल रखेंगे। हमें लगा था अब कांग्रेस के नेता हमारे साथ हैं.. पर सच यही है कि उन्होंने सिर्फ दिखावे के लिए हमारा दुख बाँटा, और फिर हमें अकेला छोड़ दिया।”

दरअसल, 28 दिसंबर 2024 को देवास जिले के सतवास थाना परिसर में एक दलित युवक की संदिग्ध मौत हुई थी। मृतक 35 वर्षीय मुकेश लोंगरे को पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाई थी, लेकिन वह जिंदा वापस नहीं लौट सका। पुलिस ने दावा किया कि मुकेश ने लॉकअप में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, लेकिन परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने हिरासत में बर्बरता से मारपीट की जिससे उसकी मौत हुई।

इस घटना ने देवास और आसपास के क्षेत्रों में आक्रोश फैलाया। दलित संगठनों के साथ कांग्रेस पार्टी ने भी विरोध प्रदर्शन किए। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सतवास थाने का घेराव किया और मृतक मुकेश के दोनों बेटों, अरुण और तरुण को आर्थिक मदद देने की घोषणा की। उन्होंने सार्वजनिक रूप से पांच लाख रुपये की सहायता का वादा किया और तत्काल 50 हजार रुपये नगद तथा 2 लाख 25 हजार रुपये के दो चेक मृतक परिवार को सौंपे।

बैंक में चेक जमा करने की स्लिप

परिवार का आरोप, “झूठा निकला चेक, खाली थे खाते”

अब छह महीने बाद द मूकनायक की टीम जब देवास जिले के माला गांव पहुंची, तो सामने आई एक और पीड़ादायक सच्चाई। मृतक मुकेश के परिवार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने उनके साथ विश्वासघात किया है। जो चेक उन्हें दिए गए थे, वो बाउंस हो गए। जब परिवार ने चेक बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा किए, तो बैंक अधिकारियों ने बताया कि जिन खातों से चेक दिए गए हैं, उनमें पैसे ही नहीं हैं।

मृतक मुकेश के बेटे तरुण और अरुण

सुभद्रा बाई, मृतक की बड़ी बहन ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, “मुकेश के जाने के बाद हमें लगा था कि कम से कम उसके बच्चों के भविष्य के लिए कुछ मदद मिलेगी। लेकिन जो उम्मीदें कांग्रेस नेताओं ने जगाईं, वो महज़ एक दिखावा निकलीं। जीतू पटवारी ने खुद कहा था कि वे बच्चों का ख्याल रखेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

वो बताती हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जो दो चेक दिए थे, उन्हें जब बैंक में जमा किया गया तो बैंककर्मियों ने साफ कहा कि संबंधित खाते में पैसे ही नहीं हैं। “न्याय तो दूर, हमें मुआवज़ा भी नहीं मिला। अब हमें लगने लगा है कि हमारी तकलीफों का राजनीतिक फायदा उठाया गया,” उन्होंने कहा।

रामू लोंगरे मृतक के भाई ने कहा, “हमारे भाई मुकेश की मौत पर जीतू पटवारी ने पूरी तरह राजनीति की। उन्होंने हमारे परिवार को आर्थिक मदद देने का वादा किया, दो चेक भी दिए, लेकिन जब हमने बैंक में चेक लगाए तो वो बाउंस हो गए। इससे बड़ा धोखा क्या हो सकता है?”

रामू आगे बताते हैं कि पटवारी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वह परिवार को 11 एकड़ ज़मीन दिलवाएंगे और बच्चों के लिए दो कमरों का पक्का मकान बनवाएंगे, लेकिन छह महीने बीत गए और उन वादों का कोई अता-पता नहीं है। "जो कहा गया, वो सब झूठ निकला,"

राजनीति बनाम हकीकत

घटना के समय जीतू पटवारी की उपस्थिति और मदद का एलान मीडिया की सुर्खियाँ बना था। लेकिन अब जब परिजन खुद कांग्रेस नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगा रहे हैं, तो सवाल उठता है कि क्या पीड़ितों के साथ महज़ राजनीतिक स्टंट किया गया?

मृतक का बेटा अरुण कहता है, “हमें कहा गया था कि पढ़ाई में मदद मिलेगी, भविष्य सुरक्षित होगा। लेकिन कुछ नहीं हुआ। हमें चुप कराने के लिए सिर्फ दिखावा किया गया।”

ग्रामीणों में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश!

देवास जिले के माला गाँव में अब सिर्फ मुकेश लोंगरे की मौत का दुख ही नहीं है, बल्कि कांग्रेस और उसके नेताओं से गहरी नाराज़गी भी है। खासकर दलित समुदाय के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

गाँव के लोगों का कहना है कि जब बीते 28 दिसंबर को सतवास थाने में मुकेश की संदिग्ध मौत हुई, तब पूरा गाँव आंदोलित था। ग्रामीणों ने थाने का घेराव किया और मुकेश का अंतिम संस्कार रोककर धरना शुरू कर दिया था। ग्रामीणों की मांग थी कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा नहीं दर्ज होता और पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

लेकिन इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी गाँव पहुँचे और पीड़ित परिवार और ग्रामीणों से मुलाकात की। उन्होंने न केवल पाँच लाख रुपये की मदद का वादा किया, बल्कि 11 एकड़ जमीन और दो कमरों का पक्का मकान देने की बात भी कही। ग्रामीणों को लगा कि अब मामला राजनीतिक स्तर पर गंभीरता से उठाया जा रहा है और न्याय मिलेगा। ऐसे में उन्होंने पटवारी के आश्वासन पर भरोसा करते हुए विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया और शव का अंतिम संस्कार किया।

अब छह महीने बाद जब पीड़ित परिवार को मिले चेक बाउंस हो गए और बाकी सारे वादे कोरे निकले, तब ग्रामीणों के भीतर गुस्सा फूट पड़ा है। गाँव के एक युवा अनिल कहते हैं, “हमने कांग्रेस पर भरोसा किया, सोचा कि कम से कम अब बच्चे संभलेंगे। लेकिन जीतू पटवारी सिर्फ झूठे वादे करने आए थे। ये हमारे साथ राजनीतिक छलावा था।”

द मूकनायक से बात करते हुए आज़ाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने कहा कि सतवास थाने में युवक की संदिग्ध मौत के बाद न्याय की माँग को लेकर भीम आर्मी ने थाने का घेराव किया था। उसी दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी वहाँ पहुँचे थे और उन्होंने मीडिया और हम लोगों के सामने पीड़ित परिवार को पाँच लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का वादा किया था।

लेकिन अब हालात यह हैं कि वह पैसा भी परिवार को नहीं मिला। जो चेक दिए गए थे, वो बाउंस हो गए और अब जीतू पटवारी पीड़ित परिवार का फ़ोन तक नहीं उठा रहे। क्या यही है कांग्रेस का दलित प्रेम? मंच पर वादे करना आसान है, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त में दलित समाज के साथ सिर्फ़ छलावा किया जा रहा है।