अलवर- राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली कस्बे में शनिवार 19 अप्रैल को एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। नवकार वाटिका के पास एक पेपर मिल में सीवर टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस और दलदल में फंसने के कारण दो लोगों, लच्छी राम (50 वर्ष) और हेमराज उर्फ आकाश की दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना ने नगर पालिका की कार्यशैली और सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार, खेड़ली कस्बे में सीवरेज लाइन और चैंबर की सफाई के लिए मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के उतारा गया। लच्छी राम, पुत्र मंगतू, और हेमराज उर्फ आकाश, पुत्र सागर वाल्मीकि, सफाई कार्य के दौरान जहरीली गैस के संपर्क में आए और दलदल में फंस गए, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका के अधिकारी केवल यह कहते हुए कि मामले की जांच की जा रही है, चुप्पी साधे हुए हैं।
इस घटना को लेकर अजाक यानी Dr. Ambedkar Anusuchit Jati Adhikari Karmchari Association (AJAK) संगठन ने कड़ा रुख अपनाया है। संगठन के अध्यक्ष श्रीराम चोरडिया ने राजस्थान के मुख्यमंत्री,सहित अधिकारियों को एक पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
पत्र में कहा गया है कि यह घटना न केवल दर्दनाक है, बल्कि यह सफाई कर्मचारियों के प्रति प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती है। संगठन ने बताया कि राजस्थान में पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, जहां सीवर लाइनों और टैंकों की सफाई के दौरान कर्मचारियों की मौत हुई है। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जो सफाई समुदाय के लिए चिंता का विषय है।
पत्र में हाथ से मल उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और पुनर्वास अधिनियम, 2013 की धारा 7 का हवाला दिया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, स्थानीय प्राधिकारी, या एजेंसी किसी व्यक्ति को सीवर लाइन या सेप्टिक टैंक की "जोखिमपूर्ण सफाई" (Hazardous Cleaning) के लिए नियोजित नहीं करेगा। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर धारा 9 के तहत पहली बार उल्लंघन के लिए दो वर्ष तक की कैद, दो लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों, और बाद के उल्लंघनों के लिए पांच वर्ष तक की कैद, पांच लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा का प्रावधान है।
हालांकि, इस कानून के लागू होने के बावजूद, राजस्थान के स्थानीय निकायों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरणों के उतारना आम बात है। इस वजह से हर साल कई सफाई कर्मचारियों की असामयिक और दर्दनाक मृत्यु हो रही है, जिससे उनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं। मृतकों के परिवारों को समय पर मुआवजा या नौकरी भी नहीं मिल पाती।
सीवर में उतरने वाले सफाईकर्मियों को किसी तरह के सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवाए जाते जिससे उनकी मौत होने का खतरा हमेशा बना रहता है। अजाक ने खेड़ली में सीवरेज टैंक की सफाई के प्रकरण में कुछ मांगें रखी हैं जिसमे शामिल हैं:
1. सफाई के दौरान सफाई मृतक परिवारों को शीघ्र पुनर्वास की व्यवस्था कर उन्हें प्रत्येक परिवार को एक-एक करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए।
2. मृतक परिवारों के आश्रितों को एक सदस्य को राजकीय सेवा में नौकरी दिलाई जाए।
3. भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए राज्य सरकार एवं नगर निगम, परिषद, नगर निगम एवं नगर पालिकाओं के स्तर पर तकनीकी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
4. सीवरेज सफाई के कार्य कराने वाले संबंधित दोषी ठेकेदार एवं संबंधित सुपरविजन दोषी, लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्यवाही की जाए।
5. भविषय में हाथ से मेला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुर्नवास अधिनियम 2013 को प्रभावी रूप से लागू करने व समस्त निकायों में सीवर लाईन/सेप्टीक टेंक/मैनहॉल आदि में सफाईकर्मियों को नहीं उतारा जावे।
खेड़ली की यह घटना कोई अलग-थलग मामला नहीं है। राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में सीवर सफाई के दौरान सुरक्षा उपकरणों और मशीनीकृत सफाई प्रणालियों की कमी के कारण सफाई कर्मचारी लगातार जान जोखिम में डाल रहे हैं। बार-बार होने वाली ऐसी मौतें न केवल परिवारों को तबाह कर रही हैं, बल्कि प्रशासन की नाकामी को भी उजागर कर रही हैं।