बेंगलुरु: कर्नाटक दलित उद्यमियों के संघ ने राज्य सरकार से अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) और जनजातीय उपयोजना (TSP) के तहत उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में बजट आवंटन बढ़ाने की मांग की है।
शुक्रवार को बेंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संघ के कार्यकारी अध्यक्ष सी.जी. श्रीनिवासन ने बताया कि 42,018 करोड़ रुपए के कुल बजट में से केवल 400 करोड़ रुपए — यानी कुल बजट का 1% से भी कम — एससीएसपी/टीएसपी के तहत साइट आवंटन, सॉफ्ट सीड कैपिटल फंड, निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी और लोन प्रोसेसिंग शुल्क जैसी योजनाओं के लिए निर्धारित किया गया है।
श्रीनिवासन ने बताया कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच दुकान और साइट खोलने के इच्छुक दलित उद्यमियों को पूंजी सहायता के रूप में 50% हिस्सेदारी दी जाती थी। “2019 में यह हिस्सेदारी बढ़ाकर 75% कर दी गई थी, ताकि दलितों में उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके। इसके परिणामस्वरूप 2,873 अनुसूचित जाति समुदाय के उद्यमियों को लगभग 2,613 एकड़ भूमि आवंटित की गई," उन्होंने कहा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा दलित उद्यमियों के लिए फंड आवंटन अब भी कुल बजट का केवल 1% है।
श्रीनिवासन ने दावा किया कि विभिन्न योजनाओं के तहत ₹850 करोड़ के अनुदान अब भी लंबित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) के तहत 2009 से दलितों को 271.8 एकड़ भूमि के आवंटन में भी भारी पिछड़ापन है।
उन्होंने कहा, "पुराने औद्योगिक क्षेत्रों में जहां 25% भूमि एससी/एसटी उद्यमियों के लिए आरक्षित है, वहां भी भूमि आवंटन में गंभीर भेदभाव हुआ है। कई दलितों को विवादित, ऊबड़-खाबड़ और अनुपयोगी भूमि आवंटित की गई।"
उन्होंने आगे बताया कि खराब भूमि के कारण कई उद्यमी निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना व्यवसाय शुरू नहीं कर सके, जिसके चलते उन्हें जुर्माना भरना पड़ा।
संघ ने सरकार से कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) के अधिकारियों के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार की भी जांच करने और दलित उद्यमियों को आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करने की मांग की है।