मध्य प्रदेश में दलित छात्रों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में देरी, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

05:11 PM Feb 09, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष, उमंग सिंघार, ने हाल ही में प्रदेश के दलित छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति न मिलने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, रामदास आठवले, से इस विषय पर स्पष्टीकरण की मांग की है। सिंघार का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 60% हिस्सेदारी समय पर नहीं दी जा रही है, जिसके कारण छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है।

मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में केंद्र सरकार की 60% और राज्य सरकार की 40% हिस्सेदारी होती है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर SC छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। हालांकि, हाल के समय में छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायतें बढ़ी हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है।

बता दें बीते शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भोपाल पहुँचे थे पर उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उन्होंने पहले भी संसद में दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की वकालत की है और कांग्रेस सरकारों पर इन समुदायों के साथ न्याय न करने का आरोप लगाया है।

छात्रों की समस्याएं और मांगें

भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के छात्र विपिन कुमार, ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा, "छात्रवृत्ति हमारी पढ़ाई का मुख्य सहारा होती है। पिछले दो वर्षों से छात्रवृत्ति मिलने में समस्या आरही है, जिससे फीस भरने और अन्य शैक्षणिक खर्चों में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार कॉलेज प्रशासन से बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि जब सरकार पैसा भेजेगी, तभी हमें मिलेगा।"

विपिन ने आगे बताया कि "मेरे जैसे कई छात्र हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। हम लोग ट्यूशन पढ़ाकर या मजदूरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रवृत्ति समय से नहीं मिलने के कारण, बहुत से छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।"

मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षित वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के नवीनीकरण आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि, अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति वितरण में देरी की समस्या बनी हुई है। इस देरी के पीछे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में धीमापन, बजटीय आवंटन में कमी, और केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी जैसे कारण मुख्य रूप से सामने आते हैं।