दलित सहायक प्रोफेसर का आरोप- BIM त्रिची में फीडबैक सिस्टम में हेरफेर कर नेगेटिव फीडबैक देकर नौकरी से निकाला

11:42 AM Aug 28, 2025 | Geetha Sunil Pillai

त्रिची: भारतीदासन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (बीआईएम-त्रिची) के निदेशक डॉ. असित के. बर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। संस्थान के पूर्व सहायक प्रोफेसर डॉ. सी.एन.एस. रामनाथ बाबू ने उन पर जातिगत भेदभाव, उत्पीड़न और गलत तरीके से नौकरी समाप्त करने का आरोप लगाया है।

मामला बॉयलर प्लांट पुलिस स्टेशन में 24 अगस्त को दर्ज किया गया। 51 वर्षीय रामनाथ बाबू, जो अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित हैं और तिरुनेलवेली के निवासी हैं, बीई, एमबीए तथा पीएचडी डिग्री धारक हैं। उन्होंने अप्रैल 2021 में संस्थान में सहायक प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन किया था। उन्होंने अप्रैल 2023 तक दो वर्ष की प्रोबेशन अवधि पूरी की, लेकिन जुलाई 2023 में उन्हें बिना पूर्व सूचना के समाप्त कर दिया गया।

बाबू ने आरोप लगाया कि डॉ. बर्मा ने उनके खिलाफ जातिगत टिप्पणियां कीं, उन्हें पढ़ाने के अवसरों से वंचित किया, उन्हें मामूली कार्य सौंपे और साथी फैकल्टी सदस्यों के सामने नीचा दिखाया। उन्होंने कहा, "निदेशक डॉ. बर्मा ने मुझे लगातार भेदभाव किया और दलित होने के कारण मेरे साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने 'उच्च जाति' समुदाय के सदस्य होने पर गर्व जताते हुए मुझे विभिन्न स्तरों पर अपमानित किया।" बाबू, जो 'बिजनेस-टू-बिजनेस मार्केटिंग' विषय पढ़ाते थे, ने कहा कि छात्रों से उन्हें शुरू में सकारात्मक फीडबैक मिला, लेकिन बाद में फीडबैक सिस्टम में कथित हेरफेर के कारण नकारात्मक फीडबैक आया।

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जुलाई 2023 में प्रदर्शन के आधार पर हटाए जाने के बाद रामनाथ बाबू ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की और समाप्ति पर रोक हासिल की जिससे वे अपना काम जारी रख सके। नवंबर 2023 में कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन संस्थान ने काउंटर स्टे ऑर्डर प्राप्त कर लिया। अगस्त 2025 में कोर्ट ने कॉलेज द्वारा प्राप्त स्टे को खारिज कर दिया। इसके बावजूद, डॉ. बर्मा ने बाबू को संस्थान में पुनः शामिल होने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद, बाबू ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) को याचिका दी और बॉयलर प्लांट पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर डॉ. बर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

इस मामले में डॉ. बर्मा ने TOI को दिए अपने स्टेटमेंट में कहा की भेदभाव के सभी आरोप गलत हैं और रामनाथ बाबू को सिर्फ उनके परफॉरमेंस के आधार पर हटाया गया है. BIM को एक समावेशी संस्थान बताते हुए बर्मा ने कहा कि वे सभी आरोपों का कानूनी रूप से सामना करेंगे।

इस तरह के मामले उच्च शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव की समस्या को उजागर करते हैं। इससे पहले, आईआईएम बैंगलोर में भी दिसंबर 2024 में निदेशक रिषिकेश टी. कृष्णन, डीन और छह अन्य फैकल्टी सदस्यों (कुल 8) के खिलाफ एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास, जो दलित हैं, के साथ जातिगत भेदभाव, अपमान और बहिष्कार के आरोप में एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में भी पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी।