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पुदुचेरी में आदिवासी आरक्षण की गड़बड़ियों पर VCK की चिंता, मानवशास्त्रीय अध्ययन की मांग

पुदुचेरी। विदुथलाई चिरुथइगल काची (VCK) ने पुदुचेरी में आदिवासी समुदायों को दिए जा रहे आरक्षण में हो रही अनियमितताओं को सुधारने के लिए मानवशास्त्रीय (Anthropological) अध्ययन कराए जाने की मांग की है।

VCK ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में कहा है कि वर्ष 2010 में पांच समुदायों – इरुलर, कट्टुनायक्कन, कुरुमान्स, येरुकुला और मलैकुरवन – को पुदुचेरी में Backward Tribes (BT) घोषित किया गया था। इसके बाद इन्हें एक प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया।

इरुलर को मिला ST दर्जा, बाकी चार BT में बने रहे

ज्ञापन के अनुसार, वर्ष 2016 में इरुलर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दे दिया गया और उन्हें 0.5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया गया। वहीं शेष चार समुदाय BT श्रेणी में बने रहे, जिन्हें संयुक्त रूप से 0.5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

लेकिन समय के साथ यह पाया गया कि कुछ असंबंधित जाति समूह भी समान नामों का उपयोग कर BT श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर –

  • कुरवन नाम का प्रयोग कट्टुनायक्कन श्रेणी में,

  • Otters का नाम कुरुमान्स की श्रेणी में,

  • जोगी और शिकारी/वेट्टैकारर का नाम कट्टुनायक्कन में,

  • बूम बूम मट्टुक्करन और कुदुकुडुपाई का नाम येरुकुला समुदाय में किया जा रहा है।

VCK के प्रिंसिपल सेक्रेटरी देव पोझिलन ने ज्ञापन में कहा कि यह स्थिति वास्तविक समुदायों के अधिकारों को प्रभावित कर रही है।

असली लाभार्थियों की पहचान के लिए अध्ययन जरूरी

देव पोझिलन ने मांग रखी कि कुरुमान्स, मलैकुरवन, येरुकुला और कट्टुनायक्कन नामों के तहत आने वाले वास्तविक सामाजिक समूहों की सही पहचान और प्रमाणीकरण के लिए एक व्यापक मानवशास्त्रीय अध्ययन कराया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल असली समुदाय ही आरक्षण का लाभ उठा पाएं।

वागरी समुदाय को ST सूची में शामिल करने की मांग

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि वागरी (नरिकुरवन/कुरुविक्करन) समुदाय को पुदुचेरी में ST श्रेणी में शामिल किया जाए। बताया गया कि तमिलनाडु सरकार पहले ही इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर चुकी है।

VCK ने आयोग से आग्रह किया कि वह पुदुचेरी सरकार को निर्देश दे कि जाति प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता और जातीय पहचान की जांच की एक ठोस व्यवस्था बनाई जाए, ताकि आरक्षण का लाभ केवल पात्र वर्गों तक ही सीमित रहे।

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