तिरुवनंतपुरम: पेरूरकडा पुलिस स्टेशन में अवैध हिरासत और मानसिक प्रताड़ना का शिकार हुई दलित महिला बिंदु आर का बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसकी वजह यह है कि राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने निर्देश दिया है कि बयान दर्ज करते समय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा नियुक्त महिला वकील की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
इस निर्देश के बाद क्राइम ब्रांच डीवाईएसपी के.ए. विद्याधरन ने तिरुवनंतपुरम DLSA के सचिव को पत्र लिखकर जल्द से जल्द महिला वकील की नियुक्ति की मांग की है।
इस मामले की जांच पठानमथिट्टा के क्राइम ब्रांच डीवाईएसपी को सौंपी गई है, क्योंकि SHRC ने स्पष्ट किया था कि चूंकि इसमें तिरुवनंतपुरम जिले के कार्यरत पुलिसकर्मी शामिल हैं, इसलिए जिले से बाहर के अधिकारी को जांच सौंपी जाए।
सूत्रों के मुताबिक SHRC ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन हो और पीड़िता के अधिकारों और गरिमा की रक्षा की जाए।
जैसे ही बिंदु का बयान दर्ज हो जाएगा, जांच अधिकारी पेरूरकडा थाने से दस्तावेज़ों की जांच शुरू करेंगे। इसमें सेंट्री रिपोर्ट और अन्य प्रमाणित प्रतियों की जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इस मामले में और पुलिसकर्मी शामिल थे।
इन दस्तावेज़ों से यह खुलासा होने की उम्मीद है कि थाने के स्टाफ ने किस हद तक अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर बिंदु को डराया-धमकाया। बिंदु, जो घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थीं, को 23 अप्रैल को उनके नियोक्ता ओमाना डेविस द्वारा चोरी के झूठे आरोप में करीब 20 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
घटना के बाद पेरूरकडा थाने के एसआई एस.जी. प्रसाद और एएसआई प्रसन्ना कुमार को उनके कृत्यों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। प्रसन्ना, जो थाने की जनरल डायरी (GD) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, पर आरोप है कि उन्होंने अवैध हिरासत में मदद की, जातिसूचक टिप्पणियां कीं, और यहां तक कि बिंदु को पीने के लिए टॉयलेट का पानी पीने को कहा जब उन्होंने पीने के पानी की मांग की। विशेष शाखा के सहायक आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर प्रसाद को निलंबित किया गया।
हालांकि बिंदु के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, बाद में शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि गहने घर पर ही मिल गए हैं, जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
बिंदु ने इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी. सासी ने कथित तौर पर उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। हालांकि, जब यह मामला सार्वजनिक आक्रोश का कारण बना, तो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे "अस्वीकार्य" बताते हुए कड़ी निंदा की।
यह था पूरा मामला
बिंदु, जो एक घरेलू कामगार हैं और चुल्लिमनूर की रहने वाली हैं, पर उनके मालिक ने 23 अप्रैल को एक सोने की चेन चोरी करने का आरोप लगाया। इस शिकायत के आधार पर पेरूरकडा पुलिस ने उन्हें फोन कर थाने बुलाया। थाने पहुंचने पर पीड़िता ने बार-बार कहा कि वह निर्दोष है, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी।
बिंदु के अनुसार, एक महिला पुलिस अधिकारी ने उन्हें एक कमरे में ले जाकर उनके कपड़े उतरवाए और तलाशी ली। फिर पुलिस उन्हें उनके घर ले गई और वहां भी तलाशी ली गई। इस दौरान उन्हें परिवार से बात करने की इजाजत नहीं दी गई, न ही भोजन और पानी दिया गया।
बिंदु ने मीडिया से बातचीत में बताया, "जब मैंने पानी मांगा तो एक पुलिसकर्मी ने कहा – 'शौचालय जाओ और वहां से पी लो'।"
रातभर हिरासत में, बेटियों को फंसाने की दी थी धमकी
बिंदु ने बताया कि उन्हें पूरी रात थाने में रखा गया और अगली सुबह तक पूछताछ जारी रही। FIR दर्ज कर ली गई और पुलिस ने उन्हें धमकाया कि यदि उन्होंने चोरी स्वीकार नहीं की, तो उनकी नाबालिग बेटियों को भी मामले में फंसा दिया जाएगा।
बाद में जब घर की मालकिन और उनकी बेटी दोबारा थाने पहुंचीं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें 'माफ' कर दिया गया है। कुछ समय बाद पता चला कि चोरी हुई सोने की चेन घर में ही मिल गई थी, और शिकायतकर्ता ने खुद स्वीकार किया कि आरोप झूठा था।
CMO में शिकायत की हुई थी अनदेखी
जब बिंदु ने एक वकील की मदद से मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी. सासी को लिखित शिकायत दी, तो उनका दावा है कि सासी ने न तो शिकायत पढ़ी और न ही कोई आश्वासन दिया। बिंदु ने कहा था, "उन्होंने कहा कि ऐसा तो होता ही है और मुझे कोर्ट में जाने की सलाह दे दी।"
हालांकि बाद में CMO की ओर से सफाई दी गई कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया गया था। लेकिन बिंदु के अनुसार, उन्होंने CMO से यह भी आग्रह किया था कि उनके ऊपर झूठा आरोप लगाने वाली महिला पर केस दर्ज किया जाए, जिसे खारिज कर दिया गया।