फुलवारी शरीफ- गणतंत्र दिवस के मौके पर जहां अमृतसर में बाबा साहब की मूर्ति को तोड़ा गया वहीं उसी दिन बिहार में एक दलित विधायक को जाति की वजह से अपमानित होना पड़ा।
सीपीआई(एमएल) के विधायक गोपाल रविदास ने शिकायत दर्ज कराई है कि स्थानीय लोगों ने उन्हें एक सरकारी स्कूल के भवन का उद्घाटन करने से इसलिए रोक दिया क्योंकि वे अनुसूचित जाति से हैं।
यह कथित घटना 26 जनवरी के दिन बिहार के पारसा बाजार थाना क्षेत्र में हुई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है।
जैसे ही रविदास कुर्थौल में भवन का उद्घाटन करने पहुंचे, कुछ लोगों ने कथित तौर पर विरोध करना शुरू कर दिया।
फुलवारी शरीफ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक ने आरोप लगाया कि समूह ने न केवल उनके खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां कीं बल्कि उन्हें धक्का देकर साइड में कर दिया। धक्का-मुक्की के कारण उन्हें वहां से लौटना पड़ा।
रविदास ने स्थानीय मीडिया को बताया कि, "मैं अपने समर्थकों के साथ सरकारी स्कूल (हायर सेकेंडरी) के नए भवन का उद्घाटन करने गया, जो मेरी सिफारिश पर बनाया गया है। जैसे ही मैं दोपहर 3 बजे वहां पहुंचा, प्रभावशाली जाति के करीब 50 लोगों ने मेरा विरोध करना शुरू कर दिया। भीड़ में कुछ लोगों ने कहा कि कोई चमार और दुसाध (अनुसूचित जाति समुदाय) स्कूल भवन का उद्घाटन नहीं करेगा और इसका उद्घाटन उनकी जाति के लोग करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा: "मुझे न केवल स्कूल भवन का उद्घाटन करने का अधिकार नहीं दिया गया बल्कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने की भी अनुमति नहीं दी गई। स्थिति बिगड़ रही थी और अगर मैं परिसर से नहीं निकलता तो बड़ी लड़ाई हो सकती थी। इसलिए मैं वहां से चला गया। जिन लोगों ने मेरा अपमान किया, वे भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) के समर्थक थे।"
शिकायत में विधायक ने तीन लोगों के नाम का जिक्र किया है जिन्होंने कथित तौर पर उनके खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां कीं। परसा बाजार थाने में 4 नामजद और 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
पारसा बाजार थाना की एसएचओ मेनका रानी ने मीडिया को बताया कि विधायक की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच चल रही है। अभी मैं यह नहीं कह सकती कि उनके खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां की गईं या नहीं।