औरंगाबाद- महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार को एक ऐसी घटना घटी, जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में दर्ज हो गई- वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के नेतृत्व में अंबेडकरवादी संगठनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय के ठीक बाहर पहली बार सीधा जन आक्रोश मोर्चा निकाला। हजारों प्रदर्शनकारियों ने 'जय भीम' और 'मनुवाद मुर्दाबाद' के नारों से हवा गुंजाई, तो RSS सदस्यों ने कार्यालय बंद कर निकल जाने का रास्ता अख्तियार कर लिया।
इस शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ चुनौती के केंद्र में थे तीन प्रतीकात्मक उपहार, जो VBA ने RSS को सौंपने का इरादा रखा था- भारतीय संविधान की प्रति, राष्ट्रीय तिरंगा और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट। ये उपहार न सिर्फ RSS की वैचारिक कमजोरी को उजागर करते हैं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों, राष्ट्रीय गौरव और कानूनी अनुपालन की याद दिलाने का माध्यम भी बने। हजारों की संख्या में उमड़े प्रदर्शनकारियों ने फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा को मजबूत करने का संकल्प लिया और RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
VBA के नेतृत्व में यह मोर्चा अंबेडकरवादी राजनीतिक समूहों और संगठनों के संयुक्त प्रयास का नतीजा था। VBA प्रमुख और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के प्रपौत्र सुजात अंबेडकर ने नेतृत्व किया, जबकि VBA के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर ने इसे 'राजनीतिक हिम्मत' का प्रतीक बताया। स्थानीय स्तर पर सम्यक विद्यार्थी कॉलेज जैसे छात्र संगठनों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो कुछ दिनों पहले RSS के 'जॉइन RSS' अभियान के खिलाफ खड़े हुए थे।
सुजात अंबेडकर ने प्रदर्शन स्थल पर भाषण देते हुए कहा, "हम हिंसा भड़काने नहीं, बल्कि RSS को याद दिलाने आए थे कि कोई संगठन संविधान से ऊपर नहीं।" उन्होंने बताया कि VBA RSS को तीन प्रतीकात्मक उपहार देने आया है:
भारतीय संविधान की प्रति - ताकि RSS अपनी गतिविधियां संवैधानिक ढांचे में चलाए।
राष्ट्रीय ध्वज - RSS को सभी कार्यालयों में तिरंगा फहराने और 15 अगस्त को 'काला दिवस' न मनाने की याद दिलाने के लिए।
महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति - RSS को अविवाहित संगठन होने के बावजूद कानूनी पंजीकरण कराने में मदद के लिए।
हालांकि, RSS सदस्यों ने कार्यालय बंद होने का बहाना बनाकर भाग निकलने का रास्ता अख्तियार कर लिया। अंततः औरंगाबाद के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) ने इन उपहारों को RSS की ओर से स्वीकार किया। सुजात अंबेडकर ने तंज कसते हुए कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए 7,000 पुलिसकर्मी क्यों तैनात? RSS का यह कायराना रवैया संविधान और तिरंगे के प्रति उनकी घृणा को उजागर करता है।"
यह प्रदर्शन RSS के हालिया 'जॉइन RSS' अभियान के जवाब में आयोजित किया गया, जो औरंगाबाद के पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में बिना अनुमति के चला था। VBA से जुड़े सम्यक विद्यार्थी कॉलेज के छात्रों ने जब सवाल उठाए, तो उन पर गैर-जमानती धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज कराए गए। सुजात अंबेडकर ने सवाल उठाया, "राष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ खड़ी RSS को कॉलेज में घुसने की इजाजत क्यों? छात्रों पर क्यों कार्रवाई, जबकि वे लोकतांत्रिक तरीके से सवाल कर रहे थे?"
VBA के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने कहा, "RSS को पहले खुद कानूनी पंजीकरण कराना चाहिए। बाबासाहेब अंबेडकर और उनके वंशज ही RSS का मुकाबला कर सकते हैं। देश अंबेडकर के संविधान से चलेगा, न कि मनुवाद से।" वहीं, VBA के राज्य उपाध्यक्ष फारुख अहमद ने RSS को 'देशद्रोही' करार देते हुए कहा, "जो संविधान, तिरंगे और अशोक स्तंभ का सम्मान न करे, वह देश का गद्दार है। अवैध संगठन RSS के प्रमुख मोहन भागवत को जेल में डालना चाहिए।"
प्रदर्शनकारियों की शपथ: फुले-शाहू-अंबेडकरवाद का संकल्प
मोर्चे के दौरान VBA के फुले-शाहू-अंबेडकरवादियों ने पांच सूत्री शपथ ली:
RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग।
बाबासाहेब के संविधान की रक्षा।
फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा पर चलना।
भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना को कभी वोट न देना।
देश को फुले-शाहू-अंबेडकरवाद से चलाना, मनुवाद से नहीं।
प्रकाश अंबेडकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, "RSS के दरवाजे पर मोर्चा निकालने की हिम्मत सिर्फ VBA में है। अन्य पार्टियां इतने सालों में क्यों नहीं कर सकीं? RSS मुर्दाबाद! जय फुले, जय शाहू, जय भीम, जय संविधान!"
यह प्रदर्शन महाराष्ट्र में हिंदुत्व राजनीति के खिलाफ बहुजन और अंबेडकरवादी शक्तियों की बढ़ती एकजुटता को दर्शाता है। VBA ने RSS और भाजपा पर सामाजिक न्याय व धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करने का आरोप लगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना RSS के कानूनी दर्जे और शासन पर प्रभाव पर बहस को तेज करेगी।
VBA ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ शुरुआत है। यह मोर्चा न सिर्फ प्रतीकात्मक था, बल्कि राजनीतिक संदेश भी दे गया: अंबेडकरवादी आंदोलन RSS की विचारधारा को हराएगा, चाहे इसमें जितना समय लगे।