नई दिल्ली। भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर एक बार फिर से एक मनुवादी विवाद खड़ा किया गया है। हाल ही में एक स्वयंभू ‘स्वामी’ ने दावा किया कि भारतीय संविधान बाबासाहेब ने नहीं, बल्कि सर बी. एन. राव ने तैयार किया था। यह दावा न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान है, बल्कि उस महामानव की अमूल्य विरासत को जानबूझकर झुठलाने की साज़िश भी है।
पर सवाल यह है: क्या यह सच है? क्या बाबासाहेब केवल एक प्रतीक मात्र थे?
संविधान सभा की ऐतिहासिक बहसें इस झूठ का पूरी तरह पर्दाफाश करती हैं। संविधान सभा के दर्जनों सम्माननीय सदस्यों—डॉ. राजेंद्र प्रसाद, टी. टी. कृष्णमाचारी, डॉ. पट्टाभि सीतारमैया, एस. नागप्पा, फ्रैंक एंथनी और कई अन्य—ने सार्वजनिक रूप से डॉ. आंबेडकर की असाधारण भूमिका को स्वीकार किया था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, "उन्हें प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाना हमारा सबसे सही निर्णय था। उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद दिन-रात काम कर इतिहास रच दिया।"
टी. टी. कृष्णमाचारी ने खुलासा किया था कि प्रारूप समिति के अधिकांश सदस्य या तो अनुपस्थित थे या असमर्थ, इसलिए “पूरी जिम्मेदारी अंततः डॉ. आंबेडकर के कंधों पर आ गई।”
एस. नागप्पा ने कहा था, “अस्पृश्य वर्गों के हितों की सबसे सशक्त आवाज़ बाबासाहेब ही थे। उनके कारण ही हम आश्वस्त हो पाए।”
इन ऐतिहासिक वक्तव्यों से यह स्पष्ट है कि बाबासाहेब न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि उसके असली शिल्पकार भी थे। संविधान सभा के दस्तावेज़ मनगढ़ंत दावों को ध्वस्त कर देते हैं।
राष्ट्र निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर आधुनिक भारत के सबसे बुद्धिमान, दूरदर्शी और असाधारण प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों में से एक हैं। जीवन के लगभग हर पहलू में उनका योगदान रहा है, जिसे अक्सर भुला दिया जाता है। विशेष रूप से भारत का संविधान तैयार करना, जो स्वतंत्र भारत को एकता, अखंडता, बंधुत्व, न्याय और विकास का ढांचा प्रदान करता है।
डॉ. आम्बेडकर ने गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, दिन-रात काम करके इस देश के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संविधानों में से एक का निर्माण किया।
संविधान सभा के सदस्यों द्वारा डॉ. आम्बेडकर की भूमिका पर प्रतिक्रियाएं:
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (संविधान सभा के अध्यक्ष):
“प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. आम्बेडकर ने अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद जिस निष्ठा और उत्साह से कार्य किया, वह प्रशंसनीय है… उन्होंने स्वयं को सही साबित किया और अपने कार्य से चार चाँद लगा दिए।”
टी.टी. कृष्णमाचारी (मद्रास):
“प्रारूप समिति के सात में से कई सदस्य या तो अनुपस्थित रहे या त्यागपत्र दे चुके थे। अंततः संपूर्ण जिम्मेदारी डॉ. आम्बेडकर पर ही आ गई, जिसे उन्होंने अत्यंत कुशलता से निभाया।”
डॉ. बी. पट्टाभि सीतारमैया (मद्रास):
“डॉ. आम्बेडकर ने इस जबरदस्त कार्य को अजेय बुद्धिमत्ता से पूर्ण किया। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि जो उन्हें उचित लगता है, उसका वे दृढ़ता से पालन करते हैं।”
श्री एस. नागप्पा (मद्रास):
“अस्पृश्य वर्गों के सबसे बड़े पैरोकार के रूप में जब उन्हें प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया, तो उसी दिन उनकी बात पूरी हो गई। उन्होंने सिद्ध किया कि यदि अवसर मिले, तो अनुसूचित जातियाँ ऊँचाइयों तक पहुँच सकती हैं।”
फ्रैंक एंथनी (सीपी एंड बरार):
“संविधान के निर्माण में डॉ. आम्बेडकर ने अद्भुत स्पष्टता और विस्तृत दृष्टिकोण प्रदर्शित किया है। कई बार असहमति के बावजूद, उनके तार्किक कौशल की प्रशंसा करनी ही पड़ती है।”
पंडित बालकृष्ण शर्मा (यूपी):
“प्रारूप समिति और डॉ. आम्बेडकर संकीर्णता से प्रेरित नहीं थे। उनका कार्य पूर्णतः न्यायोचित और राष्ट्र के हित में था।”
हर गोविंद पंत (यूपी):
“डॉ. आम्बेडकर ने संविधान के प्रावधानों को जिस विद्वता और स्पष्टता से प्रस्तुत किया, उसके लिए उन्हें 'पंडित' कहना भी उचित है।”
ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर (पंजाब):
“डॉ. आम्बेडकर और समिति के सदस्यों ने विषम परिस्थितियों में अत्यंत परिश्रम से यह प्रारूप तैयार किया, इसके लिए वे हमारी बधाई के पात्र हैं।”
श्री केशवराव जेधे (बॉम्बे):
“तीन वर्षों तक चले कठिन श्रम के बाद जो महान कार्य उन्होंने पूर्ण किया, वह अद्वितीय है। उन्हें 'विधान ऋषि' कहना उपयुक्त नहीं होगा क्योंकि वे उन वर्णों से घृणा करते थे जिन्होंने जातियाँ बनाईं।”
श्री जे.जे.एम. निकोल्स-रॉय (असम):
“संविधान निर्माण में डॉ. आम्बेडकर और उनके सहयोगियों का कार्य महान है। यह सबसे उत्कृष्ट संविधान है जो परिस्थितियों में बनाया जा सकता था।”
श्री एच. जे. खांडेकर (सीपी एंड बरार):
“यह भारत का कानून है जिसे डॉ. आम्बेडकर ने बनाया है। यह कानून भारत को वास्तव में स्वर्ग बना सकता है।”
डॉ. जोसेफ अल्बान डिसूजा (बॉम्बे):
“डॉ. आम्बेडकर और उनकी प्रारूप समिति की परिश्रमी यात्रा एक स्मारकीय कार्य है। यह विधिवेत्ताओं द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कृति है।”
बेगम एजाज रसूल (यूपी):
“प्रारूप समिति और डॉ. आम्बेडकर को यह महान कार्य सौंपा गया और उन्होंने इसे अत्यंत कुशलता से पूरा किया।”
पं. ठाकुर दास भार्गव (पंजाब):
“डॉ. आम्बेडकर ने प्रस्तावना में 'बंधुत्व' शब्द जोड़ा, जो इस संविधान की आत्मा है।”
श्री गोविंद वल्लभ पंत, श्री जयपाल सिंह, श्री रघुनाथ राव, श्री शंकरराव देव, श्री एम. अय्यर, और अन्य सदस्यों ने भी संविधान निर्माण में डॉ. आम्बेडकर की असाधारण भूमिका को ऐतिहासिक रूप से सराहा।
निष्कर्ष
डॉ. भीमराव आम्बेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि भारत को सामाजिक न्याय, समानता और गरिमा का मार्ग दिखाने वाले युगपुरुष भी थे। यह लेख उन ऐतिहासिक वक्तव्यों का संकलन है जो स्वयं संविधान सभा के सदस्यों द्वारा डॉ. आम्बेडकर की भूमिका को प्रमाणित करते हैं। यह हर उस व्यक्ति के लिए उत्तर है जो बाबासाहेब की भूमिका को नकारना चाहता है।
नोट: संविधान सभा की पूरी कार्यवाही और वक्तव्य सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। इन्हें पढ़ना और साझा करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि झूठ और नफ़रत की राजनीति को ठोस ऐतिहासिक तथ्यों से जवाब दिया जा सके।