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BU हॉस्टल विवाद: ABVP से जुड़ी छात्राओं ने नियमों को धार्मिक रंग देने की कोशिश की?

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में हाल ही में एक विवाद ने तूल पकड़ा, जिसमें हॉस्टल की चीफ वार्डन आयशा रईस पर छात्राओं को मंदिर जाने और सुंदरकांड पढ़ने के कारण माफीनामा लिखवाने का आरोप है। यह विवाद और भी गंभीर हो गया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय परिसर के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और रामधुन कार्यक्रम आयोजित किया। लेकिन 'द मूकनायक' की पड़ताल में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो मामले में धार्मिक विवाद के बजाय, एक हॉस्टल में प्रवेश न मिलने के चलते उपजे विवाद को दर्शाते हैं! अब सवाल यह खड़ा हो रहा है, की क्या इस मुद्दे पर धार्मिक रंग चढ़ाकर चीफ वार्डन, और वार्डन को हटवाए जाने की रणनीति थी? या सिर्फ सुर्खियों के लिए धार्मिक विवाद पैदा किया गया था?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने यह दावा किया था, कि वॉर्डन अनिता तिलवानी ने उन्हें सुंदरकांड पढ़ने और मंदिर जाने से रोका। इतना ही नहीं, वॉर्डन ने छात्राओं से माफीनामा भी लिखवाया। छात्राओं के अनुसार, वॉर्डन ने कहा कि यदि उन्हें मंदिर जाना है, तो पहले विश्वविद्यालय प्रशासन से इजाजत लेनी होगी। इस मुद्दे को लेकर ABVP ने विश्वविद्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन हमारी पड़ताल में यह सामने आया कि मीडिया से बातचीत कर दावा करने वाली छात्राएं स्वयं हॉस्टल में नहीं रहती है। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी छात्राएं है। जिन्होंने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाए है।

समझिए कैसे शुरू हुआ विवाद?

दरअसल, विश्वविद्यालय के सूत्रों एवं आरोपों के अनुसार, बीयू में बीपीएड की छात्रा और एबीवीपी से जुड़ी प्रीति पवार ने इस वर्ष हॉस्टल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन पात्रता न होने के कारण उन्हें इस बार प्रवेश नहीं दिया गया। एडमिशन के लिए अन्य छात्र नेताओं द्वारा वार्डन पर दवाब भी डाला गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो इससे नाखुश होकर प्रीति ने मौका मिलते ही हॉस्टल की वार्डन पर आरोप लगाए कि उन्होंने छात्राओं को मंदिर जाने से रोका और माफीनामा लिखवाया!

बीते 22 अक्टूबर से इस मामले की शुरुआत हुई, जब बीयू कैंपस स्थित मंदिर में सुंदरकांड का कार्यक्रम था, जिसमें करीब दो दर्जन छात्राएं शामिल हुईं। विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, छात्राओं को शाम 7:30 बजे तक हॉस्टल में लौटना होता है, सुंदरकांड के कार्यक्रम पहुँचीं सभी छात्राएं शाम 7:30 तक हॉस्टल पहुँच कर रजिस्टर पर इंट्री कर चुकी थी। लेकिन 7 लड़कियां करीब 8 बजे हॉस्टल में दाखिल हुईं। लेट होने के कारण वॉर्डन ने उन्हें समझाइश दी और फिर कभी देरी नहीं करने की बात कहकर उन्हें कमरों में जाने को कहा। छत्राओं से लिखित रूप से न माफी नामा लिया और न ही उन्हें मंदिर जाने से रोका। सिर्फ नियम के अनुसार उन्हें कैम्पस में समय पर आने की हिदायत देकर अनुशासन का पालन करने को कहा, जो सुरक्षा की दृष्टि के अनुरूप था।

हॉस्टल की उन्ही छत्राओं ने यह बात एबीवीपी से जुड़ी छात्र प्रीति पवार को बताई जिसके बाद मंदिर पर रोक लगाने का विवाद गहरा गया। बीते 11 नवम्बर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस मामले में बीयू में प्रदर्शन किया। विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र नेताओं ने यह दावा किया कि हॉस्टल की वार्डन ने छात्राओं को मंदिर जाने से रोका। इस मामले को पूरी तरह धार्मिक रंग देने की कोशिश की गई, लेकिन जिस वार्डन पर यह आरोप है, वह खुद भी हिन्दू है।

छात्रा ने वार्डन पर लगाए आरोप।

इधर, छात्रा प्रीति पवार और एक अन्य छात्रा ने 'जी न्यूज' को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि 'हॉस्टल की वार्डन के द्वारा छत्राओं से कहा गया कि वह बगैर अनुमति के मंदिर नहीं जा सकती। उन्हें मंदिर या भंडारे कार्यक्रम में जाने के लिए अनुमति लेनी होगी।' लेकिन बता दें कि प्रीति स्वयं ही हॉस्टल की छात्रा नहीं है। विरोध प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा को छोड़कर सभी छात्राएं हॉस्टल में नहीं रहती। वह एक छात्रा भी महारानी लक्ष्मीबाई हॉस्टल की है, और यह पूरा विवाद इंद्रा गांधी हॉस्टल से सम्बंधित है।

हॉस्टल की छत्राओं ने कहा, "मंदिर जाने पर कोई रोक नहीं"

बीयू हॉस्टल की छात्राओं ने बताया कि उन्हें मंदिर जाने से रोकने का कोई निर्देश नहीं हैं। द मूकनायक ने कुछ छत्राओं से बातचीत की। नाम न लिखने की शर्त पर एक छात्रा ने कहा कि "उन्हें कभी मंदिर जाने के लिए नहीं रोका गया है, वॉर्डन की ओर से सिर्फ समय पर हॉस्टल केम्पस में आने को कहा जाता है।" एक अन्य छात्रा ने बताया कि "जो छात्राएं यह आरोप लगा रही हैं। वह स्वयं हॉस्टल में नहीं रहती।"

NSUI ने लगाए आरोप

एनएसयूआई के जिला उपाध्यक्ष प्रतीक यादव ने द मूकनायक से बातचीत में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि एबीवीपी की पदाधिकारी प्रीति पवार को छात्रावास में प्रवेश न दिए जाने के मुद्दे को लेकर, एबीवीपी ने चीफ वॉर्डन और वॉर्डन पर अनावश्यक आरोप लगाए हैं। प्रतीक यादव के अनुसार, यह मामला पूरी तरह से नियमों के पालन और अनुशासन से जुड़ा है, लेकिन इसे जबरन धार्मिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।

वहीं, द मूकनायक से बातचीत करते हुए प्रीति पवार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “हॉस्टल में प्रवेश पाने के लिए सभी छात्राओं को आवेदन करना पड़ता है, और हमने भी वही प्रक्रिया अपनाई।” प्रीति ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में वह हॉस्टल में नहीं रह रही हैं।

चीफ वार्डन ने कहा, "धार्मिक मुद्दा बनाने की की गई कोशिश"

बीयू हॉस्टल की चीफ वार्डन आयशा रईश ने एक निजी चैनल से कहा कि जानबूझकर इसे एक धार्मिक मुद्दा बनाया जा रहा है जबकि ऐसा कुछ नहीं है। इसे अनुशासन का मामला माना जाना चाहिए, न कि धार्मिक मुद्दा। उन्होंने कहा कि यह मामला "शॉर्ट आउट" किया जा चुका था और वाइस चांसलर द्वारा जांच के लिए एक समिति गठित कर दी गई है। वार्डन ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार केवल अनुशासन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छात्राओं के समय पर आने की निगरानी की जाती है।

हॉस्टल की वार्डन का कहना है कि मामला मेट्रन और वार्डन का है, जिसमें कुछ बातों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। चीफ वार्डन का मुख्य कार्य विद्यार्थियों की सुरक्षा और अनुशासन का पालन सुनिश्चित करना होता है। छात्राओं को कैंपस में आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि उनकी उपस्थिति और गतिविधियां नियमानुसार दर्ज हों। कभी-कभी छात्राओं के समय पर न लौटने पर चिंता होना स्वाभाविक है, ये अनुशासन का ही पक्ष है। नियमानुसार देर शाम को हॉस्टल परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। किसी को मंदिर जाने से नहीं रोका गया।

इस मामले में द मूकनायक से बातचीत करते हुए, बीयू के कुलपति एसके जैन ने कहा कि फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद कुछ कह सकते है।

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