जालंधर/ नई दिल्ली- बहुजन समुदाय अप्रैल में दलित हिस्ट्री माह मना रहा है, जिसका केंद्र बिंदु 14 अप्रैल को बाबा साहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती है। यह वह शख्सियत हैं जिन्होंने भारत को उसका संविधान दिया, समानता और सामाजिक न्याय का संदेश फैलाया, और दलितों के उत्थान के लिए जीवन समर्पित किया। लेकिन दुखद विडंबना यह है कि वर्षों बाद भी उनकी विरासत पर हमले जारी हैं।
उनकी मूर्तियां, जो सामाजिक एकता और सम्मान का प्रतीक हैं, बार-बार निशाने पर आ रही हैं। ताजा मामला पंजाब के जालंधर से सामने आया है, जहां फील्लौर के नंगल गांव में 31 मार्च को अंबेडकर की मूर्ति के साथ तोड़फोड़ की गई। इस घटना के बाद अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने जिम्मेदारी ली। इसने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या बाबा साहेब की विचारधारा को स्वीकार करने में समाज अभी भी पीछे है?
पंजाब के जालंधर जिले और दोआबा क्षेत्र में बाबा साहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की 56 मूर्तियों को सख्त निगरानी में रखा गया है। यह कदम 31 मार्च को फील्लौर के नंगल गांव में अंबेडकर की मूर्ति के साथ हुई तोड़फोड़ और अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की धमकी के बाद उठाया गया है। SFJ के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने उसी दिन एक वीडियो जारी कर इस घटना की जिम्मेदारी ली थी और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती से पहले पंजाब में उनकी सभी मूर्तियों को हटाने की धमकी दी थी।
पन्नू ने अपने सोशल मीडिया संदेश में अंबेडकर के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, "पंजाब में अंबेडकर की मूर्तियां गिरनी चाहिए। एक ऐसे व्यक्ति ने, जिसने सिखों को हिंदू करार दिया और 1984 के सिख नरसंहार की परिस्थितियों में योगदान दिया, उसे सिख धरती पर सम्मान नहीं मिलना चाहिए।"
फील्लौर में क्या हुआ?
31 मार्च को फील्लौर के नंगल गांव में डॉ. बीआर अंबेडकर की मूर्ति के कांच के ढाल को तोड़ा गया और उस पर खालिस्तानी नारे लिखे गए। इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और दो संदिग्धों, सुखबीर सिंह उर्फ राजन (32) और अवतार सिंह उर्फ तारी, दोनों नकोदर के नूरपुर छट्ठा गांव के निवासियों, को गिरफ्तार किया। जालंधर रेंज के डीआईजी नवीन सिंगला ने बताया कि ये दोनों पिछले कुछ समय से क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों में सक्रिय थे और इनका संपर्क विदेश में बैठे दो हैंडलर से था।
डीआईजी नवीन सिंगला ने बताया कि जालंधर ग्रामीण क्षेत्रों में अंबेडकर की 56 मूर्तियों और स्मारकों को सीसीटीवी निगरानी में रखा जाएगा। इसके अलावा, कुछ मूर्तियों को कांच के कवर से सुरक्षित किया जाएगा। पुलिस ने पीसीआर, रात्रि गश्त टीमें और नाके लगाकर सुरक्षा बढ़ा दी है। हर जिले में 250 पुलिसकर्मी रात की गश्त के लिए तैनात हैं, जबकि जालंधर रेंज में कुल 700 कर्मचारी सक्रिय रहेंगे। प्रति जिला दो गजटेड अधिकारी सहित रेंज में 6-7 अधिकारी निगरानी करेंगे। पंचायतों को भी रात में गांवों और प्रमुख मार्गों पर पहरा देने के लिए शामिल किया गया है। डीआईजी ने कहा, "पुलिस के साथ-साथ पंचायतें सामुदायिक सहयोग से सुरक्षा में मदद करेंगी। भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोका जाएगा।"
पिछले 5 सालों में अंबेडकर मूर्तियों की तोड़फोड़
मध्य प्रदेश के छतरपुर के एक गांव से गत 14 मार्च को बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति चोरी होने की बात सामने आई। घड़ी मलहरा थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले बारी गांव में दो दिन पहले ही ये मूर्ति लगाई गई थी। मूर्ति को रात के समय अज्ञात चोर ले गए।
पिछले पांच वर्षों में देश भर में अंबेडकर की मूर्तियों के साथ तोड़फोड़ की कई घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं:
पंजाब: अमृतसर में गणतंत्र दिवस पर हमला (26 जनवरी 2025)
अमृतसर के हेरिटेज स्ट्रीट पर स्थित अंबेडकर की मूर्ति को 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस के दिन एक युवक, आकाशदीप सिंह (24), ने हथौड़े से क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की। उसने मूर्ति के पास रखी संविधान की प्रतिमा को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। यह घटना उस समय हुई जब मूर्ति पर माल्यार्पण के लिए सीढ़ी लगाई गई थी। आकाशदीप, जो मोगा का निवासी है, को पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में कहा कि वह संविधान में विश्वास नहीं करता। इस घटना ने दलित समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया, जिसके बाद जालंधर और फगवाड़ा में बंद का आह्वान किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे "अक्षम्य" करार देते हुए सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
परभणी में संविधान की रेप्लिका को नुकसान (11 दिसंबर 2024)
महाराष्ट्र के परभणी में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर लगे संविधान की रेप्लिका को नुकसान पहुंचाने की घटना से शहर में हिंसा भड़क गई. 11 दिसंबर 2024 को परभणी शहर में जिलाधीश कार्यालय के सामने संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की मूर्ति और वहां रखी भारतीय संविधान की प्रतिकृति को कथित तौर पर क्षतिग्रस्त करने पर भारी बवाल मचा। इस घटना के खिलाफ लगातार दो दिन हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। कुछ संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के बीच भीड़ ने आगजनी की है और कई जगहों पर तोड़-फोड़ की। पुलिस ने उपद्रवियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
उत्तर प्रदेश: बुदायूं में पार्क में हमला (3 जनवरी 2024)
बुदायूं जिले के उझानी इलाके में अंबेडकर पार्क में उनकी मूर्ति को अज्ञात लोगों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। मूर्ति का हाथ और चेहरा तोड़ा गया, जिसके बाद स्थानीय दलित समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया। सपा नेता अखिलेश यादव ने इसे "दलित विरोधी मानसिकता" का परिणाम बताया और मुख्यमंत्री से सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
मध्य प्रदेश: जबलपुर में नेताजी की मूर्ति के साथ अंबेडकर की मूर्ति पर हमला (9 मार्च 2018)
जबलपुर में अंबेडकर की मूर्ति पर लाल रंग डाला गया और उसे आंशिक रूप से तोड़ा गया। यह घटना नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर हमले के ठीक बाद हुई। स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू की, लेकिन दोषियों का पता नहीं चला। इस घटना को सामाजिक तनाव बढ़ाने की कोशिश माना गया।
उत्तर प्रदेश: मेरठ में मूर्ति तोड़फोड़ (7 मार्च 2018)
मेरठ के मवाना में अंबेडकर की मूर्ति को अज्ञात लोगों ने रात के समय क्षतिग्रस्त कर दिया। मूर्ति का हाथ तोड़ दिया गया और चेहरा विकृत कर दिया गया। इस घटना के बाद दलित समुदाय ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और प्रशासन से नई मूर्ति लगाने की मांग की। प्रशासन ने तनाव को शांत करने के लिए तुरंत नई मूर्ति स्थापित की। यह घटना देश भर में मूर्ति तोड़फोड़ की श्रृंखला का हिस्सा थी।
तमिलनाडु में अंबेडकर की मूर्तियां पिंजरे में
तमिलनाडु में अंबेडकर की मूर्तियों को अक्सर लोहे के पिंजरे में रखा जाता है, जिसे राज्य सरकार "सुरक्षा उपाय" बताती है। यह प्रथा 1990 के दशक में शुरू हुई, जब दलित पार्टियों के उभरने से मध्यवर्ती जातियों में असुरक्षा बढ़ी। विशेषज्ञों के अनुसार, अंबेडकर की मूर्तियां दलित समुदाय के लिए मुक्ति का प्रतीक हैं, जिसके कारण इन्हें निशाना बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, 25 अगस्त 2019 को नागपट्टिनम के वेदारण्यम में एक जातीय संघर्ष के दौरान अंबेडकर की मूर्ति का सिर काट दिया गया। इस घटना में मक्कुलथोर समुदाय के एक नेता के साथ विवाद के बाद भीड़ ने मूर्ति पर हमला किया। वीसीके नेता डी. रविकुमार ने इसे "दलितों का अपमान" करार देते हुए सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की।
तमिलनाडु में पिंजरे में मूर्तियां रखने की प्रथा को लेकर विवाद है। सरकार का कहना है कि यह संवेदनशील क्षेत्रों में तोड़फोड़ रोकने के लिए है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह अंबेडकर के सम्मान को कम करता है। लेखक स्टालिन राजनगम के अनुसार, "यह जाति व्यवस्था की गहरी जड़ों को दर्शाता है। सरकार को पिंजरे लगाने के बजाय सामाजिक जागरूकता और सीसीटीवी जैसे कदम उठाने चाहिए।"
विश्व भर में प्रमुख नेताओं की मूर्तियों की तोड़फोड़
अंबेडकर की मूर्तियों पर हमले भारत तक सीमित नहीं हैं; विश्व भर में नेताओं और प्रतीकों की मूर्तियों को निशाना बनाया गया है। 25 जून 2020 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में अब्राहम लिंकन की मूर्ति पर "Black Lives Matter" आंदोलन के दौरान हमला हुआ। प्रदर्शनकारियों ने इसे गुलामी के इतिहास से जोड़ा, क्योंकि मूर्ति में एक मुक्त दास को लिंकन के सामने घुटनों पर दिखाया गया था।
12 अक्टूबर 2018 को ब्रिटेन के मैनचेस्टर में महात्मा गांधी की मूर्ति पर अज्ञात लोगों ने रंग डाला, जिसे औपनिवेशिक विरोध से जोड़ा गया। दक्षिण अफ्रीका में 9 अप्रैल 2015 को सेसिल रोड्स की मूर्ति को केप टाउन विश्वविद्यालय से हटाया गया, जब "#RhodesMustFall" आंदोलन ने इसे औपनिवेशिक उत्पीड़न का प्रतीक बताया। रूस में 1 नवंबर 2015 को लेनिन की मूर्ति को यूक्रेन के ओडेसा में तोड़ा गया, जो सोवियत शासन के खिलाफ "Decommunization" अभियान का हिस्सा था। ये घटनाएं दिखाती हैं कि मूर्तियां अक्सर ऐतिहासिक विवादों और सामाजिक असंतोष का शिकार बनती हैं, जैसा कि भारत में अंबेडकर की मूर्तियों के साथ हो रहा है।