आजमगढ़/उत्तर प्रदेश। आजमगढ़ पुलिस ने एक सरकारी अनुदानित प्राथमिक विद्यालय के प्रबंधक समेत 26 लोगों के खिलाफ फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति कर 11 साल से स्कूल चलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। मामला बनसास्थान जामिलपुर स्थित जनता प्राथमिक विद्यालय का है, जो समाज कल्याण विभाग से अनुदान प्राप्त करता है।
अधिकारियों के अनुसार, जांच में सामने आया कि वर्ष 2014 से विद्यालय में 25 सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां कानूनी प्रक्रिया और अनिवार्य अनुमति के बिना की गईं। ‘बेसिक स्कूल विनियमावली 1975’ के तहत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (डीबीईओ) से लिखित पूर्व-स्वीकृति लेना अनिवार्य है, लेकिन यह नियम पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
आजमगढ़ एसएसपी हेमराज मीणा ने बताया, “जिला समाज कल्याण अधिकारी की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 316(5) (आपराधिक न्यास भंग) और 318(4) (धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज की है। नियुक्तियां बिना अनुमति और नियमों का पालन किए की गईं। आगे की जांच जारी है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
जिला समाज कल्याण अधिकारी आशीष कुमार सिंह ने बताया कि शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम, डीबीईओ और जिला समाज कल्याण अधिकारी की तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई।
जांच में पता चला कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डीबीईओ की अनिवार्य स्वीकृति पत्र डिस्पैच रजिस्टर में दर्ज ही नहीं थे। कई दस्तावेज फर्जी पाए गए, जबकि नियुक्ति पत्रों पर लगी मुहरें और हस्ताक्षर भी सत्यापित नहीं थे। अधिकारियों का मानना है कि ये नियुक्तियां आपराधिक साजिश के तहत की गईं।
जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण अनुभाग-2 के अपर मुख्य सचिव और समाज कल्याण निदेशक ने 7 अगस्त को FIR दर्ज करने के आदेश दिए।
FIR में जिनके नाम शामिल हैं, वे हैं — धर्मेंद्र सिंह, रामप्रवेश यादव, रामजीवन राम, सौरभ सिंह, पूनम सिंह, प्रशांत कुमार पाठक, ज्ञानचंद राहुल, प्रशांत गोड, मधुलिका सिंह, शिवकुमार, विनिता सिंह, सुनील दत्त यादव, नीतू यादव, रामाकांत यादव, वीरेंद्र उपाध्याय, चंद्रप्रकाश द्विवेदी, नीलम यादव, शशि किरण, अनीता यादव, अनीता कुमारी, अशुतोष राय, राकेश कुमार सिंह, रामप्रीत राजभर, वरुण सिंह, रजनीकांत राय और कमलेश सिंह।
विद्यालय में वर्तमान में करीब 400 छात्र पढ़ते हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए उन्हें नजदीकी प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा।