भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठे हैं। निशातपुरा थाने में एक महिला के साथ बेरहमी से मारपीट करने और धमकाने के मामले में कार्यवाहक प्रधान आरक्षक सुंदर सिंह राजपूत को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई डीसीपी जोन-4 जितेंद्र सिंह द्वारा की गई है, जिन्होंने इस घटना को कर्तव्यों का दुरुपयोग, अनुशासनहीनता और अशोभनीय आचरण मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबन का आदेश जारी किया।
क्या है मामला?
शिकायतकर्ता महिला ने शुक्रवार को भोपाल पुलिस कमिश्नर कार्यालय पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि उसे थाने में पति से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। लेकिन जब वह अपनी मां के साथ थाने पहुंची, तो प्रधान आरक्षक सुंदर सिंह राजपूत ने उसे थाने के कंप्यूटर रूम में ले जाकर डंडे से पीटा। पीड़िता का कहना है कि उसकी मां को कमरे से बाहर निकाल दिया गया और उसके बाद उसे धमकाते हुए झूठे केस में फंसाने की बात कही गई।
महिला ने पुलिस अधिकारियों को अपने हाथ और पीठ पर चोट के निशान भी दिखाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत मेडिकल जांच के लिए भेजा गया और बयान दर्ज किए गए।
महिला की शिकायत पर डीसीपी ने एसीपी चुनाभट्टी को जांच सौंपी थी। प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हो गया कि महिला के साथ की गई मारपीट के आरोप सही हैं। यह सामने आया कि सुंदर सिंह ने बिना किसी वैध कानूनी प्रक्रिया के महिला को अकेले कमरे में लेकर शारीरिक हिंसा की।
जांच रिपोर्ट आने के बाद पहले जवान को लाइन अटैच किया गया, लेकिन जैसे ही प्रमाण पुष्ट हुए, उसे निलंबित कर दिया गया। फिलहाल विभागीय जांच जारी है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर अंतिम अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वरिष्ठ अधिकारियों ने दिखाई संवेदनशीलता
घटना सामने आने के बाद पुलिस कमिश्नरेट में हड़कंप मच गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले की संवेदनशीलता और महिला के अधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए फौरन सख्त कदम उठाए। डीसीपी जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में महिलाओं के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पुलिस विभाग की साख पर सवाल
मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य संगीता शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि थाने, जो जनता के लिए न्याय और सुरक्षा की जगह माने जाते हैं, वहीं अगर कोई महिला सुरक्षित नहीं रह पाती, तो आम नागरिक कैसे न्याय की उम्मीद करे?
उन्होंने आगे कहा, मोहन यादव की सरकार में पूरे प्रदेश में जंगल राज है। पुलिस अपना काम कैसे कर रही है यह मामले उदाहरण के साथ सबके सामने है। दोषी पुलिस कर्मी को बर्खास्त किया जाना चाहिए।