भोपाल। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के राऊ थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला के साथ मानव तस्करी का गंभीर मामला उजागर हुआ है। पीड़िता के अनुसार, पति से अलगाव के बाद जब वह रिश्तेदार के घर जाने के लिए निकली, तब रास्ते में उज्जैन रेलवे स्टेशन पर उसकी मुलाकात एक महिला से हुई। दोस्ती के बहाने उस महिला ने पहले उसे अपने घर में शरण दी, लेकिन बाद में उसे अपने साथियों की मदद से डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया।
दोस्ती के जाल में फंसी महिला
टीआई राजपाल सिंह राठौर ने बताया कि राऊ थाना क्षेत्र में रहने वाली पीड़िता अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए घर से निकली थी। लेकिन जब वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुंची, तो उसके पति ने 30 जून को उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने खोजबीन शुरू की, लेकिन महीनों तक महिला का कोई सुराग नहीं मिला।
करीब ढाई महीने बाद, किसी तरह महिला का पता चला और उसे इंदौर लाया गया। उस समय उसने कुछ भी नहीं बताया। पुलिस और परिवार ने यह मान लिया कि शायद वह किसी कारणवश अपने घर नहीं लौटना चाहती थी। लेकिन 15 दिन बाद, महिला ने अपने साथ हुई पूरी कहानी बताई, जो सुनकर सभी हैरान रह गए।
महिला तस्कर ने पहले दी शरण, फिर किया सौदा
पीड़िता ने बताया कि उज्जैन रेलवे स्टेशन पर उसकी मुलाकात मांगू बाई, निवासी खाचरोद से हुई थी। मांगू बाई ने उससे सहानुभूति जताई और उसे अपने घर ले गई। वहां उसे करीब एक महीने तक रखा गया। इस दौरान मांगू बाई ने उसकी स्थिति का फायदा उठाया और फिर अपने एक साथी के माध्यम से उसे बेचने की योजना बनाई।
पुलिस जांच में सामने आया है कि मांगू बाई ने अपने दो परिचितों, दिनेश पिता भंवरलाल चौधरी (निवासी ग्राम लूनी, जिला रतलाम) और जितेंद्र पिता मोहनलाल बारोड (निवासी ग्राम कलसी, नागदा) की मदद से महिला को डेढ़ लाख रुपये में सौंप दिया।
पुलिस के अनुसार, मुख्य आरोपी मांगू बाई पहले से ही उज्जैन सेंट्रल जेल में बंद है। कुछ समय पहले ही उसके बेटे की फर्जी शादी और दुष्कर्म के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। अब ताजा मामले में उसके खिलाफ मानव तस्करी (Human Trafficking) की धारा में नया केस दर्ज किया गया है।
टीआई राजपाल सिंह राठौर ने बताया कि पुलिस ने दिनेश चौधरी और जितेंद्र बारोड को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने पीड़िता को किसे बेचा और किस उद्देश्य से यह सौदा हुआ था।
पीड़िता ने बयान में बताई पूरी सच्चाई
पीड़िता के मुताबिक, उसे यह कहा गया था कि उसे किसी अच्छे परिवार में नौकरी दिलाई जाएगी। लेकिन बाद में उसे एक अजनबी व्यक्ति के पास भेज दिया गया, जिसने जबरदस्ती उसके साथ गलत व्यवहार करने की कोशिश की। डर और धमकी के कारण वह उस समय कुछ भी नहीं बोल पाई।
अब जब वह सुरक्षित वातावरण में है, तो उसने पुलिस को पूरा बयान दिया और बताया कि किस तरह एक दोस्ती का झांसा देकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी गई।
पुलिस ने मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (मानव तस्करी), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। धारा 370 के तहत दोषी पाए जाने पर सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। राऊ पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या यह कोई संगठित गिरोह है जो महिलाओं को झांसा देकर बेचने का काम करता है। साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपियों के संपर्क में और कौन-कौन लोग हैं ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
मानव तस्करी के बढ़ते मामले पर चिंता
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में महिला मानव तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। अधिकतर मामलों में पीड़िताओं को नौकरी, शादी या सहायता के नाम पर बहला-फुसलाकर दूसरे जिलों या राज्यों में भेजा जाता है। कई बार ये महिलाएं यौन शोषण, घरेलू काम या जबरन मजदूरी के दलदल में फंस जाती हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अकेली और असहाय महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं?
टीआई राजपाल सिंह राठौर ने बताया, “महिला ने जब पूरे मामले की जानकारी दी, तो हमने तुरंत कार्रवाई की। दोनों पुरुष आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य महिला आरोपी पहले से जेल में बंद है। हम जांच कर रहे हैं कि इसमें और कौन-कौन शामिल था।”
NCRB के आंकड़ों में स्थिति भयाभय
मध्य प्रदेश लंबे समय से महिलाओं के खिलाफ अपराधों, खासकर दुष्कर्म के मामलों में देशभर में चर्चा का विषय बना रहा है। वर्ष 2023 में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं रही। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश दुष्कर्म की घटनाओं में देशभर में तीसरे स्थान पर रहा। यहां एक साल के भीतर 2,979 मामले दर्ज हुए। राजस्थान 5,078 घटनाओं के साथ सबसे ऊपर रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में 3,516 मामले सामने आए।
यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालाँकि सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं और हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका असर बहुत कम दिखाई दे रहा है।