लिव-इन रिलेशनशिप से बर्बाद हो रही हैं महिलाएं! इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी

11:15 AM Jun 28, 2025 | Rajan Chaudhary

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप के टूटने पर महिलाओं को disproportionate (असमान) रूप से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि पुरुष आसानी से शादी कर नई जिंदगी बसा लेते हैं, जबकि महिलाओं के लिए जीवनसाथी खोजना मुश्किल हो जाता है। अदालत ने इसे भारतीय मध्यवर्गीय समाज की स्थापित मान्यताओं के खिलाफ भी बताया।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकलपीठ ने ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या पर नाराज़गी जताते हुए कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा महिलाओं के हित में नहीं है। पुरुष एक या कई महिलाओं के साथ लिव-इन के बाद भी विवाह कर सकता है, लेकिन महिलाओं के लिए संबंध टूटने के बाद जीवनसाथी पाना कठिन होता है।”

अदालत ने आगे कहा, “यह न्यायालय पाता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप को वैध करार दिए जाने के बाद इस तरह के मामलों से अदालतें परेशान हो चुकी हैं। ये मामले अदालत में इसलिए आ रहे हैं क्योंकि लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा भारतीय मध्यवर्गीय समाज के स्थापित कानून/नियम के खिलाफ है।”

Trending :

कोर्ट यह टिप्पणी आरोपी शेन आलम की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कर रहा था। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है। आरोप है कि उसने विवाह का झूठा आश्वासन देकर पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी से मुकर गया।

सूचना देने वाली पक्षकार की ओर से अधिवक्ता मधु यादव ने दलील दी कि आरोपी की हरकतों ने पीड़िता का पूरा जीवन बर्बाद कर दिया है और अब कोई उससे विवाह करने को तैयार नहीं होगा।

अदालत ने दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप का विचार युवाओं में लोकप्रिय हुआ है, लेकिन इसके नतीजे इसी मामले की तरह सामने आ रहे हैं।

हालांकि, अदालत ने आरोपी को 24 जून को जमानत दे दी। अदालत ने उसके 25 फरवरी से जेल में बंद होने, आरोपों की प्रकृति, पूर्व आपराधिक इतिहास के अभाव और जेलों में भीड़भाड़ जैसे पहलुओं को ध्यान में रखा। आरोपी की ओर से अधिवक्ता सतीश चंद्र सिंह ने पैरवी की।