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वाल्मीकि पहले डाकू थे, सुधरने के बाद लिखी रामायण...गुंडा हमेशा गुंडा नहीं रहता- Kerala High Court की कोच्चि पुलिस को बड़ी नसीहत!

कोच्चि - केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय फैसले में यह स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को केवल उसके अतीत के आधार पर हमेशा अपराधी या गुंडा मानना उचित नहीं है। फोर्ट कोच्चि निवासी निक्सन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने पुलिस द्वारा बनाए गए 'गुंडा सूची' से याचिकाकर्ता का नाम और फोटो हटाने का आदेश दिया।

मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि अदालत का यह फैसला न केवल निजता के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि अपराधियों के सुधार और समाज में उनकी पुनर्स्थापना के महत्व को भी रेखांकित करता है।

यह मामला 40 वर्षीय निक्सन से जुड़ा है जो फोर्ट कोच्चि के मध्यमवर्गीय ईसाई परिवार से हैं। निक्सन ने अपनी याचिका में दावा किया कि पिछले आठ वर्षों से वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं हैं। उनके पिता का देहांत हो चुका है, और उनकी 70 वर्षीय मां वृद्धावस्था की बीमारियों से जूझ रही हैं। निक्सन अपने परिवार के साथ संयुक्त रूप से रहते हैं, जहां उनके बड़े भाई एक बिल्डिंग ठेकेदार हैं, और दूसरा भाई एक दुकान में मैनेजर के रूप में कार्यरत है। निक्सन ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और अब अपने बड़े भाई के निर्माण कार्यों में सुपरवाइजर के रूप में काम करते हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पुराने दोस्तों के प्रभाव में वे पहले कई आपराधिक मामलों में शामिल थे, लेकिन अब उन्होंने उस जीवन को पूरी तरह त्याग दिया है। वे नियमित रूप से रविवार को चर्च जाते हैं और एक ईश्वर में आस्था रखने वाले व्यक्ति का जीवन जी रहे हैं। उनके परिवार वाले उनकी शादी के लिए उपयुक्त वधू की तलाश कर रहे हैं। निक्सन का कहना है कि फोर्ट कोच्चि पुलिस स्टेशन में उनकी तस्वीर और नाम 'गुंडा सूची गैलरी' में प्रदर्शित होने के कारण उन्हें और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनकी शादी की संभावनाओं और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

निक्सन ने सबसे पहले 25 मार्च 2024 को कोच्चि सिटी पुलिस कमिश्नर को एक प्रतिवेदन दिया जिसमें उन्होंने अपनी तस्वीर और नाम को गुंडा सूची से हटाने की मांग की। पुलिस कमिश्नर ने 8 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी कर निक्सन की मांग को खारिज करते हुए बताया कि वे 18 आपराधिक मामलों में शामिल थे। निक्सन ने केरल हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।

निक्सन ने कोर्ट को बताया कि पूर्व के 16 मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है और एक अन्य मामला हाईकोर्ट ने 6 मार्च 2025 को रद्द कर दिया था। अब केवल एक मामला पनंगड पुलिस स्टेशन में लंबित है जिसमें वे 15 आरोपियों में से आठवें आरोपी हैं और जमानत पर हैं। निक्सन ने यह भी तर्क दिया कि फोर्ट कोच्चि पुलिस स्टेशन, जहां वे जन्म से रह रहे हैं, वहां उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। पिछले आठ वर्षों से उनके खिलाफ कोई नया मामला दर्ज नहीं हुआ है, जिसके आधार पर उन्होंने दावा किया कि वे अब एक कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं।

कोर्ट का तर्क और फैसला

जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने अपने फैसले में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। कोर्ट ने माना कि निक्सन के खिलाफ पहले 16 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से कुछ में गंभीर धाराएं जैसे IPC की धारा 397 (डकैती), 307 (हत्या का प्रयास), और 395 (डकैती) शामिल थीं। हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया कि इनमें से अधिकांश मामलों में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया गया है और आठ वर्षों से उनके खिलाफ कोई नया मामला दर्ज नहीं हुआ है।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि अपराधियों का सुधार करना भी है। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा, "एक बार गुंडा होने का मतलब यह नहीं कि वह हमेशा गुंडा रहेगा।" कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आर्थिक कठिनाइयां, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, और सामाजिक परिस्थितियां अपराध की ओर ले जा सकती हैं, लेकिन समाज का दायित्व है कि वह अपराधियों को सुधार का अवसर दे।

कोर्ट ने एक अन्य मामले का उल्लेख किया जहां 'रिपर जयानंदन' नामक एक व्यक्ति, जो कई हत्याओं का दोषी है और आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे अपनी किताब के विमोचन समारोह में शामिल होने के लिए पैरोल दी गई थी। कोर्ट ने हिंदू पुराणों में वाल्मीकि का उदाहरण भी दिया, जो पहले डाकू थे, लेकिन बाद में सप्त ऋषियों की संगत में ज्ञान पाकर सुधार के पथ पर चले और 'रामायण' जैसे महाकाव्य के रचयिता बने।

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पुलिस स्टेशनों में गुंडा सूची का प्रदर्शन सार्वजनिक रूप से नहीं किया जाता। कोच्चि सिटी के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (लॉ एंड ऑर्डर, ट्रैफिक) के बयान के अनुसार ऐसी सूचियां केवल पुलिस कर्मियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र में रखी जाती हैं ताकि नए पुलिस कर्मियों को अपराधियों के बारे में जानकारी दी जा सके और यह भी सुनिश्चित होता है कि अपराधियों की निजता का उल्लंघन न हो।

कोर्ट ने यह भी माना कि पुलिस का इरादा समाज को अपराधों से बचाने का है, लेकिन याचिकाकर्ता के आठ वर्षों के स्वच्छ रिकॉर्ड और सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए, उनकी तस्वीर और नाम को गुंडा सूची से हटाना उचित है। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर निक्सन का नाम और तस्वीर फोर्ट कोच्चि पुलिस स्टेशन की गुंडा सूची से हटा दें।

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