यूपी/प्रयागराज — इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर पुलिस जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें महिला ने कहा कि उसके नाम से एक याचिका उसकी जानकारी और सहमति के बिना दाखिल की गई थी।
यह याचिका वर्ष 2023 में दाखिल की गई थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि याचिकाकर्ता महिला और दूसरा व्यक्ति (दूसरा याचिकाकर्ता) पति-पत्नी हैं और उन्हें महिला के परिवार से जान का खतरा है। हालांकि, बाद में महिला स्वयं अपने भाई के साथ कोर्ट में पेश हुई और कहा कि उसने न तो इस याचिका पर हस्ताक्षर किए और न ही इस याचिका की जानकारी थी। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग करके याचिका दाखिल की गई, जिससे तलाक के लिए आधार बनाया जा सके।
न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कोर्ट को गुमराह कर किसी निहित उद्देश्य की पूर्ति करने का प्रयास किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी विधिक प्रक्रिया से परिचित व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी के यह फर्जीवाड़ा संभव नहीं था।
बार एंड बेंच में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार — कोर्ट ने टिप्पणी की, “यह मामला निष्पक्ष और गहन जांच की मांग करता है। यदि षड्यंत्रकारी अपने उद्देश्य में सफल होते, तो यह न्यायिक प्रणाली पर कलंक होता और कानून के शासन पर आमजन का विश्वास कमजोर करता। यह न्याय प्रणाली की नींव को ही हिला सकता है।”
कोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को मामले की प्रारंभिक जांच के निर्देश दिए। यदि जांच में कोई दंडनीय अपराध सामने आता है, तो तत्काल एफआईआर दर्ज करने के भी आदेश दिए गए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच में वैज्ञानिक और फॉरेंसिक तरीकों का इस्तेमाल हो ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, पुलिस आयुक्त को स्वयं इस जांच की निगरानी करने और प्रत्येक तिमाही में प्रगति रिपोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रयागराज को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
महिला ने अप्रैल 2024 में कोर्ट के समक्ष यह भी कहा कि वह उस दूसरे याचिकाकर्ता की पत्नी नहीं है, बल्कि उसकी शादी किसी और व्यक्ति से हुई है और उसके दो बच्चे हैं। उसने बताया कि पति से पारिवारिक विवाद के चलते वह फिलहाल अपने पिता के घर रह रही है। दूसरी ओर, दूसरे याचिकाकर्ता ने भी कोर्ट में यह कहा कि उसे इस याचिका के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कोर्ट ने इस याचिका को दाखिल करने में इस्तेमाल हुए अधिवक्ता श्री लल्लन चौबे को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा कि यह याचिका उनके माध्यम से कैसे दायर हुई। अधिवक्ता चौबे ने भी इससे इनकार करते हुए कहा कि उनके नाम और हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया है। साथ ही, शपथ आयुक्त (Oath Commissioner) की भी लापरवाही सामने आई है।
इस बीच, महिला के पति ने अपने जवाबी हलफनामे में कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी दूसरे याचिकाकर्ता के साथ विवाहेतर संबंध में है और वह अपने ससुराल लौटने से इनकार कर रही है।
सभी तथ्यों और बयानों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने उक्त सुरक्षा याचिका को खारिज कर दिया और मामले में विस्तृत पुलिस जांच के आदेश दे दिए।