नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को समाजवादी पार्टी (SP) के सांसदों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दलितों और गरीब परिवारों के बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है। सांसदों ने आरोप लगाया कि राज्य में सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है और उनकी जगह हर गांव में शराब की दुकानें खोली जा रही हैं।
शून्य काल (Zero Hour) के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, "देश जब आज़ादी के 75 वर्ष मना रहा है, तब उत्तर प्रदेश में तानाशाही जैसी स्थिति है। हमारे पास शिक्षा का अधिकार (Right to Education) कानून है, फिर भी राज्य में 1.26 लाख स्कूल बंद किए जा रहे हैं और 5,000 स्कूलों का विलय किया जा रहा है। 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती भी रोक दी गई है।"
धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि स्कूलों के जोड़ीकरण (school pairing policy) की वजह से दलितों और गरीब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर राज्य में 27,000 से अधिक शराब की दुकानें खोली जा रही हैं।
सपा सांसद नीरज मौर्य ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खराब है और उन्हें बंद किया जा रहा है। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब बच्चों को लैपटॉप मिलते थे। अब उन्हें शराब की दुकानें मिल रही हैं।"
मौर्य ने केंद्र सरकार से मांग की कि राज्य में सरकारी स्कूल बंद न किए जाएं और इसके बजाय केन्द्रीय विद्यालय तथा नवोदय विद्यालय जैसे स्कूल खोले जाएं।
सांसद नरेश चंद्र पटेल ने सवाल उठाया कि जब सरकार खुद कहती है कि शिक्षा हर बच्चे का मूल अधिकार है, तो फिर स्कूलों को मर्ज कर ऐसी नीति क्यों अपनाई जा रही है जिससे बच्चों को पढ़ने के लिए 2-3 किलोमीटर दूर जाना पड़े?
नरेश चंद्र पटेल ने कहा, "क्या यही है 'नया भारत' जहां गांव-गांव शराब की दुकानें खोली जा रही हैं, लेकिन स्कूलों को गांवों से दूर किया जा रहा है?"
उत्तर प्रदेश सरकार की स्कूल School Merger नीति को लेकर काफी आलोचना हो रही है। सरकार का दावा है कि इससे संसाधनों का समुचित उपयोग होगा और 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को मजबूत किया जाएगा। लेकिन विपक्ष और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इससे ग्रामीण और दलित बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।