MP: पीएम आवास योजना में बजट की बाधा, अशोकनगर में 13 आदिवासी परिवारों के पक्के मकान अधूरे, आठ माह से अटकी दूसरी किश्त

06:55 PM Apr 09, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पक्के मकान पाने की उम्मीद लगाए बैठे आदिवासी परिवारों को अब सरकारी व्यवस्था की धीमी रफ्तार से जूझना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के थूबोन गांव के 13 आदिवासी परिवारों को योजना के अंतर्गत अगस्त और सितंबर 2024 में पहली किश्त के रूप में 40-40 हजार रुपए मिले थे। इससे लोगों ने मकान निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी दूसरी किश्त जारी नहीं हुई है, जिससे निर्माण अधर में लटक गया है।

ग्रामीणों ने बताया पहली किश्त से नींव और दीवारें तो बन गईं, लेकिन छत, खिड़की, दरवाज़े और प्लास्टर जैसे जरूरी कार्य अभी बाकी हैं। दूसरी किश्त के बिना यह कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार बरसात का मौसम सिर पर है और वे अधूरे मकानों में रहने को मजबूर हैं।

कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण, सुनाई पीड़ा

मंगलवार को थूबोन गांव के दर्जनों ग्रामीण अशोकनगर कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ व जिला पंचायत अध्यक्ष को अलग-अलग आवेदन देकर किश्त दिलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं, लेकिन कार्यवाही नहीं हो रही।

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ग्रामीण हितग्राही अधिकारियों से बोले : "हमसे कहा गया था कि किश्त किश्त में पैसा मिलेगा, लेकिन पहली किश्त के बाद कोई अधिकारी नहीं आया। अब हमारे मकान अधूरे हैं और हम कर्ज लेकर दीवारें खड़ी कर चुके हैं। अगर समय पर पैसा नहीं मिला तो मकान टूट जाएगा।”

जब इस विषय में जिला पंचायत के अधिकारियों का कहना है, कि “फंड की स्वीकृति लंबित है, जैसे ही राशि प्राप्त होगी, दूसरी किश्त जारी कर दी जाएगी।” लेकिन ग्रामीणों को यह जवाब आठ महीनों से सुनने को मिल रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों को पक्के मकान निर्माण हेतु 1.20 लाख रुपए की सहायता तीन किश्तों में दी जाती है। मकान पूरा होने पर लाभार्थियों को मनरेगा के तहत 90 से 95 दिन का रोजगार भी मिलता है।

थूबोन के ये 13 परिवार प्रशासनिक लापरवाही और बजट की अनदेखी के शिकार हैं। योजना की मंशा चाहे जितनी अच्छी हो, लेकिन यदि समय पर धनराशि नहीं मिले तो उसका उद्देश्य ही विफल हो जाता है। एक्टिविस्ट सुनील आदिवासी ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उन्होंने कहा, "सरकार भले ही बड़े-बड़े वादे और दावे करती हो, लेकिन हकीकत में इन योजनाओं का लाभ आदिवासी समुदाय तक नहीं पहुंच पा रहा है।"

द मूकनायक ने इस मामले में अधिक जानकारी के लिए चंदेरी की एसडीएम रचना शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उन्हें इस संबंध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। वहीं, कलेक्टर सुभाष द्विवेदी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।