केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस: गोपिका गोविंद की उड़ान उम्मीदों और हौसलों की कहानी

01:08 PM Apr 11, 2025 | The Mooknayak

नई दिल्ली: केरल के अलक्कोडे के पास स्थित कवुनकुडी की अनुसूचित जनजाति (ST) कॉलोनी में जन्मी गोपिका गोविंद ने इतिहास रच दिया है। वह केरल की पहली आदिवासी महिला बनी हैं जिन्होंने एयर होस्टेस के रूप में कार्य करना शुरू किया है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण भी है।

करिंबाला जनजाति से संबंध रखने वाली गोपिका का बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। उनके माता-पिता—पी. गोविंदन और वी. जी.—दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार चलाते थे। सीमित संसाधनों और अवसरों के बीच पली-बढ़ी गोपिका ने बचपन में ही एयर होस्टेस बनने का सपना देख लिया था। हालांकि, यह राह आसान नहीं थी।

आर्थिक परिस्थितियों के कारण उन्होंने एक व्यावहारिक रास्ता चुना और बीएससी (रसायन शास्त्र) में स्नातक की पढ़ाई की, जो उनके लिए किफायती और सुलभ था। लेकिन उनके दिल में वो सपना अब भी जिंदा था।

स्नातक के एक साल बाद उन्होंने एक नौकरी शुरू की, लेकिन एक दिन अखबार में छपी केबिन क्रू की तस्वीर ने फिर से उनके दिल में वह सपना जगा दिया। इसके बाद उन्होंने सरकार समर्थित एक एविएशन कोर्स के बारे में जानकारी प्राप्त की और वायनाड के कल्पेट्टा स्थित ड्रीम स्काय एविएशन ट्रेनिंग एकेडमी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिला ले लिया।

कोर्स खत्म होने से पहले ही गोपिका ने इंटरव्यू देने शुरू कर दिए। पहली बार में चयन नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरी कोशिश में वह सफल रहीं। तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद गोपिका ने केबिन क्रू के रूप में अपनी पहली उड़ान भरी—कन्नूर से एक खाड़ी देश के लिए। यह उड़ान केवल एक करियर की शुरुआत नहीं थी, बल्कि वह पल एक प्रतीक था—संघर्ष, उम्मीद और प्रेरणा का, विशेषकर उन लड़कियों के लिए जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखती हैं।

मनोरमा ऑनलाइन से बात करते हुए गोपिका ने लड़कियों के लिए एक सशक्त संदेश दिया:

वास्तव में, गोपिका गोविंद ने यह साबित कर दिया है कि आसमान ही नहीं, बल्कि उससे भी आगे की उड़ान संभव है—बस विश्वास और हिम्मत चाहिए।