"ज्यादा कानून मत सिखाइए, वरना दिखा देंगे...", बेऊर जेल में पत्रकार को मिली धमकी, पत्नी ईप्सा शताक्षी ने NHRC से की शिकायत

01:00 PM Nov 01, 2025 | Rajan Chaudhary

पटना: बिहार के पटना स्थित आदर्श केन्द्रीय कारा (बेऊर) में बंद एक विचाराधीन बंदी और स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को जेल में कथित तौर पर धमकी दिए जाने का मामला सामने आया है। उनकी पत्नी ईप्सा शताक्षी ने इस संबंध में 30 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को एक औपचारिक शिकायत पत्र भेजा है।

ईप्सा शताक्षी का आरोप है कि बेऊर जेल में "भ्रष्टाचार का बोल बाला है" और उनके पति को जेल मैनुअल के हिसाब से सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। जब रूपेश सिंह ने इस पर सवाल उठाया तो उन्हें जेल के मुख्य कक्षपाल गिरिश यादव द्वारा धमकाया गया।

शताक्षी ने NHRC को लिखे अपने पत्र में बताया कि 26 अक्टूबर 2025 को जेल के एसटीडी से हुई बातचीत में उनके पति ने उन्हें इस घटना की जानकारी दी। रूपेश सिंह के अनुसार, जब उन्होंने मुख्य कक्षपाल से जेल मैनुअल के हिसाब से डाइट (खाना) देने को कहा, तो कक्षपाल ने धमकाते हुए कहा, "जो मिलता है वह खाइए, ज्यादा कानून मत सिखाइए, वरना दिखा देंगे"।

Trending :

ईप्सा ने इस धमकी को "अनुचित ही नहीं डरावना भी" बताया है। उन्होंने कहा कि जो बंदी पहले से ही समाज से कटे हुए हैं, उनके लिए ऐसे माहौल में रहना पीड़ादायक है।

कौन हैं रूपेश कुमार सिंह?

रूपेश कुमार सिंह पेशे से एक स्वतंत्र पत्रकार और एक किताब के लेखक हैं। उनकी पत्नी के अनुसार, उनकी ज्यादातर रिपोर्टिंग समाज के हाशिए पर पड़े लोगों और मानवाधिकारों के उल्लंघन व आदिवासी लोगों के उत्पीड़न पर केंद्रित रही है।

ईप्सा शताक्षी ने बताया कि रूपेश सिंह की गिरफ्तारी 17 जुलाई 2022 को हुई थी, जो उनके अनुसार "प्रदूषण पर किए गए एक ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद हुई थी"। उन पर माओवादी कनेक्शन का आरोप लगाया गया और धीरे-धीरे चार मामले दर्ज किए गए, जिनमें तीन झारखंड और एक बिहार का है।

वर्तमान में वह NIA, पटना के केस संख्या 19/22 में विचाराधीन बंदी हैं और उनका मामला पटना के एनआईए कोर्ट में चल रहा है।

जेल में स्वास्थ्य की गंभीर अनदेखी का आरोप

शिकायत में केवल धमकी का ही जिक्र नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की गंभीर अनदेखी का भी आरोप लगाया गया है। रूपेश सिंह को 23 अक्टूबर 2025 को शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, भागलपुर से वापस बेऊर जेल लाया गया है।

ईप्सा ने बताया कि भागलपुर जेल में उनके पति बेचैनी, घबराहट, कमर व पैरों में दर्द से पीड़ित थे। उन्हें गंभीर एलर्जी की भी समस्या है, जिसमें सुबह उठते ही सर्दी हो जाती है और गर्म पानी की जरूरत होती है।

22 अगस्त की एक लिपिड प्रोफाइल जांच में उनका VLDL CHOLESTEROL-125 (सामान्य: 30 से कम) और Serum Triglycerides - 519 (सामान्य: 150 से कम) पाया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक, यह स्तर स्ट्रोक और दिल के दौरे का खतरा बढ़ाता है।

एक्स-रे में पता चला था कि उनकी कमर की नस दबी हुई है, जिसके लिए बेल्ट और रेगुलर चेकअप की सलाह दी गई थी।

पत्नी का आरोप है कि बेऊर जेल लाए जाने के बाद (एक महीने से ज्यादा समय) उन्हें एक बार भी डॉक्टर को नहीं दिखाया गया है। दर्द बताने पर डॉक्टर की जगह कम्पाउंडर को भेज दिया जाता है।

"आवाज़ उठाने पर दूसरी जेल भेज दिया जाता है"

ईप्सा शताक्षी का आरोप है कि यह प्रताड़ना का एक पैटर्न है। उनके पति को 22 जनवरी 2024 को बेऊर जेल से भागलपुर स्थानांतरित किया गया था। उनका दावा है कि इसका मूल कारण भी जेल में हो रही अनियमितता पर आवाज उठाना था।

यह स्थानांतरण 6 महीने के लिए किया गया था, पर 20 महीने बाद कोर्ट के आदेश पर उनकी वापसी हुई। भागलपुर में भी उन्हें पूरे 20 महीने सेल में ही रखा गया था।

अब बेऊर जेल में वापस आने पर भी उन्हें नार्मल वार्ड की जगह सेल (गोलघर) में रखा गया है। उन्हें 8x8 के छोटे से कमरे में तीन लोगों के साथ रखा गया है।

ईप्सा शताक्षी ने NHRC से निवेदन किया है कि जेल में हो रहे इस मानवाधिकार हनन, जिसमें उचित खान-पान व स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, और सवाल पूछने पर धमकी दी जा रही है, इस पर समुचित पहल की जाए।