BHU में 'हॉस्पिटल' बना हॉटस्पॉट! डॉक्टरों पर यौन उत्पीड़न और जातिवाद के गंभीर आरोप, एक हफ्ते में दर्ज हुईं दो FIR

03:07 PM Jun 17, 2025 | Rajan Chaudhary

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के ट्रॉमा सेंटर में आंतरिक कलह ने गंभीर रूप ले लिया है। ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह और अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों के खिलाफ एक ही सप्ताह में दो एफआईआर दर्ज होने से संस्थान के भीतर गुटबाजी और संघर्ष की स्थिति उजागर हो गई है।

12 जून को डॉ. मंजरी मिश्रा ने ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह और दो सुरक्षा कर्मियों (बाउंसरों) के खिलाफ यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और धमकी देने के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई। इससे पहले, कोर्ट के आदेश पर लंका पुलिस ने डॉ. मंजरी मिश्रा के पति प्रो. शशि प्रकाश मिश्रा (जनरल सर्जरी विभाग) और डॉ. विश्वंभर सिंह (ईएनटी विभाग) के खिलाफ मारपीट, धमकाने और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।

लंका थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने सोमवार को बताया कि दोनों मामलों की जांच जारी है और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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इस पूरे विवाद की जड़ मई 2023 की बताई जा रही है, जब ट्रॉमा सेंटर के मरीजों की रसोई में काम करने वाले वेटर कमलेश कुमार गोंड ने लंका थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। कमलेश ने आरोप लगाया था कि 24 मई को जब प्रो. शशि प्रकाश मिश्रा वहां से गुजर रहे थे, तो उन्होंने उसे अपमानजनक शब्दों में संबोधित किया। विरोध करने पर उन्होंने जातिसूचक शब्द कहे और अभद्र व्यवहार किया। कमलेश ने यह भी बताया कि 26 मई को प्रो. मिश्रा ने फिर से जातिसूचक गालियां दीं और एक कुर्सी लात मारकर गिरा दी।

कमलेश के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने बताया कि पुलिस द्वारा मामला दर्ज नहीं किए जाने पर उन्होंने कोर्ट की शरण ली। 9 जून को कोर्ट के आदेश के बाद भी जब एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ी। इसके बाद 12 जून को लंका पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

उसी रात, डॉ. मंजरी मिश्रा की शिकायत पर ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह और दो बाउंसरों के खिलाफ यौन उत्पीड़न, डराने-धमकाने और अनुशासनहीनता के आरोपों में अलग एफआईआर दर्ज की गई।

इस विवाद के बीच BHU परिसर में हलचल तेज हो गई। कई पूर्व छात्र नेता इस संघर्ष में कूद पड़े और भ्रष्टाचार एवं गुटबाजी के खिलाफ आंदोलन की बात कहने लगे। हालांकि, दोनों पक्षों की एफआईआर दर्ज होने के बाद विरोध-प्रदर्शन शांत हो गए।