उत्तर प्रदेश: 69000 शिक्षक भर्ती मामले में एक बार फिर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आंदोलन का आह्वान किया है। यह आंदोलन गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व 25 जनवरी से शुरू होगा। इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों से 6000 से अधिक महिला व पुरुष अभ्यर्थी शामिल होंगे। यह जानकारी अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने दी।
अमरेंद्र पटेल का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया था और सरकार को तीन महीने के अंदर फैसले का पालन किए जाने का आदेश दिया था लेकिन सरकार की लापरवाही की वजह से अभी तक फैसला का पालन नहीं हो सका और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार अपना पक्ष रखने में देरी कर रही है, जिसकी वजह से मामला लटकता चला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि, 25 जनवरी के आंदोलन के माध्यम से हम सरकार से यही मांग करेंगे कि वह सुप्रीम कोर्ट में जल्द से जल्द सुनवाई कराये और मामले को निस्तारित करें क्योंकि हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पिछले 4 साल से दर-दर की ठोकर खा रहे हैं और मानसिक अवसाद से गुजर रहे हैं।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा संघ के मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने बताया कि 25 जनवरी से फिर से आंदोलन शुरू होगा। सरकार को इस मामले में अब खुलकर सामने आना पड़ेगा। 4 साल से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपना हक पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। अभी तक सही मायने में उनकी सुनवाई नहीं हो रही। ऐसे में अब आर-पार की लड़ाई का समय आ गया है।
राजेश ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी। जस्टिस दींपाकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच इस पर फैसला लेगी। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द बड़ा फैसला आरक्षित वर्ग के पक्ष में देगी।
हाईकोर्ट ने सुनाया था पक्ष में फैसला
राजेश ने बताया कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार को 3 महीने के अंदर फैसले का पालन किए जाने का आदेश दिया था। सरकार की लापरवाही की वजह से अभी तक फैसला का पालन नहीं हो सका।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार अपना पक्ष रखने में देरी कर रही है, जिसकी वजह से मामला लटकता चला जा रहा है। 25 जनवरी के आंदोलन के माध्यम से हम सरकार से यही मांग करेंगे कि वह सुप्रीम कोर्ट में जल्द से जल्द सुनवाई कराएं और मामले को निस्तारित करें।