+

MP: पिपरिया कोर्ट का फैसला, 6 साल की बच्ची से रेप के दोषी को उम्रकैद, जान से मारने की दी थी धमकी

भोपाल। छह साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म के एक जघन्य मामले में मध्य प्रदेश के पिपरिया द्वितीय अपर सत्र न्यायालय ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सजा जीवनभर प्रभावी रहेगी। आरोपी पर 2000 का जुर्माना भी लगाया गया है।

न्यायाधीश अर्चना रघुवंशी ने आरोपी अमित कुमार ठाकुर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(AB) और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, “यह अपराध केवल एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार नहीं, बल्कि मानवता पर हमला है। इस तरह के अपराधों पर समाज में सख्त संदेश देना आवश्यक है।”

कैसे हुई घटना?

यह दर्दनाक घटना 1 अप्रैल 2024 को बनखेड़ी थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई थी। पीड़िता की मां मजदूरी करने बाहर गई हुई थी। इसी दौरान पड़ोस में रहने वाला आरोपी अमित ठाकुर बच्ची को कुरकुरे का लालच देकर अपने घर ले गया।

घर के भीतर ले जाकर उसने दरवाजा बंद किया, बच्ची का मुंह बांधा और उसके साथ बलात्कार किया। घटना के बाद बच्ची को धमकी दी कि, “अगर किसी को बताया तो तेरी चटनी बना दूंगा।”

मां ने देखा खून, डॉक्टर ने की पुष्टि

शाम को जब मां घर लौटी, तो बच्ची के कपड़ों पर खून के धब्बे देखे। घबराई मां बच्ची को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने दुष्कर्म की पुष्टि की। इसके बाद 5 अप्रैल 2024 को शोभापुर चौकी में महिला पुलिस अधिकारी मेघा उदेनिया के समक्ष FIR दर्ज की गई। केस बनखेड़ी थाने को सौंपा गया, जहां तत्कालीन प्रभारी सुधाकर बारस्कर ने जांच शुरू की।

शासन ने माना संवेदनशील मामला

सरकार ने इस प्रकरण को संवेदनशील श्रेणी में रखा और न्याय प्रक्रिया को तेज़ किया गया। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक चौधरी विक्रम सिंह और सहायक लोक अभियोजिका अनीशा खान ने की। कोर्ट में कुल 18 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जिनमें डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और पीड़िता के परिजन शामिल थे। मजबूत साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया।

न्यायाधीश अर्चना रघुवंशी ने अपने फैसले में कहा, “छह साल की बच्ची को लालच देकर अपने घर ले जाकर उसके साथ की गई अमानवीय हरकत को किसी भी परिस्थिति में क्षमा नहीं किया जा सकता। यह समाज की आत्मा को झकझोर देने वाला अपराध है, इसलिए आरोपी को उम्रकैद की सजा दी जाती है।”

NCRB के आंकड़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट भी इस स्थिति की भयावहता को दर्शाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ कुल 20,415 अपराध दर्ज किए गए, जो कि देशभर में महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इनमें से 6,654 मामले केवल POCSO एक्ट के तहत दर्ज हुए हैं। सबसे अधिक मामले अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने से जुड़े हैं, जिनकी संख्या 10,125 रही। बच्चों की हत्या के 109 और आत्महत्या के लिए उकसाने के 90 मामले भी इस रिपोर्ट का हिस्सा हैं।

NCRB की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराध की दर 71 प्रति एक लाख बच्चों पर है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। दिल्ली के बाद मध्यप्रदेश इस मामले में दूसरे स्थान पर है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 96.8% यौन अपराधों में आरोपी पीड़िता के परिचित होते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पीड़िताओं के लिए सबसे असुरक्षित स्थान उनका अपना सामाजिक दायरा बनता जा रहा है।

Trending :
facebook twitter