भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के स्नेहालय संस्थान में 2018 में हुए मूक-बधिर युवती के साथ दुष्कर्म और भ्रूण हत्या के मामले में कोर्ट ने 6 साल बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाया। प्रथम अपर सत्र न्यायालय डबरा की विशेष न्यायाधीश (एमपीवीडीके एक्ट) ज्योति राजपूत ने चौकीदार साहब सिंह गुर्जर को मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही संस्थान संचालक डॉ. बीके शर्मा, उनकी पत्नी भावना शर्मा, प्रभा यादव और सुपरवाइजर रवि वाल्मीकि को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी गई है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
20 सितंबर 2018 को जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह को सूचना मिली कि ग्वालियर के स्नेहालय संस्थान में एक मूक-बधिर युवती के साथ दुष्कर्म कर उसका गर्भपात कराया गया है। जांच के दौरान पीड़िता को अर्ध-विक्षिप्त अवस्था में उसके कमरे में पाया गया।
युवती ने इशारों में बताया कि चौकीदार साहब सिंह गुर्जर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। जब संस्थान प्रमुख डॉ. बीके शर्मा को इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने चौकीदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसके विपरीत, युवती का गर्भपात कराया गया और भ्रूण को जलाने का घिनौना कार्य सुपरवाइजर रवि वाल्मीकि ने किया।
घटना की शुरुआत 19 सितंबर 2018 को हुई थी, जब स्नेहालय में रहने वाली एक बालिका ने चौकीदार को मूक-बधिर युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। घटना की सूचना मिलने के बाद तत्कालीन टीआई बिलौआ थाना अमित सिंह भदौरिया और उनकी टीम ने जांच शुरू की। एफआईआर दर्ज होते ही डॉ. बीके शर्मा को उसी रात गिरफ्तार कर लिया गया। 87 दिनों के भीतर पुलिस ने इस मामले में चालान पेश किया।
ट्रांसलेटर के माध्यम से दर्ज हुए थे बयान
मूक-बधिर पीड़िता के बयान दर्ज करना इस मामले की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी। पीड़िता के इशारों को समझने के लिए कई ट्रांसलेटर बुलाए गए, लेकिन अनुवाद नहीं हो पाया। आखिरकार, इंदौर से एक विशेषज्ञ ट्रांसलेटर बुलाया गया। न्यायाधीश ज्योति राजपूत के समक्ष विशेष लोक अभियोजक अंगराज सिंह कुशवाह ने ट्रांसलेटर की मदद से पीड़िता से सवाल पूछे, और पीड़िता ने इशारों में पूरी घटना का ब्यौरा दिया।
अपराध की पुष्टि के बाद फैसला
विशेष लोक अभियोजक कुशवाह ने बताया कि इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी पीड़िता और साक्षी के बयान बने। इन्हीं बयानों के आधार पर दोषियों को सजा सुनाई गई।
चौकीदार साहब सिंह गुर्जर को धारा 376(2)(एल) (भादवि): मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास और 5000 रुपये अर्थदंड। डॉ. बीके शर्मा, भावना शर्मा, रवि वाल्मीकि, प्रभा यादव धारा 313 और 120बी (भादवि): 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास और 5000-5000 रुपये अर्थदंड। धारा 201 (भादवि): 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास और 2000-2000 रुपये अर्थदंड का फैसला कोर्ट ने सुनाया।