नई दिल्ली: दिसंबर 2021 में शुरू की गई नेशनल हेल्पलाइन अगेंस्ट एट्रॉसिटीज़ (NHAA) को अब तक अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर 6.5 लाख से अधिक कॉल प्राप्त हो चुकी हैं। इन कॉलों में से लगभग आधी संख्या अकेले उत्तर प्रदेश से आई है। यह जानकारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में सामने आई है।
इनमें से 7,135 शिकायतों को आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया, जिनमें से 4,314 शिकायतों का निवारण हो चुका है।
यह हेल्पलाइन 24x7 यानी चौबीसों घंटे हिंदी, अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करना और SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है।
शिकायतों का प्रकार
हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायतों में शारीरिक हमले, जातिसूचक गालियाँ, सामाजिक बहिष्कार, ज़मीन पर कब्ज़ा, सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश से रोकना और पुलिस की निष्क्रियता जैसे मामले शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हेल्पलाइन पर आने वाली कई कॉलें केवल कानूनी परामर्श या सामान्य पूछताछ से जुड़ी होती हैं, जिनमें आवश्यक विवरण नहीं होता। केवल वही कॉलें जिनमें SC/ST कानून के तहत स्पष्ट घटना दर्ज होती है, उन्हें औपचारिक शिकायत के रूप में स्वीकार किया जाता है।”
राज्यवार आंकड़े
उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 3,33,516 कॉल दर्ज की गईं। इनमें से 1,825 शिकायतें औपचारिक रूप से दर्ज हुईं और 1,515 का निवारण हुआ।
बिहार से 58,112 कॉल, 718 शिकायतें दर्ज, जिनमें से 707 सुलझाई गईं।
राजस्थान से 38,570 कॉल प्राप्त हुईं, 750 शिकायतें दर्ज, और 506 का समाधान किया गया।
महाराष्ट्र में 268 शिकायतें दर्ज हुईं लेकिन एक भी शिकायत का निवारण नहीं हुआ।
गोवा से सिर्फ एक शिकायत दर्ज हुई, जिसका निवारण नहीं हो सका।
मध्य प्रदेश में 1,630 शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन केवल 282 का समाधान हुआ।
हरियाणा ने सबसे अच्छी स्थिति दिखाई, जहां 392 में से 379 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया।
इसके अलावा तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में कॉलें प्राप्त हुईं, हालांकि शिकायतों के निपटान की दर में अंतर देखा गया।
तकनीकी निगरानी प्रणाली
हेल्पलाइन के अलावा NHAA एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के रूप में भी उपलब्ध है, जहां उपयोगकर्ता अपनी शिकायतों को ट्रैक कर सकते हैं, फीडबैक दे सकते हैं और राज्यवार प्रदर्शन देख सकते हैं। हर शिकायत को एक डॉकेट नंबर दिया जाता है, और संबंधित अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने, राहत देने और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश होते हैं।
इस प्रणाली के अंतर्गत स्वचालित रिमाइंडर और अनुपालन अलर्ट भी भेजे जाते हैं ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। साथ ही इसका उद्देश्य SC/ST अधिनियम और 1955 के नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी है।