चित्तौड़गढ़- राजस्थान में एक अनूठी पहल ने बेटियों के जन्म को न केवल उत्सव में बदला है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी नया आयाम दिया है। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चित्तौड़गढ़ के तत्वावधान में शुरू की गई "सृजन की सुरक्षा योजना" के तहत हर नवजात बालिका के सम्मान में 11 पौधे लगाए जा रहे हैं। यह पहल न सिर्फ बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि हरियाली के जरिए धरती को संवारने का भी संकल्प है।
चित्तौड़गढ़ के नेतावलगढ़ पाढाली ग्राम पंचायत में 20 मई को आयोजित एक विशेष पौधारोपण कार्यक्रम में इस योजना की शुरुआत की गई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुनील कुमार गोयल ने बताया कि इस योजना के तहत चयनित गाँव में जन्म लेने वाली प्रत्येक बालिका के परिवार को 11 पौधे लगाने होंगे। इन पौधों की देखभाल और पोषण की जिम्मेदारी भी परिवार की होगी।
इस योजना की खास बात यह है कि प्रत्येक "हरित बालिका" को एक विशिष्ट पहचान पत्र दिया जाएगा। यह पहचान पत्र बालिकाओं और उनके परिवारों को विधिक सेवा संस्थानों से जोड़ने का माध्यम बनेगा, ताकि वे जरूरी सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। प्राधिकरण के अध्यक्ष महेंद्र सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में शुरू इस योजना का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जहाँ बेटियाँ सशक्त हों, पर्यावरण हरा-भरा हो और सामाजिक जागरूकता बढ़े।
सचिव गोयल ने बताया कि यह योजना कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, पोक्सो अपराधों की रोकथाम, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को समर्पित है। यह न्यायिक बिरादरी की ओर से एक अनूठा प्रयास है, जो सामाजिक बदलाव के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को जोड़ता है।
कार्यक्रम में पैनल अधिवक्ता भारती गहलोत ने भी उपस्थित लोगों को पर्यावरण संरक्षण और अधिक से अधिक वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "हर पौधा एक बेटी की तरह है, जिसे प्यार और देखभाल से बड़ा करना है। यह योजना बेटियों और प्रकृति, दोनों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाती है।"
"सृजन की सुरक्षा योजना" न केवल बेटियों के प्रति समाज की सोच को बदलने का प्रयास है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी रेखांकित करती है। यह पहल हर बेटी के जन्म को एक उत्सव और हर पौधे को हरे भविष्य का प्रतीक बनाती है।
पिपलांत्री मॉडल
आपको बता दें राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित पिपलांत्री गाँव में ग्रामीण हर बार जब कोई लड़की पैदा होती है तो 111 पेड़ लगाते हैं और समुदाय यह सुनिश्चित करता है कि ये पेड़ जीवित रहें, और लड़कियों के बड़े होने पर फल लगें। भारत में लड़कियों की भारी कमी है क्योंकि समाज में लड़के को लेकर जुनून है और दहेज प्रथा के कारण लड़कियों को आर्थिक बोझ माना जाता है। [ 4 ] पिछले कुछ सालों में, यहाँ के लोग गाँव के चरागाह पर 300,000 से ज़्यादा पेड़ लगाने में कामयाब रहे हैं। लगाए गए पेड़ों में नीम , शीशम , आम और आंवला शामिल हैं ।
वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, लड़की के जन्म के बाद, ग्रामीण सामूहिक रूप से 21,000 रुपये का योगदान करते हैं और माता-पिता से 10,000 रुपये लेकर एक सावधि जमा बैंक खाते में जमा करते हैं, जिसका उपयोग लड़की के 18 वर्ष की होने के बाद ही किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि लड़की को उचित शिक्षा मिले, ग्रामीण माता-पिता से एक कानूनी अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाते हैं। पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी बेटी किरण की याद में यह पहल शुरू की, जिनका 2006 में निधन हो गया था।