लखनऊ- उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर "डीएनए" को लेकर तीखा विवाद छिड़ गया है, जिसने समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच ट्विटर युद्ध को जन्म दिया। सपा के मीडिया सेल ने शुक्रवार की रात उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर तीखा और आपत्तिजनक हमला बोला, जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। X (पूर्व ट्विटर) पर किए गए इस पोस्ट में ब्रजेश पाठक के डीएनए पर विवादास्पद टिप्पणी की गई, जिसे लेकर भाजपा और सपा कार्यकर्ताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। इस प्रकरण ने न केवल सियासी मर्यादाओं को तार-तार किया, बल्कि सामाजिक संवेदनाओं को भी आहत किया। विवाद बढ़ता देख सपा ने अपनी आपत्तिजनक पोस्ट को हटा लिया।
सपा की आपत्तिजनक पोस्ट
16 मई 2025 की रात को सपा के मीडिया सेल ने अपने आधिकारिक X हैंडल से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के खिलाफ एक आपत्तिजनक पोस्ट किया। यह पोस्ट पाठक की बार-बार सपा नेताओं के डीएनए पर की जा रही टिप्पणियों के जवाब में थी। पोस्ट में लिखा गया:
"बात बात पर सपा के DNA पर बयानबाजी करने वाले @brajeshpathakup जी अपना DNA अवश्य चेक करवाएं और उसकी रिपोर्ट सोशल मीडिया पर जरूर डालें जिससे उनका असली DNA तो पता चले। दरअसल ब्रजेश पाठक जी का खुद का DNA सोनागाछी और GB रोड का है, उन्हें खुद नहीं पता कि उनका असली DNA क्या है कहां का है और किसका है इसीलिए कुंठाग्रस्त होकर वे सबके DNA पर सवाल उठाते हैं? दरअसल पाठक जी इतनी पार्टियां बदल चुके हैं और इतने DNA से युक्त हो चुके हैं कि भ्रमित हैं। ब्रजेश पाठक जी अपना DNA चेक करवाकर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करें तो हम अभियान चलाकर ब्रजेश पाठक का DNA सोनागाछी और GB रोड के रेगुलर कस्टमर्स से मिलान करवाएंगे फिर ब्रजेश पाठक जी को उनका असली DNA का पता बताएंगे।"
इस पोस्ट ने सियासी हलकों में तूफान मचा दिया। "सोनागाछी" और "जीबी रोड" जैसे शब्दों का इस्तेमाल, जो यौनकर्म से जुड़े क्षेत्रों के लिए कुख्यात हैं, न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि व्यक्तिगत और अपमानजनक भी माना गया। इस पोस्ट ने बीजेपी नेताओं और समर्थकों में आक्रोश पैदा किया।
इस मामले में इंदिरानगर के रहने वाले अच्युत पांडेय ने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई गई है। उन्होंने एफआईआर की मांग की है। वहीं, वकील केडी सिंह, स्वीटी पांडेय समेत कई अधिवक्ताओं ने हजरतगंज थाने पहुंचकर इंस्पेक्टर को शिकायती पत्र दिया है। वकील चारू मिश्रा ने वजीरगंज कोतवाली में केस दर्ज कराया है।
ब्रजेश पाठक का जवाब
17 मई को ब्रजेश पाठक ने सपा की इस पोस्ट का जवाब अपने X हैंडल से देते हुए अखिलेश यादव को सीधे संबोधित किया। उन्होंने लिखा:
"अखिलेश जी, ये आपकी पार्टी की भाषा है? ये आपकी पार्टी का ऑफिशियल हैंडल है!! किसी के दिवंगत माता-पिता के लिए शब्दों का ये चयन है? लोकतंत्र में सहमति-असहमति-आरोप-प्रत्यारोप सब चलते आए हैं और चलते रहेंगे पर आप अपनी पार्टी को इस स्तर पर ले आएँगे? क्या आदरणीया डिंपल जी इस स्त्री विरोधी और पतित मानसिकता को स्वीकार करेंगी? सोचिएगा!!!"
पाठक ने सपा की भाषा को "स्त्री विरोधी" और "पतित" करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने यह भी इंगित किया कि इस तरह की टिप्पणियां लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ हैं और सपा की नैतिकता पर सवाल उठाती हैं।
विवाद बढ़ता देख सपा ने अपनी आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत हटा लिया। हालांकि, तब तक पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हो चुका था, जिससे सियासी और सामाजिक स्तर पर हंगामा मच गया।
17 मई की रात 11:41 बजे अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक X हैंडल से एक लंबा संदेश पोस्ट कर इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उनका पूरा संदेश इस प्रकार था:
"हमने उप्र के उप मुख्यमंत्री जी की टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए, पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है जो समाजवादियों के डीएनए पर दी गयी आपकी ‘अति अशोभनीय टिप्पणी’ से आहत होकर अपना आपा खो बैठे। आइंदा ऐसा न हो, हमने उनसे तो ये आश्वासन ले लिया है लेकिन आपसे भी यही आशा है कि आप जिस तरह की बयानबाजी निंरतर करते आये हैं उस पर भी विराम लगेगा। आप जिस स्तर के बयान देते हैं वो भले आपको अपने व्यक्तिगत स्तर पर उचित लगते हों लेकिन आपके पद की मर्यादा और शालीनता के पैमाने पर किसी भी तरह उचित नहीं ठहराये जा सकते हैं।
एक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में आपसे ये अपेक्षा तो है ही कि आप ये समझते होंगे कि किसी के व्यक्तिगत ‘डीएनए’ पर भद्दी बात करना दरअसल किसी व्यक्ति नहीं वरन् युगों-युगों तक पीछे जाकर उसके मूलवंश और मूल उद्गम पर आरोप लगाना है। जैसा कि सब जानते हैं कि हम यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है अतः ऐसे में आपके द्वारा हमारे डीएनए पर किया गया प्रहार धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है। हम जानते हैं कि आपका धर्म-प्रधान व्यक्तित्व ऐसा नहीं है कि वो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति ऐसी दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी कर सकता है परंतु एक सामान्य भोला व्यक्ति जो भगवान श्रीकृष्ण ही नहीं बल्कि किसी भी भगवान में विश्वास करता है वो आपकी टिप्पणी को अन्यथा भी ले सकता है। ऐसे में आपसे आग्रह है कि राजनीति करते-करते न अपनी नैतिकता भूलिए और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को जाने-अंजाने में ठेस पहुंचाइए।
आशा है आप अपनी टिप्पणी के लिए अपने अंदर बैठे हुए उस अच्छे इंसान से क्षमा माँगेंगे, जो पहले ऐसा न था। आप यदि एकांत में बैठकर अपने विगत वर्षों के व्यवहार, विचार और व्यक्तित्व का निष्पक्ष अवलोकन-आलोचन करेंगे तो पाएंगे कि मूल रूप से आपके विचारों में पहले कभी भी ऐसा विचलन न था, न ही आपकी राजनीतिक आकांक्षाएं ऐसी थीं कि आप व्यक्तिगत स्तर पर आदर्श को भूल जाएं और अपना शाब्दिक संतुलन खो बैठें। आशा है इस बात को यहीं ख़त्म समझा जाएगा और राजनीति की शुचिता को बचाए-बनाए रखने के लिए आप नकारात्मक राजनीति की संगत से यथोचित दूरी बनाकर अपने विवेक और विचार को पुनः सही दिशा की ओर मोड़ेंगे। एक जनसेवक होने के नाते हम सबके पास जनसेवा के लिए वैसे भी समय हमेशा कम रहता है, ऐसे में व्यर्थ के विषयों में न उलझकर हमें सकारात्मक राजनीति के उद्देश्यों पर अडिग रहकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।"
पहले भी डीएनए पर विवाद
डीएनए को लेकर यह कोई नया विवाद नहीं है। दिसंबर 2024 में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या और संभल की घटनाओं को बांग्लादेश से जोड़ते हुए डीएनए की टिप्पणी की थी। इसके जवाब में अखिलेश ने योगी को अपना डीएनए टेस्ट कराने की चुनौती दी थी। यह पुराना विवाद मौजूदा प्रकरण को और संदर्भ देता है, जो बीजेपी और सपा के बीच गहरी सियासी खाई को दर्शाता है।