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MP कांग्रेस ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए महासचिव पद किया आरक्षित, सामाजिक न्याय की ओर ऐतिहासिक पहल

भोपाल। मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के आगामी संगठनात्मक चुनाव में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। संगठन ने प्रदेश महासचिव का एक पद ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षित कर सामाजिक न्याय की दिशा में एक सशक्त संदेश दिया है। यह कदम न केवल राजनीतिक समावेशन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में हाशिए पर खड़े समुदायों के अधिकारों की भी गूंजदार पैरवी करता है।

13 मई की शाम 5 बजे तक नामांकन प्रक्रिया पूरी की गई। यूथ कांग्रेस के भीतर यह पहली बार है जब ट्रांसजेंडर वर्ग को नेतृत्व के पद पर प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा रही है। राजनीतिक दलों में आमतौर पर हाशिए के वर्गों के लिए आरक्षण की मांग लंबे समय से चल रही है, लेकिन व्यवहार में ऐसे उदाहरण दुर्लभ हैं। यूथ कांग्रेस का यह फैसला इस दिशा में एक प्रेरणादायी शुरुआत बन सकता है।

राजनीति में समावेशन की दिशा में बड़ा कदम

ट्रांसजेंडर समुदाय अक्सर पहचान, सम्मान और अवसर की लड़ाई लड़ता आया है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'थर्ड जेंडर' को कानूनी मान्यता मिलने के बाद भी मुख्यधारा की राजनीति में उनके प्रतिनिधित्व के मौके बेहद सीमित रहे हैं। यूथ कांग्रेस द्वारा महासचिव पद आरक्षित करना यह दिखाता है कि संगठन अब इस वर्ग को नेतृत्व का अवसर देकर बदलाव की जमीन तैयार करना चाहता है।

समाजशास्त्रियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की सराहना की है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए, समाजशास्त्री डॉ. इम्तियाज खान के मुताबिक, “राजनीति में प्रतिनिधित्व ही असली भागीदारी का आधार होता है। ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षण देकर यूथ कांग्रेस ने संविधान के सामाजिक न्याय के सिद्धांत को जमीनी रूप देने की पहल की है।”

मध्यप्रदेश की राजनीति में ट्रांसजेंडर समुदाय का योगदान ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रहा है। लेकिन आज वर्तमान में यज स्थिति शून्य पर है। साल 2000 में शबनम मौसी ने सोहागपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर देश की पहली ट्रांसजेंडर विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया था। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हुए भाजपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को हराया और लगभग 40.8% वोट प्राप्त किए। उनकी जीत ने न केवल राजनीतिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक स्तर पर भी ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक नई राह प्रशस्त की। शबनम मौसी ने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दों पर जोर दिया और समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।

मध्यप्रदेश ने न केवल पहली ट्रांसजेंडर विधायक बल्कि पहली ट्रांसजेंडर महापौर भी देश को दी। 1999 में कमला ने कटनी नगर निगम के महापौर पद का चुनाव जीतकर यह उपलब्धि हासिल की। हालांकि, बाद में अदालत ने उनके चुनाव को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि वे महिला आरक्षित सीट के लिए पात्र नहीं थीं। इसके बावजूद, 2009 में सागर नगर निगम के चुनाव में कमला 'बुआ' ने महापौर पद पर जीत हासिल की, जो ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।

इन उपलब्धियों ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए राजनीति में भागीदारी के नए द्वार खोले और समाज में उनकी स्वीकार्यता को बढ़ावा दिया। लेकिन फिर ट्रांसजेंडर्स प्रतिनिधित्व देखने को नहीं मिला।

भोपाल की शोधकर्ता प्रज्ञा शर्मा ने ट्रांसजेंडर समुदाय की स्थितियों पर द मूकनायक से बातचीत में कहा कि इस समुदाय की सबसे बड़ी समस्या समाजिक तिरस्कार है। समाज की मुख्यधारा से दूर रखा जाना, भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार उनके जीवन में पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण बना है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं तक उनकी पहुंच बेहद सीमित है।

प्रज्ञा शर्मा का मानना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना इस स्थिति को बदलने की दिशा में एक बड़ी पहल साबित हो सकती है। यदि उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर मिले तो वे न सिर्फ अपनी आवाज़ उठा सकेंगे, बल्कि नीति निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे, जिससे उनके अधिकार और गरिमा सुनिश्चित की जा सकेगी।

संविधान देता है अधिकार

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(1) और 15(4) राज्य को अधिकार देता है कि वह सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करे। ट्रांसजेंडर समुदाय को यह आरक्षण देना इसी भावना की पुष्टि करता है। यह निर्णय सिर्फ राजनीति में नहीं, समाज में भी बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

ट्रांसजेंडर एक्ट, 2019 के तहत भी यह स्पष्ट है कि सरकारों और संस्थाओं को इस समुदाय के लिए रोजगार और शिक्षा में विशेष अवसर सुनिश्चित करने चाहिए। यूथ कांग्रेस ने इस दायित्व को समझते हुए नेतृत्व की भूमिका में आरक्षण देकर एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत किया है।

ट्रांसजेंडर संजना सिंह ने कांग्रेस पार्टी के फैसले का स्वागत करते हुए द मूकनायक को कहा कि केवल राजनीतिक क्षेत्र ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में ट्रांसजेंडर समुदाय को समान अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम समावेशिता और समानता की दिशा में एक सराहनीय पहल है, जो समाज में ट्रांसजेंडरों की भागीदारी को बढ़ावा देगा।

कांग्रेस पार्टी सामाजिक न्याय की पक्षधर

द मूकनायक से बातचीत में कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा, "यूथ कांग्रेस ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रदेश महासचिव पद आरक्षित किया है। यह हमारा सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जी सहित पूरी पार्टी वंचित और हाशिए पर रहे समाजों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के पक्ष में है। इसलिए संगठनात्मक ढांचे में हम ऐसे समुदायों को आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी की यह पहल राजनीतिक इतिहास में साहसिक कदम के रूप में पहचाना जाएगा।"

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