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झारखंड ने देश को यूरेनियम दिया, खुद Radiation का ज़हर पीया — JMM बोली: हमारा हक़ दो, विशेष राज्य का दर्जा दो!

रांची। जेएमएम ने केंद्र से झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं, जिनके आधार पर झारखंड विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने का हकदार है।

उन्होंने कहा कि राज्य के चार दिवसीय दौरे पर आई 16वें वित्त आयोग की टीम से अपेक्षा है कि वह इस संबंध में केंद्र से सिफारिश करे। पार्टी महासचिव ने राज्य में उपलब्ध प्रचुर वन संपदा, जैव संपदा, खनिज संपदा और मानव संपदा का हवाला देते हुए कहा कि हम अपने संसाधनों से राष्ट्र के विकास और निर्माण में जो भूमिका निभाते हैं, उसके बदले में हमें वाजिब हक और हिस्सा नहीं मिल पाता।

उन्होंने कहा कि यह झारखंड ही है, जहां के यूरेनियम की बदौलत हमारा देश परमाणुसंपन्न राष्ट्र है, लेकिन यूरेनियम खनन की वजह से होने वाले रेडिएशन का दंश यहां की बड़ी आबादी दशकों से झेल रही है। इससे प्रभावित इलाके के लोग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह राज्य कई अन्य खनिजों का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है, लेकिन इसकी वजह से विस्थापन का दर्द भी सबसे ज्यादा हमारे ही हिस्से में आता है।

इस तरह झारखंड ने प्राकृतिक संसाधनों का बलिदान कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है। ऐसे में यह राज्य विशेष दर्जे का प्रबल दावेदार है। झामुमो नेता ने कहा कि वित्त आयोग की टीम ने राज्य के भ्रमण के दौरान यहां के प्राकृतिक संसाधनों का निरीक्षण किया। बाबाधाम जैसे धार्मिक स्थलों का भी दौरा किया। हमारी उम्मीद है कि यहां की परिस्थितियों का आकलन करने के बाद आयोग हमें हमारा उचित अधिकार दिलाने की दिशा में पहल करेगी।

भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य के दो रेल मंडल धनबाद और चक्रधरपुर देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले मंडल हैं, लेकिन इसके बदले में राज्य को रेलवे की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। यहां हमेशा रिजेक्टेड रैक भेजे जाते हैं, चाहे वह राजधानी एक्सप्रेस हो या शताब्दी ट्रेन।

उन्होंने कहा कि झारखंड की परिस्थितियां पूर्वोत्तर राज्यों जैसी हैं। इन परिस्थितियों का तकाजा है कि केंद्र यहां अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए 75 प्रतिशत राशि का अनुदान दे और इसमें राज्य को सिर्फ 25 प्रतिशत खर्च करना पड़े। झारखंड को बार-बार ठगा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य ने केंद्रीय खनन कंपनियों द्वारा राज्य की जमीन से खनन के एवज में 1 लाख 40 हजार करोड़ की राशि बकाया है। बार-बार आवाज उठाने के बाद भी यह राशि अब तक नहीं मिली है। हर बार अलग-अलग योजनाओं के लिए गुहार लगानी पड़ती है। यह उचित नहीं है।

(With inputs from IANS)

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