नई दिल्ली (आईएएनएस) - भारतीय सेना ने अपनी शौर्य और संकल्प की मिसाल पेश करते हुए हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान में छिपे कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों को मार गिराया गया। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट किया। भारतीय सेना ने 6 और 7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' अभियान की शुरुआत करते हुए पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के 9 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, जिसमें 10 से ज्यादा प्रमुख आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से बौखलाहट में लगातार भारत पर हमले किए और इसके जवाब में भारतीय सेना की ओर से ऑपरेशन सिंदूर जारी रहा।
नए अनुमानों के मुताबिक, पहलगाम हत्याकांड का बदला लेने के लिए भारत द्वारा किए गए हमलों में कम से कम 130-140 आतंकवादी मारे गए। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के बड़े सरगनाओं को निशाना बनाया गया। मारे गए बड़े आतंकियों में आईसी-814 का अपहरणकर्ता यूसुफ अजहर, लश्कर के मुरीदके मुख्यालय का प्रमुख अबू जुंदाल उर्फ मुदस्सर, 2016 के नगरोटा हमले के साजिशकर्ता का बेटा जैसे कुख्यात आतंकी शामिल हैं। इन जिहादी कमांडरों की मौत पाकिस्तान के सैन्य-आतंकवादी गठजोड़ के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी अबू जुंदाल भारत के खिलाफ कई साजिशों में शामिल था। इसके अंतिम संस्कार में एक सरकारी स्कूल में प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जिसमें लश्कर का एक जनरल और एक आईजी शामिल हुए।
हाफिज मुहम्मद जमी भी जैश-ए-मोहम्मद से संबद्ध था और मौलाना मसूद अजहर का साला था। मोहम्मद यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी उर्फ मोहम्मद सलीम उर्फ घोसी साहब भी मौलाना मसूद अजहर का साला था और 1998 के आईसी-814 विमान अपहरण मामले में वांछित था। खालिद उर्फ अबू आकाशा लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। यह आतंकी जम्मू-कश्मीर में कई हमलों और अफगानिस्तान से हथियार तस्करी में शामिल था। इसका अंतिम संस्कार फैसलाबाद में हुआ, जिसमें वरिष्ठ पाकिस्तानी सेना अधिकारियों और फैसलाबाद के डिप्टी कमिश्नर ने शिरकत की। मोहम्मद हसन खान जैश-ए-मोहम्मद से संबद्ध था और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जैश का ऑपरेशनल कमांडर था। इसने जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों की साजिश रची थी। इस तरह से ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पहलगाम हमले का बदला लिया, बल्कि आतंकवाद के उन ठिकानों को भी नष्ट किया, जो लंबे समय से भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे। इस कार्रवाई में मुरिदके और बहावलपुर जैसे आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया, जो दशकों से आतंकवाद का अड्डा बने हुए थे।
मुरिदके और बहावलपुर में आतंकवादी ठिकानों का पूरी तरह तबाह होना ऑपरेशन सिंदूर के सबसे बड़े परिणाम में शामिल है। ये इलाके दशकों से आतंकवादियों के पनाहगाह थे। यहां जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र मरकज सुभान अल्लाह था। यहां से 2019 के पुलवामा हमले सहित कई बड़े आतंकी हमलों की साजिश रची गई थी। इस केंद्र में 600 से अधिक आतंकी प्रशिक्षण ले रहे थे। मौलाना मसूद अजहर ने यहीं पर भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था, जिसमें उसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध किया था। भारतीय सेना का इस केंद्र को पूरी तरह नष्ट करना आतंकवाद को बड़ा झटका है। 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत नीति का प्रतीक है। इससे पहले 2019 में बालाकोट हवाई हमले में भारत ने आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट किया था। अब ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क को गहरा आघात पहुंचाया और यह संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।