मध्य प्रदेश: OBC के होल्ड अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, क्या सरकार की आपत्ति बनी वजह?

04:02 PM Jun 28, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश में वन विभाग और जेल विभाग की सीधी भर्ती परीक्षा 2022-23 में चयनित होकर भी नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों को न्याय की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश शासन द्वारा हाईकोर्ट में की गई आपत्ति के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की डिवीजन बेंच ने इन अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित वन रक्षक, क्षेत्र रक्षक और सहायक जेल अधीक्षक पदों की सीधी भर्ती परीक्षा 2022-23 में चयनित सैकड़ों अभ्यर्थियों का परिणाम ‘withheld’ (रोका गया परिणाम) कर दिया गया था। इन अभ्यर्थियों को 87% तक मेरिट में स्थान मिलने के बावजूद न तो नियुक्ति दी गई और न ही कोई स्पष्ट कारण बताया गया।

विशेष बात यह है कि इन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू तक के लिए बुलाया गया था, फिर भी उनके नियुक्ति आदेश आज तक जारी नहीं किए गए। इससे नाराज होकर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिनमें छतरपुर निवासी मुकेश कुमार प्रजापति, ग्वालियर के जगमोहन सिंह, श्योपुर के मातादीन मीना, और विकास रावत प्रमुख हैं।

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याचिका में मांग की गई थी कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतते हुए withheld किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जाए। इस प्रकरण की सुनवाई 27 जून को होनी थी, लेकिन 26 जून को ही कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।

सरकार ने क्या कहा?

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक 21 मार्च 2025 स्थानांतरित याचिका स्टेट वर्सिस दीपिका चौहान का हवाला दिया और कहा कि जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक हाईकोर्ट इन याचिकाओं की सुनवाई नहीं कर सकता।

इसके बाद कोर्ट ने महाधिवक्ता की आपत्ति को मान्य करते हुए केस क्रमांक WP/20051/2025 को 22 सितंबर 2025 तक स्थगित कर दिया।

द मूकनायक से बातचीत में अभ्यर्थियों की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश दिया गया है, वह केवल ट्रांसफर याचिकाओं से जुड़ा है। इसका इस केस से कोई सीधा लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में OBC आरक्षण की वैधता पर नहीं, बल्कि यह सवाल लंबित है कि क्या कुल आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो सकती है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मामलों में 58% आरक्षण लागू रखने की अनुमति भी दे दी है।

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, उसमें किसी भी अभ्यर्थी को OBC कोटे में होल्ड नहीं किया गया है। बल्कि सभी अभ्यर्थियों का रिजल्ट ‘withheld’ किया गया है। इसके बावजूद, सरकार की आपत्ति के चलते कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया, जो न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।

अभ्यर्थियों में निराशा

कोर्ट के इस फैसले से withheld किए गए सैकड़ों अभ्यर्थियों में गहरी निराशा है। इन युवाओं का कहना है कि वे परीक्षा, फिजिकल टेस्ट और इंटरव्यू सब कुछ पास कर चुके हैं, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा।