भोपाल। आदिवासी विकास परिषद छात्र प्रभाग ने आदिवासियों और किसानों के अधिकारों को लेकर सिवनी जिले के झाबुआ पावर प्लांट, घंसौर के गेट पर प्रदर्शन किया। गुरुवार को यह प्रदर्शन ‘रोजगार दो, पानी दो’ अभियान के तहत किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी और स्थानीय किसान शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने पावर प्लांट पर आदिवासियों की जमीन लेकर रोजगार देने के वादे से मुकरने का आरोप लगाया और इसके खिलाफ घेराव किया।
पावर प्लांट के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन तब तेज हुआ जब स्थानीय आदिवासियों ने आरोप लगाया कि प्लांट ने उनकी जमीन तो अधिग्रहित कर ली लेकिन उन्हें वादा किया गया रोजगार अब तक नहीं दिया गया। इस वजह से आदिवासियों को न केवल आजीविका का नुकसान हो रहा है बल्कि उनका जीवन स्तर भी प्रभावित हो रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि पावर प्लांट क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाए। प्रदर्शन में शामिल किसानों ने कहा कि पानी की कमी के कारण उनके खेत बंजर हो रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट गहराता जा रहा है।
तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे लीलाधर मर्रापा
आदिवासी विकास परिषद छात्र प्रभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष लीलाधर मर्रापा ने अपनी मांगों को लेकर तीन दिन की भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, “हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक आदिवासियों और किसानों के अधिकार सुनिश्चित नहीं किए जाते। प्लांट द्वारा किए गए वादे पूरे करने होंगे, वरना यह आंदोलन और तेज होगा।”
प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष नीरज बारिवा ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन और पावर प्लांट प्रबंधन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलेगा। उन्होंने कहा, “हम आदिवासियों के हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। रोजगार और पानी की मांग पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो यह आंदोलन बड़ा रूप लेगा।”
इस विरोध प्रदर्शन में आसपास के गांवों के आदिवासी और किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए। उन्होंने एक स्वर में कहा कि उनकी जमीन और अधिकारों को छीना जा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने पावर प्लांट प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को जोरदार तरीके से रखा।
प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे अपने आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे।
प्रमुख मांगें और अगली कार्रवाई
1. रोजगार की गारंटी: झाबुआ पावर प्लांट द्वारा रोजगार देने का वादा पूरा किया जाए।
2. पानी की उपलब्धता: किसानों को खेतों के लिए पानी मुहैया कराया जाए।
3. जमीन का उचित मुआवजा: जिन आदिवासियों की जमीन ली गई है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
आदिवासी विकास परिषद छात्र प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष नीरज बारिवा ने द मूकनायक से बातचीत में पावर प्लांट और प्रशासन पर तीखा हमला करते हुए कहा, “आदिवासियों के साथ हमेशा से अन्याय होता आया है। झाबुआ पावर प्लांट ने हमारी जमीनें छीन लीं, यह कहते हुए कि हमें रोजगार दिया जाएगा। लेकिन अब, जब रोजगार देने की बारी आई, तो प्लांट प्रशासन अपने वादे से मुकर रहा है। यह आदिवासियों के अधिकारों का सरासर हनन है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
नीरज बारिवा ने कहा कि आदिवासी समुदाय के पास पहले ही सीमित संसाधन हैं, और झाबुआ पावर प्लांट के कारण उनका जीवन और कठिन हो गया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या हमारे जीवन की कोई कीमत नहीं है? क्या प्रशासन और उद्योगपति हमें सिर्फ वोट बैंक और मजदूरी का साधन मानते हैं?”
उन्होंने कहा, “आसपास के किसानों की जमीन सूख रही है। उनके पास सिंचाई के लिए पानी नहीं है, जबकि पावर प्लांट के संचालन के लिए पानी की बर्बादी की जा रही है। यह दोहरा मापदंड क्यों? क्या आदिवासी और किसान इस देश के नागरिक नहीं हैं?”
“हमारे अधिकारों के लिए यह आंदोलन शुरू हुआ है, और इसे समाप्त तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं। अगर हमारी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई, तो हम पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे। यह सिर्फ झाबुआ पावर प्लांट की लड़ाई नहीं है, यह हर उस आदिवासी और किसान के अधिकार की लड़ाई है, जिनका शोषण किया जा रहा है।”