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MP: भोपाल में अजाक्स का अधिवेशन सम्पन्न, IAS जेएन कंसोटिया बने रहेंगे अध्यक्ष, पदोन्नति में आरक्षण और बैकलॉग पदों की भर्ती को लेकर बनी रणनीति

भोपाल। राजधानी भोपाल के हिंदी भवन में रविवार को अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) का अधिवेशन उत्साह और संगठनात्मक ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अधिवेशन में प्रदेशभर से लगभग 700 अजाक्स के सदस्य अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। उपस्थित सदस्यों ने संगठन के कार्यों की समीक्षा करते हुए आने वाले समय की चुनौतियों और रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की।

अधिवेशन में सर्वसम्मति से भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी जेएन कंसोटिया को पुनः संगठन का अध्यक्ष चुना गया। अब वे 2026 तक अजाक्स की कमान संभालेंगे। यह निर्णय संगठन के भीतर उनके नेतृत्व के प्रति विश्वास और उनकी सक्रियता को दर्शाता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में कंसोटिया ने कहा कि अजाक्स का संघर्ष संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा और उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए है। उन्होंने उपस्थित सदस्यों को एकजुट रहते हुए संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।

पदोन्नति में मिले आरक्षण

अधिवेशन में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने यह चिंता जताई कि पदोन्नति में आरक्षण का लाभ न मिलने से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी वर्षों से प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में संगठन ने निर्णय लिया कि पदोन्नति में आरक्षण को लागू कराने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई जाएगी। इसमें कानूनी पहलुओं की समीक्षा, सरकार से संवाद और ज़मीनी स्तर पर दबाव बनाने के उपाय शामिल होंगे।

साथ ही अधिवेशन में बैकलॉग पदों की स्थिति को लेकर भी चिंता जताई गई। वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा अनुसूचित वर्गों के लिए आरक्षित हजारों पद वर्षों से खाली हैं, जिससे इस वर्ग को नौकरी के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। संगठन ने मांग की कि राज्य सरकार शीघ्र विशेष भर्ती अभियान चलाकर बैकलॉग पदों को भरे। इसके लिए भी एक योजना बनाई गई, जिसके तहत संबंधित विभागों के साथ पत्राचार और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

एससी-एसटी के अन्य विषयों पर भी चर्चा

अधिवेशन में यह भी निर्णय लिया गया कि अजाक्स संगठन शिक्षा, छात्रवृत्ति वितरण, सरकारी सेवाओं में हो रहे भेदभाव और संगठन की जिला इकाइयों को मजबूत करने के लिए भी कार्य करेगा। यह प्रस्ताव पारित किया गया कि हर जिले में संगठन की मासिक बैठकें आयोजित की जाएं, जिससे स्थानीय समस्याओं को समय पर चिन्हित कर उनके समाधान की दिशा में कार्रवाई की जा सके।

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