बेंगलुरु – कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जातियों (SC) के उपवर्गीकरण को लेकर एक सर्वेक्षण की शुरुआत कर दी है, जो 17 मई तक चलेगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह सर्वे एक सदस्यीय आयोग के माध्यम से किया जा रहा है, जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एच. एन. नागमोहन दास कर रहे हैं। आयोग को 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इस सर्वे पर कुल ₹100 करोड़ खर्च किए जाएंगे और 65,000 स्कूल शिक्षकों को गणनाकार के रूप में शामिल किया गया है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य अनुसूचित जाति सूची में शामिल 101 जातियों से संबंधित तथ्यात्मक और आंकड़ों पर आधारित जानकारी एकत्र करना है।
यह सर्वेक्षण तीन चरणों में किया जाएगा:
पहला चरण: 6 मई से 17 मई तक
दूसरा चरण: 19 से 21 मई तक, विशेष कैंपों के माध्यम से उन लोगों के लिए जो पहले चरण में छूट गए थे
तीसरा चरण: 19 से 23 मई तक ऑनलाइन पंजीकरण, जिससे अपने निवास स्थान से बाहर रहने वाले लोग भी भाग ले सकें
सिद्धारमैया ने बताया कि इस पहल को 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक ऐतिहासिक निर्णय का समर्थन प्राप्त है। इस निर्णय (पंजाब राज्य बनाम देवेंद्र सिंह व अन्य) में अनुसूचित जातियों के अंदर उपवर्गीकरण को संवैधानिक बताया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के आधार पर ही जस्टिस नागमोहन दास आयोग का गठन किया गया है।"
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ अनुसूचित जातियों की स्थिति को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति है। उदाहरण के लिए, आदि द्रविड़, आदि कर्नाटक और आदि आंध्र जातियों को कुछ क्षेत्रों में ‘लेफ्ट’ वर्ग में और अन्य क्षेत्रों में ‘राइट’ वर्ग में रखा गया है।
आयोग इन विसंगतियों पर स्पष्ट सिफारिशें देगा और तथ्यों पर आधारित एक मजबूत डाटा तैयार करेगा।
सरकार ने इस कार्य के लिए एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया है और हेल्पलाइन नंबर 94813 59000 जारी किया है। मुख्यमंत्री ने राज्य की अनुसूचित जाति समुदायों से अपील की है कि वे आगे आएं और इस महत्वपूर्ण अभियान को सफल बनाएं।