बीते साल दुनिया में लगभग 4 करोड़ लोगों में एड्स की बीमारी देने वाला एचआईवी वायरस पाया गया था। इनमें से 90 लाख लोग इसका कोई इलाज नहीं करवा पाए। नतीजन, हर मिनट कोई न कोई रोगी एड्स की वजहों से मर रहा था। यह खुलासा सोमवार को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है।
यह हाल तब है जब दुनिया में एड्स महामारी को खत्म करने की दिशा में प्रगति की जा रही है। यूएन की रिपोर्ट बताती है कि इसकी प्रगति की रफ्तार अब धीमी पड़ने लगी है। इसका कारण फंड का कम होना है। इस वजह से तीन नए क्षेत्रों मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और लैटिन अमेरिका में इसका संक्रमण बढ़ रहा है।
बीते साल 6 लाख से अधिक लोगों की गई जान
एड्स से जुड़ी बीमारियों से 2023 में लगभग 6,30,000 लोग मारे गए। यह 2004 की 21 लाख मौतों के मुकाबले बहुत कम है। इस महामारी को खत्म करने की वैश्विक कोशिशों का नेतृतष कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनएड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीनतम आंकड़ा 2025 के लिए रखे गए 2,50,000 की कम मौतों के लक्ष्य से दोगुना से भी अधिक है।
2030 तक एड्स खत्म करने का उद्देश्य
यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनों व्यनिमा ने कहा, वैश्विक नेताओं ने 2030 तक एड्स को खत्म करने का संकल्प लिया है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में नए संक्रमण तीन गुना से अधिक यानी 13 लाख थे।
लैंगिक असमानता से अफ्रीका के कुछ हिस्सों में किशोरियों और युवा महिलाओं में एचआईवी के मामले बढ़े।
हाशिए पर रहने वाले समुदायों में वैश्विक स्तर पर नए संक्रमणों का अनुपात 2010 के 45% से बढ़कर 2023 में 55% हुआ।
एक साल के लिए दो इंजेक्शन के दाम 40,000 डॉलर (33.47 लाख रु.) हैं, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है।