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तमिलनाडु सरकार ने केंद्र की इस योजना को बताया "जातिवादी", लागू करने से किया इनकार..

तमिलनाडु: एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार ने 2023 में शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा केंद्रीय योजना को खारिज कर दिया है। 27 नवंबर को केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने घोषणा की कि तमिलनाडु अपनी "समावेशी" योजना शुरू करेगा, जिसमें जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।

इसके अगले ही दिन, डीएमके सांसद और स्टालिन की बहन कनिमोझी ने नई दिल्ली में मीडिया को बताया कि डीएमके सरकार ने इस योजना को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा, “यह योजना जाति और वंश परंपरा को पुनर्जीवित करती है, जिसमें बच्चों को अपने माता-पिता का पेशा अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।”

क्या है विश्वकर्मा योजना?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2023 में शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक शिल्पकारों को सहायता प्रदान करना है, जो 18 पारंपरिक व्यवसायों में काम करते हैं, जैसे बढ़ईगिरी, मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तन बनाना, खिलौने बनाना और दर्जी का काम।


योजना के तहत मिलने वाले लाभ:

  • कारीगरों की पहचान के लिए आईडी कार्ड।

  • 5 से 15 दिनों तक कौशल उन्नयन प्रशिक्षण, जिसमें 500 रुपए का दैनिक वजीफा।

  • उपकरणों के लिए 15,000 रुपए का प्रोत्साहन और 5% ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक का रियायती ऋण।

  • डिजिटल लेनदेन पर प्रति लेनदेन 1 रुपए का प्रोत्साहन (100 लेनदेन तक)।

  • कारीगरों के लिए विपणन सहायता।

विवाद क्यों?

इस योजना को लेकर विवाद का कारण यह है कि इसमें लाभार्थियों को यह घोषणा करनी होगी कि उनका पेशा उनके परिवार की परंपरा के तहत गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से सीखा गया है।


डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने कहा, “योजना में कारीगरों को अपने माता-पिता या रिश्तेदारों से बिना भुगतान के गुरु-शिष्य परंपरा के तहत यह पेशा सीखने की शर्त रखी गई है। यह जाति व्यवस्था से प्रेरित है, जहां पेशे पारिवारिक परंपरा से जुड़े होते हैं और असमानता को बढ़ावा देते हैं।”

तमिलनाडु सरकार का विरोध

जनवरी 2024 में मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर योजना में तीन संशोधन करने की मांग की:

  1. आवेदक के परिवार के परंपरागत रूप से पेशे में संलग्न होने की अनिवार्यता को हटाया जाए।

  2. न्यूनतम आयु सीमा को बढ़ाकर 35 वर्ष किया जाए ताकि केवल वे लोग लाभ उठा सकें, जिन्होंने सोच-समझकर अपने पारिवारिक पेशे को चुना हो।

  3. लाभार्थियों के सत्यापन का कार्य ग्राम पंचायत प्रमुख के बजाय राजस्व विभाग के ग्राम प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा जाए।

केंद्र सरकार ने इन सुझावों को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद तमिलनाडु ने योजना को खारिज कर दिया।

तमिलनाडु की वैकल्पिक योजना

27 नवंबर को मांझी को लिखे पत्र में, स्टालिन ने एक राज्य-विशिष्ट योजना शुरू करने की घोषणा की, जो कारीगरों को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के तहत सशक्त बनाएगी। यह योजना जाति के आधार पर भेदभाव से मुक्त और अधिक समावेशी होगी।

केंद्र और राज्य के बीच अन्य विवाद

विश्वकर्मा योजना को खारिज करना डीएमके सरकार और बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच कई विवादों में से एक है।

  • हिंदी थोपने का विरोध: तमिलनाडु ने हिंदी थोपने का विरोध किया है, इसे विभाजनकारी करार दिया है।

  • नीट छूट: राज्य ने बार-बार नीट परीक्षा से छूट की मांग की है, इसे ग्रामीण छात्रों के लिए पक्षपाती बताया है।

  • कर वितरण में भेदभाव: तमिलनाडु ने दक्षिणी राज्यों के साथ कर वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया है।

  • राज्यपाल के साथ विवाद: मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यपाल आर.एन. रवि पर विधानसभा में पारित कई विधेयकों को रोकने का आरोप लगाया है।

तमिलनाडु के इस ताजा रुख पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया आना बाकी है।

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