भोपाल। इस साल सेंट्रल जेल भोपाल में बंद कैदियों को ईद के अवसर पर अपने परिजनों से खुली मुलाकात का अवसर नहीं मिलेगा। जेल प्रशासन ने निर्माण कार्य का हवाला देते हुए इस परंपरा को रोकने का फैसला लिया है। यह निर्णय कैदियों और उनके परिजनों के लिए निराशाजनक साबित हो रहा है, क्योंकि हर साल राखी, दीपावली और ईद जैसे त्योहारों पर यह सुविधा दी जाती थी।
सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया, "जेल परिसर में इस समय निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके चलते इस बार ईद पर खुली मुलाकात संभव नहीं होगी। हालांकि, कैदियों के लिए सामान्य मुलाकात की सुविधा जारी रहेगी।"
जेल प्रशासन के इस फैसले की जानकारी देते हुए जेल परिसर में नोटिस भी चस्पा किए गए हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक संदेश भी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि "ईद पर खुली मुलाकात नहीं होगी, लेकिन सामान्य मुलाकात दी जाएगी। आदेशानुसार, जेल अधीक्षक।"
विधायक आरिफ मसूद ने उठाई आपत्ति
भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने जेल महानिदेशक को पत्र लिखकर इस फैसले पर आपत्ति जताई है। अपने पत्र में उन्होंने कहा, "पिछले 40-45 वर्षों से त्योहारों पर खुली मुलाकात की परंपरा रही है और इस दौरान कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। यह सुविधा न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि अन्य धर्मों के कैदियों को भी अपने परिजनों से मिलने का अवसर देती है। जेल प्रबंधन का यह फैसला कैदियों और उनके परिवारों के लिए मानसिक रूप से कष्टदायक है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि सहानुभूतिपूर्वक विचार कर ईद पर खुली मुलाकात की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।"
विधायक आरिफ मसूद ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "पिछले 40-45 वर्षों से त्योहारों पर खुली मुलाकात की परंपरा रही है और कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। यह फैसला कैदियों और उनके परिवारों के लिए तकलीफदेह है। मैं जेल प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि ईद पर खुली मुलाकात की अनुमति दी जाए।"
क्या अब जेल के अंदर भी त्योहारों पर भेदभाव होगा?
कांग्रेस नेता डॉ. अमिनुल खान सूरी ने द मूकनायक से बातचीत में सवाल उठाते हुए कहा कि जब राखी, दिवाली और ईद पर हर साल जेल में खुली मुलाक़ात की परंपरा रही है, तो इस बार ईद पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
उन्होंने कहा, "जेल मैनुअल भी त्योहारों पर खुली मुलाकात की अनुमति देता है, फिर इस पर रोक क्यों?"
क्या होती है खुली मुलाकात?
खुली मुलाकात एक विशेष सुविधा है, जिसमें कैदी अपने परिजनों से आमने-सामने बैठकर बिना किसी अवरोध के बात कर सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में कैदियों की मुलाकात कांच या जाली के माध्यम से होती है, जिससे स्पर्श संभव नहीं होता। लेकिन खुली मुलाकात में कैदी अपने परिजनों के साथ खुलकर बातचीत कर सकते हैं, जिससे उनका मानसिक तनाव कम होता है और पारिवारिक जुड़ाव बना रहता है।
निर्णय से क्यों है नाराजगी?
त्योहारों पर खुली मुलाकात की परंपरा वर्षों से चली आ रही थी, जिससे कैदियों को मानसिक राहत मिलती थी। जेल प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के इसे अचानक रद्द कर दिया, जिससे परिवारों में नाराजगी है। अन्य त्योहारों पर भी खुली मुलाकात होती रही है, लेकिन इस बार निर्माण कार्य को कारण बताकर इसे रोका गया है।
कैदियों के अधिकारों का हनन
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि कैदियों को परिवार से मिलने के अधिकार से वंचित करना उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई शोध बताते हैं कि परिवार से जुड़े रहने वाले कैदी जेल में बेहतर आचरण रखते हैं और समाज में पुनर्वास की संभावना बढ़ती है।
हालांकि, जेल प्रशासन सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीतियां लागू करता है। लेकिन विधायक आरिफ मसूद और कैदियों के परिजनों का कहना है कि पिछले चार दशकों में खुली मुलाकात के दौरान कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, इसलिए इसे रद्द करने का कोई ठोस कारण नहीं है।