मध्य प्रदेश: IAS अधिकारी शैलबाला मार्टिन का पलटवार, "महामंडलेश्वर जी, मुझे देश निकाला नहीं दे सकते"

12:16 PM Oct 28, 2024 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन द्वारा मंदिरों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर सवाल उठाने के बाद एक नई बहस छिड़ गई है। अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट में लाउडस्पीकर के ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों से अनियंत्रित ध्वनि प्रदूषण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस बयान के बाद विभिन्न हिंदू धार्मिक संगठनों और नेताओं ने उनके खिलाफ प्रतिक्रिया दी है। शुक्रवार को महामंडलेश्वर अनिलानंद ने अपनी टिप्पणी में मार्टिन को देश छोड़ने की सलाह दी, जिस पर शैलबाला ने तीखा जवाब दिया कि "आप मुझे देश निकाला नहीं दे सकते महामंडलेश्वर जी।"

क्या है पूरा मामला?

कुछ दिन पहले, शैलबाला मार्टिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जवाब में कहा था कि "मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर, जो गलियों में दूर तक ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और देर रात तक बजते हैं, उनसे किसी को परेशानी क्यों नहीं होती?" इसके बाद से उनका यह बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ, जहां कई लोग इस पर प्रतिक्रिया देते दिखे। इस बीच, शैलबाला के बयान के समर्थन और विरोध में विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के बीच बहस छिड़ गई।

महामंडलेश्वर अनिलानंद, जिन्होंने गुना में मीडिया से बातचीत के दौरान मार्टिन पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, उन्होंने कहा कि यदि उन्हें मंदिरों में लाउडस्पीकर से इतनी आपत्ति है, तो उन्हें देश छोड़ देना चाहिए। अनिलानंद ने इस दौरान यह भी कहा कि “झांकियों को छोड़कर मंदिर-मस्जिद में सीमित समय के लिए लाउडस्पीकर बजते हैं। शैलबाला को इससे भी समस्या है, तो उन्हें अपने लिए कोई अन्य देश चुन लेना चाहिए।”

शैलबाला मार्टिन ने दिया जवाब

महामंडलेश्वर की इस टिप्पणी से आहत होकर शैलबाला ने शनिवार को अपने एक्स हैंडल पर कहा, “आप मुझे देश निकाला नहीं दे सकते महामंडलेश्वर जी।" उन्होंने कहा कि संविधान ने उन्हें इस देश में बराबरी के अधिकार दिए हैं और किसी भी व्यक्ति की धमकी से उनके अधिकार कम नहीं हो सकते। शैलबाला ने अपने पोस्ट में लिखा, "हमारे संविधान ने इस देश पर मुझे भी उतना ही अधिकार दिया है, जितना अन्य नागरिक को। यह देश किसी एक धर्म या जाति का नहीं है, यह हम सबका है। मेरे पुरखे इस देश के लिए जंग लड़ चुके हैं, और इस मिट्टी में उनका खून-पसीना मिला हुआ है। कोई भी मेरे इस अधिकार को मुझसे नहीं छीन सकता।"

उनके इस बयान के बाद से सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध दोनों ही आवाजें उठ रही हैं। कुछ लोगों ने उनकी बात को सही ठहराते हुए कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण सभी के लिए समस्या है, और इस पर विचार होना चाहिए। वहीं, कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान मानते हुए शैलबाला के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

कांग्रेस का समर्थन और विवाद की राजनीति

इस मुद्दे पर राजनीतिक रंग चढ़ना स्वाभाविक था। कांग्रेस ने शैलबाला के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर खुली चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर विभिन्न धार्मिक स्थलों पर एक समान नीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "शैलबाला मार्टिन ने जो सवाल उठाए हैं, वे हमारे समाज के हर व्यक्ति को प्रभावित करते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है, और इसे धार्मिक रंग देने की बजाय इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिक अधिकारों के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।"

ध्वनि प्रदूषण के विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण का स्तर सीमित रखने के लिए सभी सार्वजनिक स्थलों पर नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। पर्यावरणविदों के मुताबिक लाउडस्पीकर का उपयोग धार्मिक स्थलों पर करना धार्मिक अधिकार का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसका समय और तीव्रता सभी के स्वास्थ्य के मद्देनजर सीमित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि धर्म के नाम पर ध्वनि प्रदूषण फैलाने का अधिकार दिया जाएगा, तो यह नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।