नई दिल्ली- 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या के बाद बढ़ी उग्रता और भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान पर की गई हवाई कार्रवाई के बाद जस्टिस काटजू ने अपने फेसबुक पेज पर टिप्पणी की, "हमने तुम्हारे घर में घुस के मारा है।" इस बयान पर उनकी कड़ी आलोचना हुई, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी व्यंग्य (उर्दू में 'तंज' और हिंदी में 'व्यंग्य') थी, जिसका मकसद भारतीय मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे उन्मादी युद्धोन्माद और जिंगोइज्म की आलोचना करना था।
जस्टिस काटजू ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही गरीब देश हैं, जो युद्ध का खर्च वहन नहीं कर सकते। युद्ध बेहद महंगे होते हैं, और दोनों देशों को भारी हथियार विदेशों से भारी कीमत पर खरीदने पड़ते हैं। इससे विदेशी देशों को लाभ होता है, क्योंकि उनकी हथियारों की बिक्री बढ़ती है, जबकि भारत और पाकिस्तान अपनी जनता के कल्याण पर खर्च करने के बजाय कीमती संसाधनों को बर्बाद करते हैं। उन्होंने कहा, "हमारी जनता को पर्याप्त रोजगार, भोजन, पानी, बिजली, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी ढांचा तक नहीं मिलता। फिर भी दोनों देशों के शासक हमें लड़ने के लिए उकसाते हैं। क्या हमारे शासक किसी विदेशी ताकत के इशारे पर काम नहीं कर रहे, जो एक 'मदारी' की तरह अपनी बंदरों को लड़वाता है, ताकि उसका अपना फायदा हो?"
1947 का विभाजन: ब्रिटिश साजिश और दो-राष्ट्र सिद्धांत
जस्टिस काटजू ने भारत और पाकिस्तान को एक ही देश मानने की बात दोहराई, जो 1947 में ब्रिटिश साजिश और फर्जी 'दो-राष्ट्र सिद्धांत' के आधार पर अस्थायी रूप से अलग हुए थे। उनका मानना है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक दिन फिर से एकजुट होंगे। उन्होंने कहा, "मैं पाकिस्तान को भारत का हिस्सा मानता हूं। मैं हर पाकिस्तानी को भारतीय मानता हूं। ऐसे में मैं कैसे एक भारतीय के खिलाफ दूसरे भारतीय का समर्थन कर सकता हूं? मुझे यह देखकर खुशी नहीं हो सकती कि एक भारतीय दूसरे भारतीय को मार रहा है।"
जस्टिस काटजू ने पहलगाम में हुई 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या को एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा बताया। उनका कहना है कि यह घटना और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहा तनाव विकसित देशों की साजिश का नतीजा है, जो नहीं चाहते कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश एकजुट होकर एक आधुनिक औद्योगिक शक्ति (जैसे चीन) बनें। उन्होंने कहा, "विकसित देशों का एक अघोषित नियम है कि वे अविकसित देशों को विकसित होने से रोकेंगे। अगर भारत जैसे देश विकसित हो गए, तो अपनी सस्ती श्रम शक्ति के कारण वे पश्चिमी उद्योगों को नष्ट कर देंगे, जिससे वहां लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।"
Who is behind the present Indo-Pak conflict ?
— Markandey Katju (@mkatju) May 8, 2025
By Justice Katju
To understand the present Indo-Pak conflict we have to probe below the surface.
The first thing to realise is that India and Pakistan are both poor countries which cannot afford a war, as wars are very expensive…
कैसे रुकता है भारत का विकास?
जस्टिस काटजू के अनुसार, भारत में तकनीकी प्रतिभा और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, जिसके दम पर यह एक औद्योगिक महाशक्ति बन सकता है। लेकिन विकसित देश भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को धर्म, जाति, भाषा और नस्ल के आधार पर आपस में लड़वाकर इसे रोकते हैं। उन्होंने कहा, "विकसित देश एक 'मदारी' की तरह हमें आपस में लड़वाते हैं। पहलगाम हत्याकांड को इसी नजरिए से देखना चाहिए। यह स्पष्ट रूप से किसी विकसित देश द्वारा अपने स्थानीय एजेंटों के माध्यम से रची गई साजिश थी।"
जस्टिस काटजू ने भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की जनता से अपील की कि वे आपस में लड़ने के बजाय अपने साझा दुश्मनों—गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, महंगाई, स्वास्थ्य सेवाओं और अच्छी शिक्षा की कमी—के खिलाफ एकजुट होकर लड़ें। उन्होंने कहा, "दो गरीब लोग एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हो सकते। जो हमें आपस में लड़ाने की कोशिश करते हैं, वही हमारे असली दुश्मन हैं।"
जस्टिस काटजू ने भारतीय मीडिया पर भी निशाना साधा, जिसे उन्होंने "ज्यादातर बिका हुआ और निकम्मा" करार दिया। उन्होंने कहा कि पहलगाम घटना के बाद से मीडिया युद्धोन्माद और उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहा है, जो दोनों देशों की जनता के हितों के खिलाफ है। उनकी व्यंग्यात्मक टिप्पणी इसी उन्माद के खिलाफ एक तीखा कटाक्ष थी, जिसे कई लोगों ने गलत समझा।
यह रिपोर्ट जस्टिस मार्कंडेय काटजू के निजी विचारों पर आधारित है।