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सोशल मीडिया कमेंट्स पढ़कर जजों को कैसा लगता है, जानिये पूर्व CJI ने क्या कहा

नई दिल्ली- देश के सर्वोच्च न्यायिक पद से 15 दिन पहले सेवानिवृत्त हुए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि कानून संसद बनाती है लेकिन उसे लागू कराने का अधिकार न्यायपालिका के पास होता है। एनडीटीवी के खास कार्यक्रम ‘एनडीटीवी इंडिया संवाद- संविधान एट 75' में खास मेहमान के रूप में पहुंचे पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जज को हमेशा धैर्य से काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है, लेकिन उसे लागू करने का अधिकार पूरी तरह से न्यायपालिका के हाथों में है। यह न सिर्फ अधिकार है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है। चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया के मुद्दे पर कहा कि ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया में चलने वाली बातों का हम लोगों के ऊपर असर नहीं होता है। इसका समाज के ऊपर बहुत ही असर पड़ता है। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब मैं जज था तो मुझे अपनी अदालत के कामकाज पर पूरा ध्यान केंद्रित करना होता था और इसलिए सोशल मीडिया पर हो रही चर्चाओं से मैं दूर रहता था।

वहीं कोर्ट के क्लर्क सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे और वे अनुरोध करते थे कि मैं सोशल मीडिया कमेंट न पढूं, क्योंकि उन टिप्पणियों से निराशा होती थी। यह बयान जजों की मानसिक स्थिति और उन पर होने वाले दबाव को भी उजागर करता है। जब उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक या गलत बातें लिखी जाती हैं।

रिटायरमेंट के बाद उनके 15 दिन के कामकाज के सवाल पर डीवाई चंद्रचूड़ ने मैं 24 साल तक जज रहा हूं और इसके अलावा मेरी दुनिया में कुछ और काम नहीं था। बस सुबह उठकर केस फाइल पढ़ना, कोर्ट जाना, शाम को आकर जजमेंट डिक्टेट करना और रात को अगले दिन की फाइल पढ़ना यही मेरी दिनचर्या का हिस्सा रहा है।

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम सिस्टम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस विषय को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। संवाद कार्यक्रम के दौरान जब उनसे पसंदीदा क्रिकेट खिलाड़ी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने मौजूदा भारतीय टीम से दो दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली और जसप्रीत बुमराह को चुना।

डिस्क्लेमरः यह खबर आईएएनएस न्यूज फीड से प्रकाशित की गई है, सिर्फ खबर की हैडिंग बदली गयी है

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