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हवन से लेकर मुंडन तक: छत्तीसगढ़ में B.Ed सहायक शिक्षक नौकरी बचाने के लिए क्या-क्या कर रहे हैं जतन

रायपुर- छत्तीसगढ़ के 2,900 बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए बीते 10 दिनों से राजधानी रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि सरकार की बेरुखी और संवादहीनता ने उनकी आजीविका को संकट में डाल दिया है। शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुरुष शिक्षकों ने सामूहिक रूप से सिर मुंडवाकर और महिला शिक्षकों ने अपने बाल दान कर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की। शनिवार को प्रदर्शन स्थल पर सद्बुद्धि हवन का आयोजन किया गया, ताकि सरकार की संवेदनहीनता को जगाया जा सके।

इन सहायक शिक्षकों का आरोप है कि सरकार उनके समायोजन और नौकरी की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही है। प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि वे सभी बीएड योग्यताधारी हैं जो बीते 1.5 साल से राजकीय विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा बीएड की जगह डीएड पास कैंडिडेट्स को नियुक्ति देने के आदेश के कारण उनकी नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। यह लड़ाई केवल उनकी नौकरियों की नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया के खिलाफ है जो भविष्य में हर युवा और हर नौकरीपेशा व्यक्ति के अधिकारों को खतरे में डाल सकती है।

आपको बता दें प्रभावित शिक्षकों में अधिकांश आदिवासी समुदाय से आते हैं। सरकारी नौकरी उनके लिए सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का आधार है। इन नौकरियों को खोने से 2900 परिवारों की आजीविका संकट में आ जाएगी। इनमें 56 ऐसे शिक्षक भी हैं जिन्होंने इन पदों के लिए अपनी पिछली नौकरियां छोड़ दी थीं।

शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुरुष शिक्षकों ने सामूहिक रूप से सिर मुंडवाया।

सरकार का ध्यानाकर्षण करने के लिए करीब 50 शिक्षकों ने मुंडन कराया।

गांव छुरा के टीचर कामेश यादव, ने द मूकनायक को बताया, “आज सामूहिक मुंडन के माध्यम से हमने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार की संवेदनाएं हमारे प्रति खत्म हो चुकी हैं। यह न केवल हमारे आत्मसम्मान की हत्या है, बल्कि हमारे परिवारों को आर्थिक संकट में धकेलने का भी प्रयास है।”

लोकेश्वर साहू, गांव - गुदगुदा ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा, “हमारी पारिवारिक और आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है और अब सरकार हमें नौकरी से निकालने के लिए तत्पर है। यदि विष्णुदेव साय जी की सरकार सुशासन की सरकार है, तो उन्हें यह साबित करना चाहिए और हमारी नौकरी बचाने के लिए ठोस लिखित आश्वासन देना चाहिए।”

महिला शिक्षकों ने अपने बाल दान कर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की।

महिला शिक्षिकाओं ने भी इस संघर्ष में बराबर की भागीदारी दिखाई। उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से अपने बाल दान कर यह संदेश दिया कि उनकी स्थिति अब इतनी दयनीय हो गई है कि उन्हें इस तरह के कदम उठाने पड़ रहे हैं।

शनिवार को शिक्षकों ने धरना स्थल पर सद्बुद्धि हवन का आयोजन किया। इसका उद्देश्य सरकार को उनकी स्थिति पर ध्यान देने और उनकी मांगों को समझने के लिए प्रेरित करना था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाती और लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

कोण्डागांव में पदस्थ शिक्षक सुमित बोरकर ने बताया कि प्रदर्शन के दसवें दिन भी सरकार का कोई प्रतिनिधि धरना स्थल पर नहीं पहुंचा। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि न तो किसी अधिकारी ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की और न ही किसी प्रकार का लिखित आश्वासन दिया गया है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपनी लड़ाई को और तेज करेंगे। यदि सरकार ने शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे आन्दोलन को तेज करेंगे.

शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए वैकल्पिक नियुक्ति, सेवा समाप्ति आदेशों की तत्काल वापसी और सभी अभ्यर्थियों के लिए समान अवसर की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों द्वारा हाल में अनुनय यात्रा निकाली जिसके तहत अम्बिकपुर से 350 किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए रायपुर तक पहुंचे और तभी से धरना दे रहे हैं.

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