मध्य प्रदेश में बढ़ रहे परीक्षा घोटाले! ग्वालियर में पुलिस आरक्षक भर्ती में सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़, श्योपुर से दो गिरफ्तार

10:03 AM Aug 11, 2025 | Ankit Pachauri

भोपाल। मध्य प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जीवाड़े और सॉल्वर गैंग के सक्रिय नेटवर्क का एक और मामला सामने आया है। ग्वालियर पुलिस ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 में फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा देने वाले सॉल्वर और उसके एजेंट को श्योपुर से गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को प्रोटेक्शन वारंट पर ग्वालियर लाकर पूछताछ की जा रही है।

यह मामला वर्ष 2023 में हुई पुलिस आरक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि श्योपुर जिले के एक परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने के लिए मुरैना निवासी सत्येन्द्र रावत को सॉल्वर के रूप में बैठाया गया था। इस पूरी डील को अंजाम देने में सबलगढ़ निवासी सुरेन्द्र कुशवाह की अहम भूमिका रही, जो एक कियोस्क सेंटर संचालक है।

सुरेन्द्र ने आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेट करवाकर सत्येन्द्र को असली परीक्षार्थी के रूप में पेश किया और उसे परीक्षा हॉल में बैठाया। इस तरह परीक्षा में धोखाधड़ी कर भर्ती प्रक्रिया में सेंधमारी की गई।

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मामला दर्ज

घोटाले का खुलासा होने के बाद कंपू थाना, ग्वालियर में धोखाधड़ी और मध्यप्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपियों ने बाद में श्योपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उन्हें श्योपुर पुलिस ने हिरासत में लिया।

जैसे ही कंपू थाना पुलिस को इनकी गिरफ्तारी की जानकारी मिली, उन्हें प्रोटेक्शन वारंट पर ग्वालियर लाया गया। थाना प्रभारी अमर सिंह सिकरवार ने बताया, “आरोपियों से पूछताछ की जा रही है ताकि इस रैकेट में शामिल अन्य लोगों और उनकी भूमिकाओं का पता लगाया जा सके। जिनका नाम सामने आएगा, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।”

मध्यप्रदेश में बढ़ते परीक्षा घोटाले

पिछले कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश में सरकारी भर्तियों और प्रवेश परीक्षाओं में धांधली के मामले तेजी से बढ़े हैं। कभी पेपर लीक के जरिए तो कभी सॉल्वर गैंग और बायोमेट्रिक फर्जीवाड़े के जरिये युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

यह घोटाले आये सामने

व्यापमं घोटाला के बाद भी कई भर्ती परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं। पुलिस भर्ती, शिक्षक पात्रता परीक्षा, और पटवारी भर्ती में पेपर लीक और फर्जी उम्मीदवार बैठाने की घटनाएं दर्ज हुईं। बायोमेट्रिक सिस्टम को हैक करने, आधार में फोटो और अंगूठे के निशान बदलने जैसे तकनीकी तरीके अपनाए जा रहे हैं।

कैसे काम करता है सॉल्वर रैकेट?

असली उम्मीदवार की पहचान लेना: उम्मीदवार की फोटो, हस्ताक्षर और बायोमेट्रिक विवरण हासिल करना।

बायोमेट्रिक अपडेट: आधार या अन्य पहचान पत्र में बदलाव कर सॉल्वर की जानकारी डालना।

परीक्षा में बैठाना: सॉल्वर असली उम्मीदवार बनकर परीक्षा देता है और पास होने के बाद असली उम्मीदवार नौकरी पा लेता है।

बड़ी रकम की वसूली: इस तरह के सौदे लाखों रुपये में होते हैं, जिसमें बिचौलियों, एजेंटों और तकनीकी सहायता देने वालों को हिस्सा मिलता है।

युवाओं के भविष्य पर खतरा!

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के घोटालों से न केवल मेहनती परीक्षार्थियों का भविष्य बर्बाद होता है, बल्कि सरकारी व्यवस्था में लोगों का भरोसा भी टूटता है। व्यापमं जैसे बड़े घोटाले के बाद उम्मीद थी कि परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी होगी, लेकिन ऐसे मामले यह साबित करते हैं कि सॉल्वर और पेपर माफिया अब भी सक्रिय हैं और तकनीकी खामियों का फायदा उठा रहे हैं।

नेशनल एजुकेशन यूनियन के कोर कमेटी सदस्य सचिन यादव ने द मूकनायक से कहा कि प्रदेश में लगातार परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। इससे वर्षों से तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों का मनोबल टूट रहा है और उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है। ऐसे हालात में युवाओं के भविष्य पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।

उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाए, लेकिन बार-बार ऐसे घोटालों का सामने आना यह साबित करता है कि व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो युवाओं का भरोसा पूरी तरह से टूट जाएगा और ईमानदारी से तैयारी करने वालों के लिए मौके कम होते जाएंगे।